Thursday, December 20, 2012

कर्नाटक के विभिन्न क्लस्टरों में भगवान बहाउल्लाह के जन्मोत्सव समारोह की झलक

कर्नाटक के विभिन्न क्लस्टरों में भगवान बहाउल्लाह के जन्मोत्सव का कार्यक्रम बहुत की हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
कंगेरी होब्ली क्लस्टर के प्रतिभागी प्रसन्नचित मुद्रा में
• कंगेरी होब्ली क्लस्टर में मित्रों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से इस कार्यक्रम की तैयारी की गई और लोगों को आमंत्रित किया गया, लगभग 200 लोगों ने इस समारोह में भाग लिया, जिन्हें बहाउल्लाह के बारे में बताया गया। इस कार्यक्रम की विशेषता यह थी कि रूही पुस्तक-1 को उनके समक्ष प्रस्तुत किया गया। जिसके परिणामस्वरूप तुरन्त ही 30 से अधिक प्रतिभागियों के 2 स्टडी सर्कल तैयार हो गए। कंगेरी होब्ली समुदाय ने यह साबित कर दिया कि पावन दिवसों का पालन विस्तार का सुअवसर हो सकता है।
• चन्दापुर में एक नया समुदाय जहाँ बंगलौर के कुछ मित्र जा बसे हैं उन्होंने बहुत ही अच्छे तरीके से बहाउल्लाह का जन्मोत्सव मनाया। उन्होंने इलाके के बच्चों के लिए कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें बच्चों सहित लगभग 200 मित्रों ने अपनी प्रतिभागिता दर्ज की।
चन्दापुर क्लस्टर में आयोजित समारोह के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों द्वारा नृत्य प्रस्तुति
• रामनगर के समुदाय ने भी आशीर्वादित सौंदर्य के जन्मोत्सव को मनाने में अग्रणी भूमिका निभाई। रामनगर की स्थानीय आध्यात्मिक सभा द्वारा एक प्रसिद्ध लेखक को आमंत्रित किया गया। उन्होंने स्वेच्छा से इंटरनेट पर बहाउल्लाह के बारे में शोध किया और ‘उनके’ विषय में इस रंगारंग अवसर पर उपस्थित बहाइयों, उनके परिजनों और जिज्ञासुओं को बताया। इसके अलावा मैसूर, मंगलौर और बंगलौर क्लस्टरों में भी बहाउल्लाह के जन्मोत्सव का कार्यक्रम बहुत ही धूमधाम से मनाया गया।


भारत में हुए राज्य / क्षेत्रीय सम्मेलनों की झलक

बिहार में आयोजित क्षेत्रीय सम्मेलन के प्रतिभागी
क्षेत्रीय बहाई परिषद् बिहार एवं झारखण्ड द्वारा 27 एवं 28 अक्टूबर 2012 को पटना के बहाई भवन में दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें बिहार एवं झारखण्ड की 34 स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं के लगभग 150 बहाई मित्रों ने भाग लिया। सम्मेलन के दौरान प्रभुधर्म के विकास की गतिमयता, स्थानीय आध्यात्मिक सभा की भूमिका और अन्य संस्थाओं एवं एजेन्सियों से संबंध पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। साथ ही सम्मेलन के अंतिम दिन क्षेत्रीय परिषद् के पुनर्गठन के लिए चुनाव संपन्न हुआ, जिसमें स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं के 73 सदस्यों ने अपना पवित्र मतदान किया। इस अवसर पर सहायक मंडल सदस्य श्री रजनीश सिंह ने सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। तदुपरान्त सहायक मंडल सदस्य सुश्री ऋचा रानी, श्री ओमप्रकाश चैधरी, श्री शिवशंकर कुमार एवं श्रीमती उमा दलाई ने क्रमशः विकास प्रक्रिया में स्थानीय सभा की भूमिका एवं दायित्व, बहाई बाल कक्षा, किशोर समूह और अध्ययन- वृत्त कक्षा पर प्रस्तुति दी। इसी दौरान विकास प्रक्रिया में प्राप्त अनुभवों से भी उपस्थित मित्रों को अवगत कराया गया। सहायक मंडल सदस्य श्री राहुल कुमार ने परमप्रिय विश्व न्याय मंदिर द्वारा 28 दिसम्बर 2010 को प्रेषित संदेश के कुछ चयनित अंशों के माध्यम से स्थानीय आध्यात्मिक सभा के कर्तव्यों एवं जिम्मेदारियों पर परामर्श किया, जिसमें उपस्थित मित्रों ने उत्साह के साथ भाग लिया। इसके बाद सांख्यिकी पदाधिकारी श्री राजीव सक्सेना ने विकास प्रक्रिया में सांख्यिकी की महत्ता के संदर्भ में अपने विचार रखें। दूसरे दिन सहायक मंडल सदस्य श्री अभिनन्दन शर्मा ने क्षेत्रीय बहाई परिषद् की भूमिका एवं अन्य एजेन्सियों के साथ संबध विषय पर मित्रों के साथ विस्तृत चर्चा की। तदुपरान्त उपस्थित स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं के सदस्यों के साथ बहाई चुनाव की पवित्रता पर चर्चा हुई और क्षेत्रीय बहाई परिषद् के पुनर्गठन के लिए मतदान हुआ। परिषद् के पुनर्गठन के लिए मतदान के उपरान्त क्षेत्रीय बहाई परिषद् के सचिव श्री दीपेन्द्र कुमार चन्दन ने वार्षिक प्रतिवेदन पेश किया तथा परिषद् के कोषाध्यक्ष श्री नंदलाल प्रसाद ने कोष एवं आर्थिक आत्मनिर्भरता विषय पर अपने विचार रखे।
• छत्तीसगढ़ के बहाई मित्रों के लिये दिनांक 21 अक्टूबर-2012 को एक सम्मेलन का आयोजन बहाई सेंटर रायपुर में किया गया। कार्यक्रम का संचालन सहायक मण्डल सदस्य श्री राकेश शोरी द्वारा किया गया। इस सम्मेलन में मित्रों के मार्गदर्शन हेतु राष्ट्रीय बहाई आध्यात्मिक सभा की कोषाध्यक्ष डॉ. शीरीन महालाती विशेष रूप से उपस्थित थी। डाॅमहालाती ने उपस्थित 45-50 मित्रों को बहाई कोष के बारे में, हुकुकुल्लाह एवं बहाई चुनावों की पवित्रता आदि विषय पर अलग- अलग पॉवर प्वाइंट के सहयोग से प्रस्तुतियाँ देते हुए मित्रों के ज्ञान को बढ़ाया एवं स्थानीय सभाओं के सदस्यों से परिषद हेतु मतदान कराया। सहायक मण्डल सदस्य एवं राज्य संयोजक श्री शिवकुमार साहू ने संस्थान प्रक्रिया एवं उसकी गुणवत्ता पर मित्रों का ध्यानाकर्षित किया तथा परिषद की ओर से परिषद सदस्य श्री मनीष चैहान द्वारा परिषद की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी गयी। इसी प्रकार परिषद का दूसरा सम्मेलन बहाई भवन भोपाल में 20 एवं 21 अक्टूबर-2012 को बड़े ही उल्लासमय वातावरण में सम्पन्न हुआ। पहले दिन के कार्यक्रम का संचालन सहायक मण्डल सदस्य श्री पातीराम नरवरिया द्वारा किया गया जिसमें प्रमुख वक्ता श्री पयाम शोगी रहे। श्री शोगी ने मित्रों को यह बताने का प्रयास किया कि हम अपनी एक दृढ़ बहाई पहचान कैसे विकसित करें तथा प्रभुधर्म की शिक्षण गतिविधि में भाग लेने की खुशी को जीवन में कैसे उतारें। कु. विवियन मर्चेंट ने अपना वक्तव्य देते हुए क्षेत्र के मित्रों को इंस्टिट्यूट फॉर स्टडीज़ इन ग्लोबल प्रोस्पेरिटी के बारे में विस्तार से बताया तदोपरांत बहाई प्रशासन एवं चुनावों की पवित्रता विषय पर विस्तारपूर्वक बताते हुए डॉ. आर. एस. यादव ने उपस्थित मित्रों को मंत्रमुग्ध किया एवं स्थानीय सभा के सदस्यों से परिषद हेतु मतदान कराया। परिषद अध्यक्ष डॉ. एफ.यू. शाद ने प्रभुधर्म का जीवन रक्त “बहाई कोष” पर अपना उद्बोधन दिया एवं मित्रों से कार्यक्रम को आत्मनिर्भर बनाने की अपील की। कार्यक्रम के अंत में परिषद की वार्षिक रिपोर्ट सचिव प्रस्तुत करते हुए उपस्थित मित्रों का आभार प्रदर्शन परिषद की ओर से किया।
• त्रिपुरा के राज्य सम्मेलन में 322 मित्रों ने भाग लिया, जिसमें से 100 स्थानीय आध्यात्मिक सभा के सदस्य थे, जिन्होंने नई परिषद की चुनाव प्रक्रिया में भाग लिया। इस अवसर पर चारों सहायक मण्डल सदस्य भी उपस्थित रहे, जिन्होंने बहाई प्रशासन, स्थानीय आध्यात्मिक सभा की भूमिका एवं उनके दायित्व, बहाई चुनावों की पावनता एवं पवित्रता और मतदान जैसे विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। इसके उपरान्त सचिव और कोषाध्यक्ष द्वारा वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया।
त्रिपुरा में आयोजित राज्य सम्मेलन के प्रतिभागी
• ओडि़षा में राज्य सम्मेलन दो भागों पश्चिमी (लिपीरपाडा) और पूर्वी (भुवनेश्वर) क्षेत्रों में सम्पन्न हुआ। पश्चिमी क्षेत्र में हुए सम्मेलन में लगभग 120 मित्रों ने भाग लिया। जबकि पूर्वी क्षेत्र में लगभग 16 स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं से आए 116 मित्रों ने भाग लिया। दोनों जोनों में सहायक मण्डल सदस्यों के मार्गदर्शन में कार्यक्रम सम्पन्न हुए।
ओडि़षा में हुए सम्मेलन के प्रतिभागी
• केरल में कन्नूर और कोचि में दो दिवसीय राज्य बहाई सम्मेलन आयोजित किया गया। जिनमें 28 दिसम्बर 2010 के संदेश के विभिन्न भागों का अध्ययन किया। बहाई कोष के बारे में मित्रों को जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय सभा के पृष्ठ 2 का शेष सदस्य श्री पी. के. प्रेमराजन ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। कन्नूर में श्री एम0 सरवानन और सी0 पी0 बालकृष्णन तथा कोचि में श्री गोपीनाथ कुरूप द्वारा वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया।
• पश्चिम बंगाल में आयोजित सम्मेलन में सहायक मण्डल सदस्यों तथा परिषद के सदस्यों द्वारा बहाउल्लाह का जीवन, बहाई चुनाव की पवित्रता, बहाई कोष की महत्ता, शिक्षण गतिविधियों में भाग लेने की खुशी तलाशना और कैसे हम अपनी गतिविधियों की गुणवत्ता में वृद्धि कर सकते हैं-जैसे विषयों पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर 24 क्लस्टरों से 156 मित्रों ने भाग लिया।

राजस्थान में युवा और बाल मेले का आयोजन

सांगनेर में आयोजित युवा मेले के प्रतिभागी
जयपुर के सांगनेर क्लस्टर में किशोर मेले का आयोजन किया गया, जिसमें 22 किशोर समूहों से लगभग 150 से अधिक किशोरों ने भाग लिया। मेले में युवाओं और अनुप्रेरकों द्वारा खेल, प्रश्नोत्तरी, नृत्य और लघु नाटिका प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर युवाओं के लगभग 200 अभिभावक भी उपस्थित थे, उन्होंने प्रस्तुतियों की बहुत प्रशंसा की, परन्तु वे इस बात से अनभिज्ञ और आश्चर्यचकित थे कि यह सभी प्रस्तुति उनके बच्चों द्वारा ही प्रस्तुत की जा रही है। अपने बच्चों में हुए इस परिवर्तन को अभिभावकों ने स्वयं अपनी आंखों से देखा। इस कार्यक्रम में श्रम संघ के दो नेताओं को मुख्य अतिथि और सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। वे सांगनेर की भावी पीढ़ी में नैतिक विकास से बहुत प्रभावित हुए। जयपुर की स्थानीय सभा और कुछ मुख्य अनुयायियों ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना भरपूर सहयोग दिया। यह पहला अवसर था जब बहाई पवित्र दिवस राज्य के बहाई भवन के बाहर मनाया गया। वाटिका क्लस्टर में बहाई कक्षा के बच्चों के लिए बाल मेले का आयोजन किया गया, जिसमें 8 कक्षाओं के 80 बच्चों ने भाग लिया। समारोह में बच्चों के अभिभावकों को भी आमंत्रित किया गया। जयपुर के मित्रगण, विशेष रूप से बच्चों की कक्षा के क्लस्टर संयोजक, शिक्षक और अनुप्रेरकों ने वाटिका के मित्रों की सहायता की। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान बच्चों द्वारा प्रार्थनायें, गीत और नृत्य प्रस्तुत किये गये। इस अवसर पर वाटिका के सरपंच को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘ये बच्चे भविष्य में वाटिका को उज्ज्वल कर देंगे’। वे वाटिका में बहाइयों द्वारा किए जा रहे कार्य से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने कहा कि वे बहाइयों की सहायता करने के लिए हमेशा तैयार हैं।
वाटिका में आयोजित बाल मेले में बच्चे नृत्य प्रस्तुत करते हुए

सूचना

1. केरल की श्रीमती उदय बैजू को सहायक मण्डल सदस्य (संरक्षक) के पद पर नियुक्त किया गया है।
2. सुश्री सुमन मोरे को मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के लिए सहायक मण्डल सदस्य (प्रसार) के पद पर नियुक्त किया गया है।
3. श्री जयदीप महालाती को मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के लिए सहायक मण्डल सदस्य (संरक्षण) के पद पर नियुक्त किया गया है।
4. श्री भैयासाहेब को महाराष्ट्र एवं गोवा के लिए सहायक मण्डल सदस्य (प्रसार) के पद पर नियुक्त किया गया है।
5. श्री आर0 कनन को तमिलनाडु एवं पुडुचेरी के लिए सहायक मण्डल सदस्य (संरक्षण) के पद पर नियुक्त किया गया है।
6. केरल की श्रीमती शोगिता को सहायक मण्डल सदस्य (प्रसार) से सधन्यवाद दायित्व मुक्त कर दिया गया है।

वर्ष 2012-13 के लिए राज्य बहाई परिषद/क्षेत्रीय बहाई परिषद के सदस्यगण

Elected members of Regional Baha'i Council (RBC) and State Baha'i Council (SBC) for the year 2012 - 2013

राज्य बहाई परिषद आंध्र प्रदेश

रमा देवी
सुश्री कल्याणी
श्री देवी कुमार
ई0 ममता
श्रीनिवास मौली
अजय नायडू
श्रीमती पी0 तुलासी

क्षेत्रीय बहाई परिषद असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय एवं नगालैंड

आनन्दो ब्रह्मा
दिलीप दास
इबोम्चा मितई
नीतूमणि मजुमदार
शारदा नायक
डा0 नानी ओबिंग
डा. एस. के. पाणिग्रही
निर्मली सरमा
अंजू ठाकुर (नागालैंड)

क्षेत्रीय बहाई परिषद बिहार एवं झारखंड

दीपेन्द्र कुमार चन्दन
रंजन कुमार
राकेश कुमार (पुनपुन)
नन्द किशोर प्रसाद
राजन कुमार प्रसाद (पटना)
शैलेन्द्र प्रसाद
अरुण कुमार रोशन
राजीव सक्सेना
रश्मि सिन्हा

राज्य बहाई परिषद गुजरात

श्री राजेश अहीरे
ज्योति अहीरे
वसंत बागुल
जशुभाई भोये
जयेश भोये
प्रशांत चिनूभाई
राधा पारिख

राज्य बहाई परिषद् कर्नाटक

शीला अशोक (मांडेया)
श्री चन्द्रशेखर
सतीश कुमार एच0 डोडी
श्री मांचे गौडे
कैप्टन मल्लिकार्जुन
श्री लक्ष्मी नारायण
श्री बालाजी राव
श्रीमती यामिनी सांवत
श्री वसंथ सी0 एन0

राज्य बहाई परिषद् केरल

श्रीमती बिनारा घनबरी
श्री ओ0 हरेन्द्रन
श्री उनीज़ कोया
श्रीमती ज्योथी प्रभाकरण
श्री शीजू
श्री एम0 सरवानन
श्रीमती के पी श्रीमथी
श्री सी0 टी0 टोमी
श्री सी0 पी0 विनोद (तिरूर)

क्षेत्रीय बहाई परिषद् मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़

सुश्री ओमना के0 जी0
सुश्री नाज़नीन इंदौरवाला
श्री धर्मवीर नरवारिया
श्री सचिन पटेल
श्री कमल रावल
डा0 एफ. यू. शाद
श्रीमती ललिता शर्मा
श्रीमती मन्ना शर्मा
श्री खेमलाल ठाकुर

क्षेत्रीय बहाई परिषद् महाराष्ट्र एवं गोवा

श्रीमती कविता बरूआ
श्रीमती मार्जि़या दलाल
श्रीमती सुनीती जवांमर्दी
श्री दिनेश पगारे
श्रीमती मावेश रौहानी
श्री सुमित सिंह
श्रीमती वेलेंटिना सोहेली
श्री संजीव वत्स
श्री सियामक ज़ाहेदी

क्षेत्रीय बहाई परिषद् मणिपुर एवं मिजोरम

सुश्री अहनलिमा
श्रीमती बबीता देवी
सुश्री हरिबती देवी
सुश्री इनाओ देवी
श्रीमती सनाटुम्बी देवी
सुश्री एम0 ईचान
सुश्री इबेम्चा लाइशरोम
श्री सिदानन्द शर्मा
सुश्री सोबिता

राज्य बहाई परिषद् उड़ीसा

श्री तरंग दास
श्री रंजीत महाराणा
श्रीमती नादिया मोग्बेलपुर
श्री गदाधर मोहंती
श्री सुशांत नायक
श्री अनंग पटेल
श्री सुकांत राउत

क्षेत्रीय बहाई परिषद् पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर

श्री विकास छेत्री
श्री पूरन कटवाल
श्रीमती बबीता नन्दकिशोर
श्रीमती जोहरे रोशन
प्रोफेसर अनिल सारवाल
श्रीमती किरण सिन्हा
श्रीमती होमा ज़मानी

राज्य बहाई परिषद राजस्थान

डा0 नेज़ात हग़ीगत
श्री हरमीत कोहली
श्री राजेश मीणा
श्री रामेश्वर
श्री संजय शर्मा
श्री बनवारी तातवट
श्रीमती सुनीता तौंगराम

क्षेत्रीय बहाई परिषद् सिक्किम एवं दाजिलिंग

श्री टीका अधिकारी
श्री सागर गज़मेर
श्री हेस्सम ईसा
करुणा खाटी
सृजना लामा
श्री बिनोद पोखरेल
श्री हेम प्रधान
सुश्री रंजना प्रधान
श्रीमती रूपा प्रधान

क्षेत्रीय बहाई परिषद् तमिलनाडु एवं पुडुचेरी

श्री ए0 भारथ
सुश्री बहिया कारमेगम
श्री कमलासेखरन पांडेयान
सुश्री पी0 रथना
श्रीमती मोना शंकर
श्री सुब्रह्मणी
श्रीमती सुबद्रा वी0 एस0
श्री सुन्दरमूर्थि
श्री एम0 युवराज

राज्य बहाई परिषद् त्रिपुरा

श्री बिकास धर
श्री पंकज धर
श्री मनीष देब
श्री प्रबीर देबनाथ
श्री आलोक कार
श्री बिभूति करमाकर
श्री उत्तम मित्रा
श्री केशव राॅय
निरूपमा सिन्हा

क्षेत्रीय बहाई परिषद् उत्तर प्रदेश, उत्तराचंल एवं दिल्ली

श्री नदीम अमीर
श्रीमती रीना ब्रजेश कुमार
श्री प्रमोद मौर्य
डा. एलहाम मोहाजर
प्रियंका रामपाल
श्री प्रेम सिंह
श्री सत्यप्रकाश
श्री सुभाष तरफदार
श्री सुधीर उपाध्याय

राज्य बहाई परिषद् पश्चिम बंगाल

श्री तबरेज़ आलम
श्रीमती जे़बा आलम
श्री सैयद अली
श्री प्रदीप भट्टाचार्य
डा0 अरिंधम चटर्जी
श्रीमती कोमल घोष
श्री बादल चन्द्र महतो
श्री संजीव महतो
श्री सुनील महतो

डा. फरजा़म अरबाब और श्री काईज़र बान्र्स कार्यमुक्त हो रहे हैं

विश्व न्याय मन्दिर
5 नवम्बर, 2012
सभी राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभाओं को विश्व न्याय मन्दिर के सदस्यों पर काम के अधिक बोझ को देखते हुए डा. फरजा़म अरबाब और श्री काईज़र बान्र्स ने प्रभुधर्म के सर्वोच्च हित में प्रार्थनापूर्ण सोच-विचार कर और काफी उम्र हो जाने के कारण इस बात की अनुमति के लिये निवेदन किया है कि विश्व न्याय मन्दिर की सदस्यता से, इसके संविधान की धारा V.2 (c) के आधार पर उन्हें कार्यमुक्त किया जाये।
काफी दुःख के साथ विश्व न्याय मन्दिर ने इन अत्यन्त प्रिय सदस्यों के त्याग-पत्र स्वीकार किये हैं। डा. अरबाब विश्व न्याय मन्दिर के सदस्य के रूप में सन् 1993 में पहली बार निर्वाचित हुए थे और श्री बान्र्स सन् 2000 में। दोनों रिज़वान 2013 में होने वाले ग्यारहवें अंतर्राष्ट्रीय बहाई अधिवेशन के दौरान विश्व न्याय मन्दिर के चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने की तारीख तक काम करते रहेंगे।
प्रेमपूर्ण शुभकामनाओं के साथ
विश्व न्याय मन्दिर

Tuesday, December 11, 2012

Website of the Regional Baha'i Council of Bihar & Jharkhand

भारत में बहाई धर्म

भारत, बहाई धर्म से इसके उद्भव सन १८४४ से ही जुड़ा हुआ है, जिन १८ पवित्र आत्माओं ने \\\'महात्मा बाब \\\' , जो कि  \\\'भगवान बहाउल्लाह\\\' के अग्रदूत थे, को पहचाना और स्वीकार किया था, उन में से एक व्यक्ति भारत से थे.

आज लगभग २० लाख बहाई , भारत देश की महान विविधता का प्रतिनिधित्व, भारत के हर प्रदेश में  १०,००० से भी अधिक जगहों पर रहते हुए कर रहे हैं. 

" बहाउल्लाह " (1817-1892) बहाई धर्म के ईश्वरीय अवतार हैं. उन्हें बहाईयों द्वारा इस युग के दैवीय शिक्षक तथा ईश्वरीय अवतारों की कड़ी में सबसे नए अवतार, के रूप में माना जाता है जिन्होंने इस पृथ्वी के निवासियों को अपने दैवीय ज्ञान से प्रकाशित किया है. इस कड़ी में अब्राहम, मोज़ेज, भगवान बुद्ध, श्री कृष्ण, ज़ोरास्टर, ईसा-मसीह और मुहम्मद जैसे दैवीय शिक्षक थे.

" बहाउल्लाह " के सन्देश की मुख्य अवधारणा थी  कि सम्पूर्ण मानव एक जाति है और वह समय आ गया है, जब वह एक वैश्विक समाज में बदल जाये. " बहाउल्लाह " के अनुसार जो सबसे बड़ी चुनौती इस पृथ्वी के नागरिक झेल रहे है, वह है उनके द्वारा अपनी एकता को स्वीकार करना  और उस सम्पूर्ण मानवजाति की एकता की प्रक्रिया में अपना योगदान देकर सदैव प्रगति करने वाली सभ्यता को आगे बढ़ाना.

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Friday, November 30, 2012

The development of relations with journalists and the media at the national level

30 August 2010

This paper, prepared by the Office of Public Information of the Bahá’í International Community, sets out some initial thoughts on the question of building relations with the media at the national level. The ideas it contains, which will no doubt evolve as learning is gained in the coming months and years, may be of particular interest to national Offices of External Affairs.
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Bahá’ís around the world have, to varying degrees, made attempts to use the media to proclaim the name of the Faith, to attract souls who might be receptive, and to generally make known the aims and existence of the Bahá’í community.

The purpose of this paper is to offer a few preliminary thoughts on how the development of relations with the media can support and reinforce the major areas of activity of the Bahá’í community. It seems important to acknowledge at the outset that many of the values which seem to underpin the work of the media today—an attachment to sensationalism, preoccupation with short-term concerns, and attraction to controversy, to name but a few—will likely present certain challenges in this regard. It is hoped that Bahá’ís making efforts in this field will be able to engage in learning about using the media to reinforce the efforts of the Bahá’í community in ways that are consistent with its beliefs and activities.

The question of “newsworthiness”

For a story to be considered newsworthy by journalists, it generally needs to be seen as unusual, interesting and current. Unfortunately, this often leads to a focus on controversy and contention. While the persecution of the believers in Iran, such as the imprisonment of the former members of the Yárán, can meet the accepted criteria for newsworthiness from time to time, the longer the detention continues the more difficult it becomes to maintain media interest. To try to tell the story of Bahá’ís endeavouring to make a contribution to the material and spiritual well-being of the neighbourhoods and villages in which they reside might well provide an even greater challenge.

One area for further exploration may be human interest stories, as these are not always subject to the normal rules of newsworthiness. Human interest stories appeal to emotion; television news programmes often place an unusual story at the end of the show and newspapers may have a section dedicated to interesting human items.

Relationship building

Occasionally, a national Bahá’í community can find itself suddenly thrust into the limelight as a result of unexpected circumstances which are considered newsworthy by the media. In most cases, however, such stories do not necessarily give us an opportunity to talk much about what the Faith stands for or its work in the world.

Significant media coverage is more likely to come about after a long and patient process of relationship building between a Bahá’í functioning under the guidance of the institutions—often a member of the Office of External Affairs—and media professionals. It should not be expected that a patiently-built contact may result in more than one feature article or a substantial piece of radio or television coverage; the media rarely returns to the same subject more than once unless events are keeping that subject in the public eye for an extended period.

In building a relationship with a media professional it seems helpful for those involved to acquire a sound knowledge of the media landscape, including an awareness of the different types of newspapers, magazines, radio and television programmes and Web sites that are available in the country, particularly those where it is felt that some Bahá’í content or input might naturally be included. The various journalists, reporters, editors and producers within such media can be identified, along with whether they have a specialised interest in particular fields where the Bahá’í community has something to offer—such as education, religious issues, international news or social affairs.

Relationships can be built in a variety of ways. Larger metropolitan areas—particularly capital cities—will have a range of events and press conferences where journalists gather. Experienced individuals may find such venues fertile arenas for friendly contact to be made.

Another strategy can be to introduce oneself through a telephone call or email and offer the chance for a meeting. Such an approach is not likely to result in immediate coverage after every meeting or briefing but it does seem important to develop the relationship and convey information of developments. Those who have already written about the Faith could be approached with a message of gratitude and the offer of a further briefing about the community. Some broadcasters are happy for visitors to come and watch a programme being recorded or transmitted which also allows a little time to make or strengthen a contact.

The content of media coverage of the Bahá’í community

Certain questions naturally arise about the content of Bahá’í media coverage. What do stories that are published say about the Bahá’í community’s evolving understanding of its activities to contribute to the advancement of civilization? Do they present an image of a religious community in a learning mode: outwardly-oriented, dynamic, evolving, and collaborative? Or, conversely, do they reinforce the image of an exclusive group with an unfamiliar name, observing its own laws and holy days that appear alien to the daily experience of most people?

To accurately describe a community committed to processes of learning is a challenging task. To do so, it seems we will need to find a way of sharing our vision and convictions knowing that the contemporary media is often more interested in people than in ideas; in conflict than in harmony. One idea might be to gain experience in producing stories and articles which, while ostensibly focussed on an individual’s life or activities, serve to elaborate Bahá’í concepts such as justice, the oneness of humankind and the equality between women and men.

There are likely to be many means of generating media interest, including: a home-grown perspective on developments in Iran, especially if a relative of a victim is living within the country; an event such as a climate change or interfaith conference that has significant Bahá’í participation; Bahá’ís making a contribution to various fields of human endeavour; features associated with the Holy Places, a House of Worship or the opening or anniversary of a Bahá’í property; significant dates associated with the history of the Faith; and the Bahá’í community’s involvement in events and occasions, such as Violence against Women Awareness month, Human Rights day and the like. A features editor may be attracted by a profile of a Bahá’í author linked to the publication of a new book, explorations of interracial marriage, stories about parenting and education, or individuals coping with illness and bereavement, among others.

Of course, in all instances, it seems important to maintain a sense of scale and degree of humility about the efforts of the Bahá’í community in a given field. In this connection, it may prove useful to pause and reflect on an extract from the Riḍván message of 2010:

Moreover, care should be exercised to avoid overstating the Bahá’í experience or drawing undue attention to fledgling efforts, such as the junior youth spiritual empowerment programme, which are best left to mature at their own pace. The watchword in all cases is humility. While conveying enthusiasm about their beliefs, the friends should guard against projecting an air of triumphalism, hardly appropriate among themselves, much less in other circumstances.

Possible areas for further exploration

Letters to the editor

A fruitful activity in some countries has been the drafting of a letter, perhaps related to the human rights situation in Iran or a topical social issue, which can be circulated and signed among high-level contacts and experts and published on the letters page of a prestigious newspaper. The letter might generate further discussion on the Web page of the newspaper and form the basis of a press release that the Bahá’í community can use for further publicity through mail out or posting on their own national news Web pages.

Magazines and feature sections

Magazines and feature sections of newspapers potentially offer more scope than the news pages for Bahá’í stories to be told. Section editors of a newspaper or magazine can be identified and relationships developed. Since many features for magazines and newspapers are contributed by freelance journalists, it is also possible to pitch stories commissioned from competent Bahá’í writers.

Radio

There may be many opportunities for Bahá’ís to contribute through radio programmes, especially as talk radio stations and news broadcasters increasingly need to find a constant flow of material to service round-the-clock broadcasting. Radio stations may be able to devote more time and attention to religious programming than television and the press. For example, many broadcasters offer the opportunity for a “Thought for the Day” or daily reflection spot. In some places, Bahá’ís have become regular and popular contributors to such features, offering two- or three-minute presentations which bring an understanding of the writings to bear on a topical issue.

Podcasts

A related audio medium is that of the podcast. Some national newspapers and broadcasters now produce regular podcasts which are available online. In some instances, Bahá’ís have appeared as guest interviewees on such podcasts, speaking about such subjects as science and religion.

Documentaries and features

Television is, of course, a medium with a particular emphasis on visual imagery. In most cases, the Bahá’í community does not make for particularly compelling television since our practices generally lack ritual compared to those of other faith communities. However with the proliferation of television channels, digital stations and online broadcasting, there appear to be more opportunities to make use of television. Where circumstances and resources permit, it may be timely to look for opportunities to approach television channels and production companies to see if there might be interest in developing documentaries and features about the experience of the Bahá’í community.

Persian language and Arabic media

In some countries, there may be opportunities to engage with the Persian language and Arabic media. In consultation with the National Spiritual Assembly, it may be possible for Offices of External Affairs to work closely with a small group of friends competent in these languages to investigate possibilities for telling our story through these avenues.

Journals for external audiences

Where sufficient resources exist, the periodic publication of a journal aimed at an external audience can be an effective and useful communication tool—One Country being an example at the international level.

Such bulletins can be presented to diplomatic, governmental, parliamentary, media and NGO contacts. Coverage in these journals tends to favour national responses to the latest developments in Iran and elsewhere where the Bahá’ís are suffering persecution; reports of a national Bahá’í and the media at the national level community’s work engaging with society in the discussion of topical issues; statements by the Bahá’í International Community or the National Spiritual Assembly on a contemporary matter of concern; stories of the work and activities of members of the national Bahá’í community; profiles of Bahá’ís engaged in the life of society including the arts, as well as book and arts reviews.

National Bahá’í news service

Several national communities have now started an online news service. This can become a platform for sharing statements and comments with the media, and provide the general reader with a regularly updated source of stories, reflecting the life and interests of the national Bahá’í community.

Conclusion

This paper has focussed on the question of building relations with the media at the national level. The main benefit of such efforts may not be the immediate appearance of Bahá’í stories in the news, but rather that trust and credibility can be established. For a journalist to have a trusted Bahá’í contact can pay dividends in the long term. It can ensure that when the Bahá’í community does become the focus of attention, the media will not solely work with the declarations of our detractors but have an authoritative and authentic contact to whom they are willing to turn for other aspects of the story.

Thursday, November 15, 2012

बहाई अकादमी में रिक्तस्थान

बहाई अकादमी (www.bahaiacademy.org) पंचगणी, नीचे लिखे खाली पदों के लिये सक्रिय और समर्पित सेवा देने के इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित करता है। बहाई अकादमी उच्च स्तरीय शिक्षा देने वाले संस्थानों द्वारा नैतिक शिक्षा देने के क्षेत्र में शोध और समाधान के कार्य में संलग्न है। सम्प्रति ‘‘सार्वभौमिक मानवीय नैतिक मूल्यों’’ से सम्बन्धित इसके कार्यक्रम छः विश्वविद्यालयों और सम्बद्ध महाविद्यालयों में चलाये जा रहे हैं।

आवेदक को सामान्यतः 
1. रूही किताबों के शिक्षक के रूप में परिपक्व और सेवाभाव सम्पन्न होना चाहिये, 
2. अंग्रेजी माध्यम से कक्षाओं के संचालन में कुशल होने के साथ-साथ राष्ट्रीय तथा स्थानीय भाषाओं का ज्ञान होना चाहिये 
3. सम्प्रेषण - कुशलता के साथ-साथ खुद से पहल करने की क्षमता और सक्रियता तथा परिश्रमी होना चाहिये,
4. इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलाजी का अच्छा ज्ञान होना चाहिये, 
5. 25 से 35 साल के आयु वर्ग में होना चाहिये। कम समय के लिये सेवा देने वालों की तुलना में अधिक समय (तीन साल अथवा अधिक) तक सेवा देने वालों को वरीयता दी जायेगी।

रिक्त स्थानों का विवरण और सम्बन्धित योग्यता:
1. प्रोग्राम सुपरवाइज़र: वांछित - स्नातक अथवा मान्य डिप्लोमा/न्यू एरा टीचर्स टेनिंग सेंटर का प्रमाण पत्र
2. प्रोग्रम ऑफिसर: वांछित - स्नातकोत्तर डिग्री। एम. एस. डब्ल्यू , बी. एस. डब्ल्यू अथवा व्यावसायिक डिग्री। यह पद एक लेक्चरर (सहायक प्रोफेसर) के बराबर है। प्रोग्राम सुपरवाइज़र की पदोन्नति अकादमी में आने के बाद वांछित अनुभव एवं योग्यता प्राप्त कर प्रोग्राम ऑफिसर के रूप में हो सकती है।
3. आई. टी. विशेषज्ञ: वांछित - कंम्यूटर अप्लांयसेज़ में स्नातक, अनुभव प्राप्त आवेदक को वरीयता दी जायेगी।
4. प्रोग्राम/शोध संयोजक और विषय प्रशिक्षक: अच्छे अंकों के साथ स्नातकोत्तर डिग्री अथवा इससे उच्चतर योग्यता वांछित योग्यता है अथवा शोध-कार्य संचालन के अनुभव के साथ स्नातकोत्तर डिग्री है। साथ ही, आवेदक को प्रकाशन सम्बन्धी जानकारी होनी चाहिये। आवेदक को सीखने की लगन और विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण की योग्यता होनी चाहिये। प्रोग्राम ऑफिसर की प्रोन्नति अनुभव और योग्यता प्राप्त करने के बाद प्रोग्राम शोध/संयोजक के रूप में की जा सकती है। 
5. सहायक निदेशक तथा प्रशिक्षक: अच्छे अंकों के साथ स्नातकोत्तर/एम फिल डिग्री अनिवार्य है। पीएच. डी. की उपाधि वांछित योग्यता मानी जायेगी। शोध का अच्छा-खासा अनुभव तथा महाविद्यालय/ विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण देने की लगन। साथ ही, एक अच्छे प्रशासक के रूप में काम करने का अनुभव।

वैसे व्यक्ति भी आवेदन कर सकते हैं जिनके पास उपर्युक्त डिग्री अथवा सर्टिफिकेट तो नहीं है, लेकिन अपने को अन्य योग्यता/अनुभव के कारण ऊपर लिखे पदों के योग्य समझते हों। पद के अनुरूप वेतन, भत्ते और अन्य सुविधायें दी जायेगी।

अधिक जानकारी तथा आवेदन के लिये पता: 
निदेशक, बहाई अकादमी, शिवाजी नगर, पंचगणी - 412 805 जिला - सतारा, महाराष्ट्र
फोन नं. 02168-240100/241103
ईमेल - director@bahaiacademy.org

बिहारशरीफ क्लस्टर, ग्राम-डम्मरबिगहा के सुग्रीव कुमार का साँप के काटने से निधन हो गया।


अत्यंत खेद के साथ सूचित किया जा रहा है कि बिहारशरीफ क्लस्टर, ग्राम-डम्मरबिगहा के सुग्रीव कुमार जो कि अनुप्रेरक के रूप में अपनी सेवा प्रदान कर रहे थे, उनका 13 अक्टूबर 2012 को साँप के काटने से असमय निधन हो गया। वे लगभग 22 वर्ष के थे। इस दारुण समय में उनके परिवार के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त करते हुए आभा लोक में उनकी आत्मा की प्रगति के लिए प्रार्थनारत हैं।

श्री अशोक सुनार और नार्वे की सुश्री मोजदे जोदही हौसेनी का विवाह दिल्ली के बहाई भवन में सम्पन्न हुआ।

Baha'i Wedding (Nepalese & Iranian)

बहाई उपासना मन्दिर में स्वयंसेवक के रूप में सेवा दे चुके नेपाल के श्री अशोक सुनार और नार्वे की सुश्री मोजदे जोदही हौसेनी का विवाह दिल्ली के बहाई भवन में 28 अगस्त 2012 को बहाई विधिविधान के अनुसार स्थानीय आध्यात्मिक सभा, दिल्ली के तत्वावधान में सम्पन्न हुआ। इस मांगलिक बेला के अवसर पर बहाई मित्रगण, रिश्तेदार और परिजन भी उपस्थित हुए।

दार्जिलिंग के रूहिया स्कूल में 2 अक्टूबर 2012 को एक समीक्षा बैठक आयोजित की गइ

दार्जिलिंग के रूहिया स्कूल में 2 अक्टूबर 2012 को एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें सहायक मण्डल सदस्यों सहित लगभग 40 मित्रों ने भाग लिया। सभी मित्रों ने पिछले चक्र के दौरान प्राप्त हुए अपने अनुभवों को एक-दूसरे के साथ बांटा और अगले चक्र के लिए योजना बनाई। इसी दौरान रूहिया स्कूल की दसवीं कक्षा की छात्रा ने प्रभुधर्म में अपनी आस्था व्यक्त की।

गुड़गाँव की गतिविधियाँ

पिछले महीने दिल्ली भ्रमण पर गये गुड़गाँव के तेहत्तर युवाओं का एक दल
गुड़गाँव में पिछले कुछ दिनों से संस्थान प्रक्रिया ने गति पकड़ी है। इसका एकमात्र कारण है गुड़गाँव के बारह युवाओं के एक दल का बहाई उपासना मन्दिर जाना और वहाँ रह कर एक सप्ताह का प्रशिक्षण पाना। इन युवाओं ने रूही पुस्तक एक, तीन और पाँच का प्रशिक्षण पाया और वापस आकर पूरे जोश के साथ विभिन्न गतिविधियों से वे जुड़ गये। प्राप्त सूचना के अनुसार गुड़गाँव में फिलहाल नौ प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जा रहा है, जिनमें लगभग साठ प्रतिभागी नियमित रूप से भाग ले रहे हैं, किशोरों के लिये भी नौ कक्षायें चलाई जा रही हैं, जिनके प्रतिभागियों की संख्या बहत्तर है। गुड़गाँव के लक्ष्मण विहार, सूरत नगर तथा अन्य स्थानों पर बच्चों के लिये नियमित रूप से छह कक्षाओं का आयोजन इन्हीं प्रशिक्षित युवाओं द्वारा किया जा रहा है जिनमें लगभग साठ बच्चे भाग लेते हैं। रूही कक्षाओं का संचालन किरण सिन्हा और रेशमी आद्या करती है। पुतुल आद्या रूही कक्षाओं के संचालन के साथ-साथ बाल कक्षाओं और प्रार्थना सभाओं का आयोजन नियमित रूप से अपने घर पर कर रही हैं। किशोरों की कक्षाओं के अनुप्रेरकों को प्रशिक्षित करने का दायित्व भूपेश मंडल ने सम्हाला है। इस प्रकार संस्थान प्रक्रिया विकास के पथ पर आगे बढ़ रही है, लेकिन इस विकास में सबसे बड़ा योगदान वहाँ के युवक- युवतियों का है जो अन्य युवाओं को गतिविधियों से जोड़ने के उद्देश्य से हाल ही बहाई उपासना मंदिर, इन्डिया गेट और कृषि विज्ञान संग्रहालय की सैर पर गये। इन युवाओं की संख्या तेहत्तर थी, जिन्होंने पूरे दिन की सैर की और बहाई गतिविधियों की उपयोगिता के बारे में जाना-समझा। इन युवाओं की प्रेरणा है रग्घु और राकेश जो अपनी पढ़ाई और काम के साथ-साथ इन गतिविधियों के प्रति समर्पित है। गुड़गाँव की गतिविधियों का निरीक्षण बहुत नज़दीक से सहायक मंडल सदस्या भावना चैरसिया करती रहती हैं, जो अक्सर गुड़गाँव की बाल-कक्षाओं और युवा सशक्तिकरण कार्यक्रमों के बीच होती हैं। हाल ही स्थानीय आध्यात्मिक सभा को भेजे गये एक ई-मेल में भावना चैरसिया ने लिखा है कि गुड़गाँव में युवाओं के उत्साह को देखकर प्रसन्नता होती है। इनके उत्साह को बनाये रखने का दायित्व स्थानीय आध्यात्मिक सभा का है। सभा के सदस्यों को खासतौर से सलाह देते हुए उन्होंने लिखा है कि उन्हें वैसे मित्रों के घरों में जाकर प्रभुधर्म के बारे में बातें करनी चाहिये जो बहाई उत्सवों के अवसर पर आते रहे हैं, या फिर जिनके लड़के-लड़कियाँ, युवा अथवा बाल कक्षाओं में शामिल हो रहे हैं। सम्भव हो तो ऐसे अभिभावकों की एक अलग बैठक का आयोजन किया जाये।

Download Baha'i Calendar for 2013

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Monday, June 4, 2012

Mr. Nayson Olyai has resigned from the NSA

राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा मित्रों को बताना चाहती है कि व्यक्तिगत कारणों से डॉ. नेसान ओल्याई ने सभा की सदस्यता से अपना त्यागपत्र प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा ने इसे खेदपूर्वक स्वीकार कर लिया है और राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा में एक रिक्त स्थान की घोषणा कर दी है। इस परिस्थिति में अब उपचुनाव करवाया जा रहा है।
The National Spiritual Assembly wishes to inform friends that due to personal circumstances, Dr. Nayson Olyai has submitted his resignation from membership on the Assembly.

Tuesday, May 22, 2012

Declaration of the Báb (Herald of Bahá’u'lláh)

The Báb in Shiraz, Persia (now Iran)—announced on May 22, 1844, that He was the bearer of a Divine Revelation which would prepare humanity for the advent of the Promised One of all religions.
On the evening of May 22, Baha’is throughout the world commemorate the Declaration of the Bab, which took place in the Persian city of Shiraz in 1844. That Promised One, the Báb declared, was destined to usher in the age of justice, unity and peace promised in Judaism, Christianity, Islam and all the other world religions. Bahá’u'lláh, one of the Báb’s leading advocates, announced in April 1863 that He was the Divine Messenger the Báb had promised.
It seemed as if a new spiritual age was about to begin.
He quickly attracted thousands of followers.
Soon the Báb and His followers were persecuted by the religious and political leaders. The Bab was imprisoned, exiled, beaten and finally executed. The followers, by the thousands, were tortured and martyred.
Despite the opposition, the Báb’s religion survived. Most of the Báb’s followers embraced Bahá’u'lláh’s announcement that He was the One promised by the Báb. The religion, known as the Bahá’í Faith after Bahá’u'lláh’s declaration, continued to expand although persecutions also continued.
Today, the Bahá’í Faith has more than five million followers from every part of the world, drawn from every class of society and nearly every religion.
Bahá’ís celebrate the anniversary of the Báb’s declaration through prayers and programs where the story of His declaration may be retold. It is one of nine holy days in the Baha’i calendar when Bahá’ís suspend work or school. Its observation begins at about two hours after sunset on May 22. 

Wednesday, April 18, 2012

बाल मेले में बहाई पुस्तकें प्रदान की गईं

जमशेदपुर क्लस्टर में आयोजित बाल मेले में भाग लेने वाले प्रतिभागी 
श्री चैधरी ने बच्चों के नैतिक तथा आध्यात्मिक गुणों का क्या लाभ है और ये क्यों जरूरी हैं इस पर अपने विचार व्यक्त किये। तत्पश्चात श्री अभिनन्दन शर्मा के द्वारा श्री विपिन यादव को और श्री ओमप्रकाश चैधरी द्वारा श्री कपिलदेव बाबा एवं शिक्षक श्री चमरू प्रसाद यादव को भेंट स्वरूप कुछ बहाई पुस्तकें प्रदान की गईं। इस मेले में 28 शिक्षक एवं शिक्षिकायें, 312 बच्चे, 150 पुरुष अभिभावक, 200 महिला अभिभावक एवं 30 किशोर उपस्थित हुए। इस मेले में लगभग 700 से ज्यादा मित्रों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।

अय्याम-ए-हा के दिनों में वृद्धाश्रम के संस्थापक और ट्रस्टी सहित सभी को बहाई धर्म के बारे में बताया।

विशाखापट्टनम के बहाई समुदाय की आरे से उपवास से पहले अय्याम-ए-हा के दिनों में जरूरतमंदों को कपड़े और भोजन आदि वितरित किया। एक अस्पताल के प्रसूति वार्ड में जाकर मरीजों को संतरे बांटे और उन्हें धर्म के बारे में संक्षिप्त रूप से बताया और कुछ प्रार्थनायें भी कीं। इसके साथ ही उन्होंने एक वृद्धाश्रम का भ्रमण भी किया, वहाँ जाकर उन्होंने 16 लोगों को बिस्कुट के पैकेट बांटे और इस संगठन के संस्थापक और ट्रस्टी सहित सभी को बहाई धर्म के बारे में बताया।

भोपाल में बहाई बाल कक्षाएँ

भोपाल के पड़रिया यूनिट में चल रही बहाई बाल कक्षाओं एवं सम्पुष्टि सामुदायिक स्कूल के बच्चों का एक बाल मेला पड़रिया के ही शासकीय उच्चतम माध्यमिक विद्यालय के सभागृह में बड़े ही उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ। इस आयोजन में लगभग 135 बच्चे एवं उनकी 60-65 माताएँ तथा 10-15 युवा मित्र शामिल होकर बच्चों एवं किशोरों द्वारा प्रस्तुत रंगारंग कार्यक्रम को देखकर आनन्दित हुए।

पश्चिम बंगाल के मालदा गांव में एक भक्तिपरक बैठक का आयोजन किया गया

जिसमें लगभग 400 मित्रगण उपस्थित हुए। किशोरों और युवाओं द्वारा ‘पीठ पीछे बुराई’ विषय पर एक नाटक भी प्रस्तुत किया। उपस्थित लोगों को बहाई धर्म का प्रत्यक्ष शिक्षण दिया गया। कार्यक्रम के समापन पर 20 लोगों ने प्रभुधर्म में अपनी आस्था व्यक्त की।

बहुत ही आध्यात्मिकता के साथ नवरूज़ का पर्व मनाया

20 मार्च 2012 की शाम को दिल्ली में पड़ोसी समुदायों द्वारा बहाई भवन में बहुत ही आध्यात्मिकता के साथ नवरूज़ का पर्व मनाया। इस सुअवसर पर लगभग 140 मित्रगण शामिल हुए। सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान अनुभवी मित्रों द्वारा गीत-संगीत, नृत्य और लघुनाटिका प्रस्तुत की गई। नवरूज़ पर एक विडियो दिखाया गया जिसका सभी ने आनन्द लिया। रात्रिभोज में आतिशबाजी ने नवरूज़ के उत्साह और अधिक बड़ा दिया।

मणिपुर के पनगंताबी क्लस्टर में संस्थान प्रक्रिया त्वरित करने में पायनियर ने दिया सहयोग

10 अक्टूबर 2011 को एक युवती, इनाओ, खंगाबोक क्लस्टर से पनगंताबी में पायनियरिंग के लिए उस क्लस्टर में विकास प्रक्रिया को मजबूत करने की इच्छा से गई। उसकी योजना थी कि वो एक वर्ष तक क्लस्टर में रहे। पिछले डेढ़ साल से पनगंताबी क्लस्टर एक जीवंत समुदाय बनाने में समर्थ नहीं हो पाया व संस्थान प्रक्रिया भी धीमे थी, जबकि यह वह क्लस्टर है जिसने पहले अपना विकास कार्यक्रम लागू किया था, तुरंत पनगंताबी क्लस्टर में बस जाने के बाद उसने देखा कि क्लस्टर में केवल 2 किशोर कार्यक्रम व 2 बच्चों की कक्षाएँ थीं। जिस जगह वह रह रही है वहाँ स्थानीय आध्यात्मिक सभा भी है। उसने स्थानीय आध्यात्मिक सभा के साथ परामर्श किया और मित्रों को कुछ गतिविधियाँ बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। स्थानीय आध्यात्मिक सभा के सदस्यों ने भक्तिपरक बैठकों का आयोजन किया।
एक विशेष बैठक अक्टूबर 2011 में एक अन्य छोटे से गाँव में आयोजित की गई जहाँ 11 मित्र जो वहाँ विद्यमान शिक्षक व मूल अनुयायी हैं वे अपने क्लस्टर की आवश्यकताओं से संबंधित परामर्श करने के लिए आए। इन उत्साहित मित्रों के समूह को ये अनुभूति हुई की इन्हें क्लस्टर में मानव संसाधन बढ़ाने होंगे। इन मित्रों ने नवम्बर व दिसम्बर 2011 में 70 लोगों के साथ शिक्षण करने की योजना बनाई। नवम्बर से दिसम्बर बालक व बालिकाओं के अवकाश का समय होने के कारण उन्होंने निश्चय किया कि वे इन युवाओं (पनगंताबी गाँव के) से पूरे नवम्बर व दिसम्बर के प्रथम दो सप्ताह बातचीत करेंगे। उन्होंने इस गाँव के अभिभावकों व युवाओं के साथ गाँव के बच्चों की आध्यात्मिक शिक्षा के महत्व के बारे में विचार बाँटे बातचीत का उद्देश्य था विस्तृत समुदाय के युवाओं को प्रोत्साहित करें की वे बच्चों की कक्षाओं के शिक्षकों के रूप में सेवा दें।
इन डेढ़ महीनों में इनाओ व पाँच मित्र जो अधिकतर बच्चों की कक्षाओं के शिक्षक हैं, उन्होंने पनगंताबी गांव में 40 युवाओं एवं वांगपोकपी गाँव के 8 युवाओं और उनके परिवारों से बातचीत की। क्लस्टर के सहायक मण्डल सदस्य भी इन भ्रमणों व अन्योनयक्रिया के दौरान उनके साथ थे। सभी मित्रों को एक ही अभियान में लाना चुनौती बन गई। तब उन्होंने यह निर्णय लिया कि एक के बाद एक (19 दिसम्बर से 22 जनवरी 2012 तक) दो अभियान करेंगे।
यह बहुत बड़ी सफलता थी कि पनगंताबी गाँव में आयोजित रूही संस्थान की पुस्तक 1 से 3 के अभियान में 18 मित्रों ने पुस्तक-1 के समाप्त होने पर प्रभुधर्म को स्वीकार किया। पनगंताबी क्लस्टर में अभियान के बाद 13 नई बच्चों की कक्षायें आरंभ हुईं। इनमें से 10 नियमित भक्तिपरक बैठकें अपने घर में आयोजित कर रहे हैं। यह अभियान वास्तव में पड़ोसी दो क्लस्टरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बना। जब उन्होंने इस अभियान में युवाओं की ग्रहणशीलता देखी, तो वे अपने क्लस्टर में युवाओं से बातचीत शुरू करने की योजना बनाने लगे।
इन नई बच्चों की कक्षाओं के परिणाम से उत्पन्न उत्साह व ऊर्जा ने पनगंताबी क्लस्टर को नया जीवन प्रदान किया है। 19 दिवसीय सहभोज नियमित रूप से आयोजित हो रहे हैं। दो अध्ययन वृत्त कक्षायें, फरवरी 2012 के महीने में आरंभ हुईं और दो प्रतिभागियों ने पाठ्यक्रम के प्रथम दिन प्रभुधर्म में अपनी आस्था व्यक्त की। वर्तमान में पायनियर व 5 मित्रों के समूह, समुदाय में चल रहीं 15 बच्चों की कक्षाओं और भक्तिपरक बैठकों के साथ संलग्न हैं। वे शिक्षकों को पाठ योजना बनाने में व अभिभावकों से मिलने में सहयोग देते हैं। हम इन मित्रों के दल में ‘‘व्यक्तियों के केन्द्र का विस्तार’’ को पनगंताबी क्लस्टर में देख सकते हैं।
पनगंताबी क्लस्टर को अब चल रही बच्चों की कक्षाओं को मजबूत करने की आवश्यकता है। 

रिज़वान के पहले दिन आध्यात्मिक सभा का चुनाव करें

पर्वराज रिज़वान का त्यौहार करीब आ चुका है। एक ओर जहाँ हम आध्यात्मिक उल्लास मनाते हैं वहीं दूसरी ओर अपने आध्यात्मिक दायित्व को रिज़वान के पहले दिन पूरा करते हैं। अपने आध्यात्मिक दायित्व को हम जानते हैं। हमारा आध्यात्मिक दायित्व है स्थानीय आध्यात्मिक सभा के चुनाव में हिस्सा लेना। यह काम खास तौर पर उन समुदायों के लिये जरूरी है जहाँ आमतौर पर आध्यात्मिक सभाओं के प्रति जागरूकता उतनी नहीं हुआ करती, जितनी विकसित अथवा विकासशील समुदाय समूहों में होती है।
विश्व न्याय मंदिर ने 17 जुलाई 2003 के अपने पत्र में इस बात पर चिन्ता व्यक्त की थी कि भारत में स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं की संख्या में गिरावट आई है। प्राप्त आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि पिछले कुछ सालों से स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं की संख्या लगातार कम होती चली जा रही है। सर्वोच्च संस्था की चिन्ता हम सब की चिन्ता का विषय होना चाहिये।
राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा ने राज्य बहाई परिषदों और राज्य प्रशासनिक समितियों को लिखे गये 16 मार्च 2004 के अपने पत्र में इस विषय की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया था।
विश्व न्याय मंदिर ने 31 दिसम्बर 1995 के अपने पत्र में लिखा था कि स्थानीय आध्यात्मिक सभा का चुनाव मुख्य रूप से क्षेत्र विशेष के बहाइयों का दायित्व है। सन् 1997 से पूरी दुनिया में स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं का चुनाव केवल रिज़वान के पहले दिन ही किया जा रहा है अर्थात् 20 अप्रैल के सूर्यास्त के बाद और 21 अप्रैल के सूर्यास्त के पहले का समय आध्यात्मिक सभाओं के चुनाव का समय पूरी दुनिया के बहाई समुदाय के लिये निर्धारित किया गया है।
आप जानते हैं, बहाई चुनाव पूरी तरह से आध्यात्मिक माहौल में होता है, इस पर राजनीतिक चुनाव अर्थात् प्रचार, उम्मीदवारी आदि की काली छाया नहीं पड़नी चाहिये। आप यह भी जानते हैं कि प्रत्येक वयस्क बहाई (21 वर्ष अथवा इससे अधिक उम्र के) चुनाव में मतदान करते हैं। आप यह भी जानते हैं कि वैसे नौ लोगों के नाम हम मतपत्र पर लिखते हैं जिनकी प्रभुधर्म के प्रति वफादारी असंदिग्ध होती है, जो अनुभवी और समर्पित होते हैं। आइये यह जानें कि एक बहाई का सम्बन्ध स्थानीय आध्यात्मिक सभा के साथ क्या होना चाहिये। अब्दुल-बहा ने इस सम्बन्ध में लिखा है: ‘‘.....हर व्यक्ति के लिये यह आवश्यक है कि आध्यात्मिक सभा से परामर्श किये बगैर कोई भी कदम वह न उठाये और पूरे तन-मन से उसके आदेश के प्रति आज्ञाकारी बना रहे, ताकि सब कुछ व्यवस्थित ढंग से चल सके।’’ धर्मसंरक्षक का मार्गनिर्देश कुछ इस प्रकार है: ‘‘बिना किसी अपवाद के सब को, प्रभुधर्म के हित के सभी विषय व्यक्तिगत रूप से या सामूहिक तौर पर उस स्थान की आध्यात्मिक सभा के पास ले जाना चाहिये, जो उस पर निर्णय लेगी..मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ और इस सिद्धांत के पक्ष में हूँ कि कुछ खास व्यक्तियों को वह केन्द्र नहीं बना लिया जाना चाहिये, जिनके गिर्द पूरा समुदाय चक्कर लगाये...’’ और अब जानें की आध्यात्मिक सभा का अपने अनुयायियों के साथ क्या सम्बन्ध होता है: ‘‘ जिन्हें मित्रों ने स्वतंत्रतापूर्वक और सोच-समझ कर अपने प्रतिनिधि के रूप में चुना है उनके कर्तव्य उनसे कम महत्वपूर्ण और नियंत्रणकारी नहीं हैं जिन्होंने उन्हें चुना है। उनका कर्तव्य आदेश देना नहीं, अपितु परामर्श करना है और केवल अपने बीच परामर्श नहीं करना है, अपितु जहां तक सम्भव हो उन मित्रों के साथ भी परामर्श करना है जिनका वे प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें अपने को प्रभुधर्म की सर्वाधिक प्रभावशाली और गरिमामय प्रस्तुति के साधन के अतिरिक्त कुछ और नहीं मानना चाहिये।.... उन्हें अपने कार्यों के प्रति अत्यन्त विनम्र रहना चाहिये और खुले दिमाग से यह कोशिश करनी चाहिये कि किस प्रकार मित्रों का कल्याण हो, प्रभुधर्म के हित में कार्य किया जाये, मानवता की भलाई की जा सके और किस प्रकार न केवल उनका विश्वास, सच्चा समर्थन तथा सम्मान वे प्राप्त कर सकें, जिनकी सेवा उन्हें करनी चाहिये, अपितु उनका सच्चा स्नेह और प्रेम भी वे पा सकें।’’

पंचगणी में आईएसजीपी सेमिनार

दा इन्स्टीट्यूट फॉर स्टडीस इन ग्लोबल प्रॉस्पेरिटी (आईएसजीपी) की ओर से विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए 25 दिसम्बर 2011 से 3 जनवरी 2012 तक एक सेमिनार का आयोजन पंचगणी के न्यू ऐरा शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र में किया गया। इसका विषय था ‘‘समाज के प्रचलित संवाद में भाग लेना।’’ इस सेमिनार में आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, सिक्किम, कर्नाटक, दिल्ली और तुर्कमिनिस्तान से आये 9 युवाओं न भाग लिया।
इस सेमिनार का उद्दश्य युवाओं में समाज के संवादों में भाग लेने की क्षमता को बढ़ाना और उन्हें भौतिक वातावरण से दूर रहने में सहायता प्रदान करना था जो वे विश्वविद्यालयों में पाते हैं।
इस सेमिनार से युवाओं को विचार और कार्य करने के एक ढांचे के लिए आवश्यक कुछ अवधारणों पर चर्चा करने का अवसर प्राप्त हुआ। जैसे-सामाजिक कार्रवाई पर विमर्श की अवधारणा, व्यक्ति की सही प्रकृति को समझना और कैसे वह अपने व्यवस्थित पर्यावरण के साथ जुड़ा है, इत्यादि। सेमिनार के आरम्भ में युवाओं ने इन विषयों पर समीक्षा की और उसी दौरान सेवा के कार्यों द्वारा सभ्यता के विकास की प्रक्रिया को विकसित करने की अपनी मंशा की पुष्टि की।
हालांकि कुछ अवधारणायें समझने में कठिन थीं परन्तु प्रतिभागी सक्रिय रूप से सीखने की प्रक्रिया में व्यस्त रहे आरै स्नेहमय वातावरण में एक-दूसरे की सहायता करते रहे। इस सेमिनार का एक उद्देश्य युवाओं की बौद्धिक क्षमताओं के साथ-साथ उनकी भाषा की क्षमताओं को बढ़ाना भी था।
यह सेमिनार बहाई समुदाय द्वारा बनाये गये सामाजिक, आर्थिक विकास और सामाजिक संवाद में भाग लेने के क्षेत्र में युवाओं के प्रयासों की विशेषताओं की शुरूआत है।
इस सेमिनार में प्रत्येक दिन बाहर खेले जाने वाले खेल का समय निधारित था। यह दिनचर्या का एक हिस्सा बन गया था जिसका सभी प्रतिभागी इंतजार करते थे।
कुल मिलाकर यह सेमिनार बहाई समुदाय के सं दर्भ में सामाजिक परिवर्तन और कार्य में योगदान करने के लिए प्रतिभागियों की समझ और प्रतिबद्धता को मज बूत बना ने के लिए एक लाभदायक अनुभव था।

State/Regional Bahá'í Councils for 2011-2012

ANDHRA PRADESH
1. Mr. V. Devikumar
2. Mrs. E. Mamatha
3. Mr. S. Kalyani Sudhakar
4. Mr. P. Gopinath
5. Mrs. Y. Savithri Reddy
6. Mr. K. Chandrasekhar
7. Mr. Ravi. Sekhar
8. Mr. D. Balasingh
9. Mr. N. C. Baskaran

ASSAM, NAGALAND, MEGHALAYA AND ARUNACHAL PRADESH
1. Mr. Mukesh Diwan
2. Dr. Shashikant Panigrahi
3. Mrs. Nirmali Sarmah
4. Mr. Anando Brahma
5. Mrs. Sharda Nayak
6. Ms. Nitumoni Mazumdar
7. Dr. Nani Obing
8. Ms. Sunita Rai
9. Mrs. Sebika Gogoi

BIHAR AND JHARKAND
1. Mr. Dipendra Kumar Chandan
2. Mr. Krishnanandan Prasad
3. Mr. Chotelal Babu Prasad
4. Mr. Vidya Sagar Rai
5. Mr. Nand Kishore
6. Mr. Shailendra Kumar Prasad
7. Mrs. Rekha Sinha
8. Ms. Rashmi (Pun Pun)
9. Mr. Kaushal Kumar Sharma

GUJARAT
1. Mr. Rajesh Ahire
2. Mr. Prashant Chinubhai
3. Mr. Jayesh Bhoye
4. Mr. Chetan Parikh
5. Ms. Jyoti Ahire
6. Mr. Vasant Bagul
7. Mr. Jasubhai Bhoye

KARNATAKA
1. Mr. Ravi Kiran
2. Mrs. Izzat Ansari
3. Mr. Laxmi Narayan
4. Capt. Mallikarjun
5. Mr. Chandrasekhar
6. Mr. Srinath D. T.
7. Mr. Vasanth Kumar
8. Mr. Manche Gowda
9. Mr. Balaji Rao

KERALA
1. Mr. M. Sarvananan
2. Mr. P. Gopinath Kurup
3. Mr. K. P. Srimathi
4. Mr. C. P. Balakrishnan
5. Mrs. Anitha Ponappan
6. Mr. K. P. Gopalakrishnan
7. Mr. Unnais from Thirur
8. Ms. Sujila M
9. Mr. Harindran Challan

MADHYA PRADESH AND CHATTISGARH
1. Mr. Sachin Patel
2. Dr. F. U. Shaad
3. Mrs. Lalitha Sharma
4. Mrs. Manna Dey
5. Mr. Jaideep Mahalati
6. Mrs. Omna K. G.
7. Mrs. Roza Olyai
8. Mr. Manish Chauhan
9. Mrs. Alka Kumar

MAHARASTRAAND GOA
1. Dr. Vasudevan Nair
2. Mr. Zia Eshraghi
3. Mr. Sandeep Gore
4. Mr. Siamack Zahedi
5. Mr. Pooya Movvahed
6. Mr. Sanjeev Vasta
7. Mrs. Suniti Javanmardi
8. Mrs. Marzia Dalal
9. Mrs. Mahvash Rowhani

MANIPUR AND MIZORAM
1. Mr. Inaoton
2. Mr. Sidananda
3. Ms. Inao
4. Mrs. Sanatombi Devi
5. Mrs. Babita Devi
6. Ms. Machasana
7. Mr. Joseph
8. Ms. Ibemcha
9. Ms. Haribati

ORISSA
1. Mr. Susant Nayak Convenor
2. Mr. Aratbandu Swain
3. Mr. Sukanta Raut
4. Mr. Saubhagya Mohanty
5. Mr. Taranga Das
6. Ms. Gitanjali Swain
7. Mr. Shankar Mahji
8. Mr. Chandrasekhar Pradhan
9. Mr. Bibhuti Bhusan Sethi

PUNJAB, HARYANA, HIMACHAL PRADESH AND JAMMU & KASHMIR
1. Mr. Puran Katwal
2. Mr. Mohit Arun
3. Ms. Zohre Roshan
4. Mr. Vikas Chettri
5. Mr. Gulshan Arora
6. Mr. GabrielWilson
7. Ms. Homa Zamani

RAJASTHAN
1. Mr. Rajesh Meena
2. Mr. Sanjay Sharma
3. Ms. Nejat Haghighat
4. Ms. Sunita Thongram
5. Mr. Shiv Charan
6. Mr. Harmeet S Kohli (Gulshan)
7. Mr. Deepak Jagga

SIKKIM AND DARJEELING
1. Mrs. Rupa Pradhan
2. Mr. Tika Adhikari
3. Mr. H. M. Issa
4. Mr. Binod Pokhrel
5. Ms. Ranjana Pradhan
6. Ms. Hemlata Pradhan
7. Ms. Karuna Khati
8. Ms. Jasmine Chettri
9. Yankee Pradhan

TAMIL NADU AND PUDUCHERRY
1. Mr. Yuvraj (Chennai)
2. Mr. Bharat (Chennai)
3. Mrs. Malliga Karmegam (Vellore)
4. Mr. R Harikrishnan (Cuddalore)
5. Sunderamurthy (Virudhnagar)
6. Mrs. Kasturijeyam (Sivakasi)
7. Mr. Kannan (Puducherry)
8. Mr. Selvam (Kanchipuram)
9. Mr Selvakumar (Cuddalur)

TRIPURA
1. Mr. Bibhuti Ranjan Karmakar
2. Mr. Prabir Debnath
3. Mr. Bikas Dhar
4. Mr. Manish Deb
5. Mr. Uttam Mitra
6. Mr. Pankaj Dhar
7. Mr. Bandhu Prasad Roy
8. Mr. Keshab Roy
9. Mr. Alok Kar

UTTAR PRADESH, UTTRAKHAND AND DELHI
1. Mr. Prem Singh
2. Mr. Elham Mohajer
3. Mr. Sudhir Upadhyay
4. Mr. Pramod Kumar
5. Mr. Sanjeev Upadhyay
6. Mr. Satya Prakash (Bidhuna)
7. Mrs. Shaheda Shaukat
8. Mr. Ram Sevak Yadav
9. Mr. Ram Vilas

WEST BENGAL
1. Mr. Pradeep Bhattacharya
2. Mr. Bulbul Sarkar
3. Mr. Pallab Guha
4. Mr. Kamran Hemmati
5. Mr. Bablu Ghosh
6. Mr. Monishankar Maity
7. Mr. Sayyid Ali
8. Mr. Arindam Chatterjee
9. Ms. Zeba Alam

Baha'i Marriage in Mangalore

Mr. Sri Ashwin Kumar and Ms. Chaitra J. Bangera surrounded by friends and family at their wedding on
November 14th, 2011 in Mangalore.

Baha'i Marriage in Manipur

Mr. Shailesh Kangabam (S/o Kangabam Lokendro and Mrs. Shantibala) and Ms. Machasana Koijam (D/o Mr. Koijam Tomba and Mrs. Sanatombi) at their wedding on February 13th, 2012 in Manipur.

Baha'i Marriage in Kannur

Mr. Manoj Ganesh (S/o Ganesh and Laxmi) and Ms. T. Shiji Prabhakaran (D/o T. Prabhakaran and K. Sumithra) at their wedding on November 27th, 2011 in Kannur.

The Passing of Anneliese Bopp, 1921-2012

The Universal House of Justice sent the following message to all National Spiritual Assemblies on 21 February 2012: ***
“We are deeply saddened at the passing of dearly loved Anneliese Bopp, tireless promoter of the Faith of Bahá'u'lláh. Born to a family closely connected with the earliest stirrings of the Cause in Germany, she was a steadfast handmaiden of the Blessed Beauty whose efforts over so many years did much to advance His Faith on the European continent. Among her innumerable contributions was an intimate involvement in the construction of the Mother Temple in Europe, completed while she served as Secretary of the National Spiritual Assembly of Germany. In 1970 she was appointed to the Continental Board of Counsellors in Europe; nine years later she was called to serve as a Counsellor member of the International Teaching Centre, in which capacity she laboured, until 1988, with exemplary devotion. Even in her life's twilight, Anneliese attentively followed developments in the Faith and vital matters pertaining to the progress of humankind. We remember with profound admiration her indomitable spirit, her clarity of thought, her disarming candour; we grieve the loss of one of the Faith's champions.
To her family, and to all who loved her, we extend our sympathy, assuring them of our heartfelt prayers in the Holy Shrines for her soul's joyful passage into the eternal realms. We advise the holding of befitting memorial gatherings in her honour by the friends everywhere, including in all Houses ofWorship.” -The Universal House of Justice

Visit to Travancore Palace

Mr. Premarajan, Mr. Kurup, and Mr. Joshi called on the present Raja of Travancore Palace, Sree Uthradam Thirunal Marthanda Varma, on the evening of December 22 . This coincided with the 76 anniversary of Martha Root's December 21-23 visit to the Raja's elder brother (who was the king at the time) where she gave the Message of the Faith. This visit was mentioned in the book ‘Martha Root - Herald of the Kingdom’. It was considered as the first occasion when an individual in the present Kerala State had heard of the Faith. The present Raja was 12-years-old at the time. 
The Raja was very glad to see his visitors. He said that many good things started from this Palace, but nobody remembers this now. His visitors presented a few sets of books to him and he asked many questions.
One year before Martha Root's visit, the King at that time had declared "temple entry" to all castes on 12 November 1936. When the Raja was told the significance that this day holds for Bahá’ís all over the world, he expressed surprise and happiness.

Visit to Surgana Cluster

In an effort to support the growth of the cluster of Surgana, from February 5 -7 Mr. Rohit Tank, Mrs. Visit to Surgana Cluster th th Reyhana Lokhandwala, and Dr. Afsaneh Motiwala made a trip to this cluster in order to assist the pioneers of the area with the consolidation of newly declared souls. Out of the 24 who recently declared their Faith, 20 are currently taking part in the Institute Process: 10 youth in Ruhi Book 4, and 10 adults in Ruhi Book 1.
On the first day of their trip, they organized a session for Ruhi Book 1 followed by a home visit attended by four seekers; the next day, the Ruhi session had some new faces. The remainder of the weekend was spent participating in the Nineteen Day Feast and home visits.
One such home visit was with a large family who had been living near the Centre for 50 years. Several members of the family were already taking part in study circles. During the home visit, the entire family heard the message with such love that they said they were ready to help spread this knowledge in whichever way they could. They pledged to arrange for a larger group to hear the message during the visitors' next trip to the area. During this trip, the visitors also had an opportunity to listen to a story told by the pioneers regarding the significant dream of a 13-year-old junior youth in the area.
This young man had recounted that he dreamt of an elderly man on top of a brilliantly shining hill. The moon above His head was shining and He was smiling at this junior youth. As he watched, he saw that all around this man, the grass became very green, trees appeared, and a very clean river began flowing. The junior youth had recalled feeling a lot of love and joy during this dream. When he woke up, he went to see one of the pioneers and asked to see a photo of 'Abdu'l-Bahá. Having only ever heard stories about Him, he wanted to see what He looked like. Upon seeing the portrait, he confirmed that the person in his dream was indeed 'Abdu'l-Bahá.

बहाई उपवास

अन्य प्रकटित धर्मों की तरह, बहाई धर्म में भी उपवास पर बहुत बल दिया जाता है, जो आत्मा के अनुशासन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बहाउल्लाह द्वारा हमें हर वर्ष 19 दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास करने के लिए आदेश दिया गया है। यह अवधि बहाई कैलेण्डर के 18वें और 19वें महीने के बीच में आती है जो 2 से 20 मार्च तक की होती है। इसके तुरन्त बाद 21 मार्च को बहाई नववर्ष का आगमन होता है। इस कारण से उपवास को एक नये वर्ष की गतिविधियों के लिए आध्यात्मिक तैयारी और उत्थान के समय के रूप में भी देखा जाता है। गर्भवती महिलाओं, 70 वर्ष की आयु से अधिक उम्र के अनुयायियों, रोगियों, यात्रियों, अत्यधिक शारीरिक श्रम करने वाले और 15 वर्ष की आयु से कम के बच्चों को उपवास करने से मुक्त रखा गया है। यह समय विशेष रूप से प्रार्थना, ध्यान और आध्यात्मिक पुनरुत्थान का समय है, जिसके दौरान व्यक्ति अपने आंतरिक जीवन में जरूरी सुधार लाने और उसकी आत्मा में व्याप्त आध्यात्मिक शक्ति को पुनर्जीवित और ताजा करने के लिए तीव्र प्रयत्न करता है। इस कारण से उपवास का महत्व और उद्देश्य मूल रूप से आध्यात्मिक है। उपवास मात्र एक प्रतीक है, जो भौतिक इच्छाओं और स्वार्थ से दूर रहने का संकेत देता है।
उपवास मनुष्य के पुनरुत्थान का कारण है, इससे हृदय कोमल बन जाता है और मनुष्य में आध्यात्मिकता की वृद्धि होती है। इसका निर्माण इस वास्तविकता से होता है कि मनुष्य के विचार ईश्वर को याद करने में केन्द्रित होते हैं और इस पुनर्जीवन और प्रेरणा के बाद उन्नति संभव होती है। उपवास दो प्रकार के हैं-भौतिक और आध्यात्मिक। भौतिक उपवास खान-पान से दूर रहना है यानि शारीरिक भूख से दूर रहते हैं। परन्तु आध्यात्मिक अथवा वास्तविक उपवास यह है कि मनुष्य व्यर्थ कल्पनाओं से और अमानवीय गुणों से दूर रहते हैं। इसलिए भौतिक उपवास आध्यात्मिक उपवास का एक प्रतीक है जैसे कि ‘‘हे दिव्य विधाता! विरक्त हूँ जिस तरह मैं दैहिक कामनाओं, अन्न और जल से, मेरा हृदय भी शुद्ध और पावन कर दे वैसे ही, अपने अतिरिक्त अन्य सब के प्रेम से; भ्रष्ट इच्छाओं और शैतानी प्रवृत्तियों से मेरी आत्मा को बचा, इसकी रक्षा कर, ताकि मेरी चेतना पवित्रता की सांस के साथ संलाप कर सके और तेरे उल्लेख के सिवा अन्य सबका परित्याग कर सके।’’

गुजरात में गांधी नगर के बहाई भवन में एक संयुक्त बैठक का आयोजन किया गया

इस बैठक में गुजरात की क्लस्टर एजेंसियों के सदस्यों ने भाग लिया। बैठक के दौरान मूल गतिविधियों को और अधिक प्रभावी बनाने और उनके विस्तार पर चर्चा की गई। विभिन्न क्लस्टरों से आये हुए मित्रों ने अपनी-अपनी उपलब्धियों और चुनौतियों को भी सभी मित्रों के साथ बांटा।

दक्षिण दिल्ली में एक भक्तिपरक बैठक का आयोजन किया गया


दक्षिण दिल्ली के संत नगर में श्रीमती महिन्दर कौर के घर पर एक भक्तिपरक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चे, किशोर और जिज्ञासुओं ने भी भाग लिया। विभिन्न धर्मों की प्रार्थनायें की गईं और कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चों के साथ होने वाली चुनौतियों के बारे में तथा बच्चों की कक्षा के माध्यम से उनके जीवन में कैसे परिवर्तन आया इस विषय मंे भी बताया।