Saturday, July 17, 2010

बाब की समाधि का जीर्णोध्दार


विश्व केन्द्र से प्राप्त समाचार के अनुसार बाब की समाधि के गुम्बद पर लगाये गये सुनहले टाइल्स को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। पुर्तगाल के एक टाइल्स निर्माता के साथ हाल ही अनुबन्ध किया गया है कि वह ग्यारह हज़ार ऐसे टाइल्स सप्लाई करेगा जो गुम्बद के ऊपरी हिस्से पर चारों ओर लगाये जायेंगे। अभी जो टाइल्स लगे हैं वे साठ साल पुराने हो चुके हैं और धीरे- धीरे अपनी चमक खोते जा रहे हैं। अनुबंधित कम्पनी की प्रयोगशाला में गहन प्रयोग और छानबीन के बाद जैसे टाइल्स को लगाने का निर्णय लिया गया है, उसके सम्बन्ध में अनुमान लगाया जाता है कि इसकी चमक दो सौ सालों तक बनी रहेगी। पुरानी मिट्टी के टाइल्स के स्थान पर अब जो टाइल्स बनाये जा रहे हैं वो चीनी मिट्टी के होंगे और सत्तार प्रकार और आकार के बनाये टाइस में से चुनाव किया जायेगा। कम्प्यूटर संचालित भट्टी में 1,400 डिग्री सेल्सियस तापमान पर इस चीनी मिट्टी पर सोने का पानी चढ़ाकर इसको स्वर्णिम रंगरूप प्रदान किया जायेगा और टाइल्स की मजबूती और रंग-रूप का पूरा-पूरा ध्यान रखते हुए चयन किये गये टाइल्स के एक-एक पीस को पैक कर हाइफा लाया जायेगा। सितम्बर तक इन टाइल्स का पहला कॉन्साइन्मेंट पवित्र भूमि पहुँच जाने की उम्मीद है। इस प्रकार धर्मसंरक्षक द्वारा इस पवित्र स्थल के गौरव को बनाये रखने का जो सपना देख गया था वह पूरा होगा। पुराने टाइल्स में केवल एक टाइल रखा जायेगा जिसे धर्मसंरक्षक ने खुद अपने हाथों से रखा था। यह टुकड़ा माहकू के उस कैदखाने का है जहाँ प्रभुधर्म के शहीद अग्रदूत कभी कैद किये गये थे।

असम राज्य की गतिविधियाँ

गुवाहाटी के बहाई भवन में 6 जून 2010 को स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं के कोषाध्यक्षों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें 9 स्थानीय आध्यात्मिक सभा के क्षेत्रों से 20 मित्रों ने भाग लिया। इस सत्र के दौरान मित्रों ने बहाउल्लाह और अब्दुल-बहा के लेखों से चुने हुए उध्दरणों का अध्ययन किया और विभिन्न बहाई कोषों में योगदान और हुकूकुल्लाह के भुगतान पर शोगी एफेंदी के अनुच्छेद तथा विश्व न्याय मन्दिर के पत्रों का भी अध्ययन किया। श्री इबोम्चा मितई ने उपस्थित सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया, श्री एच. एन. दास ने रिज़वान संदेश 2010 पर प्रकाश डाला और श्रीमती वनिता दीवान ने हुकूकुल्लाह के भुगतान पर चर्चा की। अनुयायियों और संस्थानों के साथ कोषाध्यक्ष की भूमिका पर चार समूहों में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। श्री एम. केदीवान की पहल से सभी प्रतिभागियों ने परामर्श और समूह चर्चा में सक्रिय रूप से भाग लिया। यह बहुत ही रोचक था कि चाय और भोजन विराम की अल्पावधि में भी मित्रगण एक-दूसरे के साथ कोष में योगदान के महत्व के विषय में चर्चा करते थे। श्री भास्कर डेका, श्री कमल सरमा और श्री इबोम्चा मितई के प्रयासों से यह कार्यक्रम सफल बना। रिज़वान संदेश 2010 को बेहतर ढंग से समझने के लिए श्री एच. एन. दास ने असमी भाषा में अनुवाद किया। इस अवसर पर सहायक मण्डल सदस्य श्री संजीब सरमा भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में मित्रों ने निर्णय लिया कि वह संबंधित क्षेत्रों में भी अनुयायियों को कोष में दान देने के लिए शिक्षित करेंगे और इस बात का भरसक प्रयास करेंगे की सभी राज्य और क्षेत्रीय गति- विधियाँ पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बने।
क्षेत्रीय बहाई परिषद, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय एवं नगालैंड द्वारा गोवाहाटी के बहाई भवन में 13 जून 2010 को विशेष रूप से नई गठित स्थानीय सभाओं के सचिवों और अध्यक्षों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें 12 स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं से 23 मित्रों ने भाग लिया। मित्रों ने समूहों में विभाजित होकर बहाउल्लाह, अब्दुलबहा, शोगी एफेंदी और विश्व न्याय मन्दिर के चुने हुए लेखों का अध्ययन किया। इस अध्ययन से उन्हें इन दिव्य संस्थानों की भूमिका एवं स्थान और वर्तमान पाँच वर्षीय योजना में इसकी अहम भूमिका के बारे में आवश्यक अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई। मुकेश दीवान द्वारा तैयार की गई पावर प्वायंट प्रजेंटेशन की सहायता से, कैसे बैठक आयोजित करें, मिनिट्स बनाये और विशेष रूप से सभा के अध्यक्ष और सचिव के दायित्वों पर भी चर्चा हुई, जबकि डॉ. बी. आर. पांडा ने स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं के इतिहास के विषय में संक्षिप्त में बताया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सहायक मण्डल सदस्यों का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ।