Thursday, June 17, 2010

गजुरात में संस्थान अभियान और बाल मेले का आयोजन

गारखड़ी गुजरात के तेजी से उभरते हुए समुदायसमूहों में से एक है और सघन विकास कार्यक्रम के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए समुदायसमूह के मित्रगण एकजुट होकर संस्थान अभियान और मूल गतिविधियों के लिए आगे बढ़ रहे हैं। हाल ही में इस समुदायसमूह द्वारा रूही पुस्तक-7 के स्नातकों की संख्या में बढ़ोत्तारी के लिए एक संस्थान अभियान का आयोजन किया गया, जिसके कारण बहुत से क्षमतावान टयूटरों की संख्या में वृध्दि हुई। 22 अप्रैल से 7 मई 2010 तक गांधी नगर में आयोजित इस अभियान में 20 मित्रों ने भाग लिया, जिन्होंने विभिन्न संस्थान पाठयक्रमों को पूरा किया और मानवजाति की सेवा के लिए आवश्यक कौशल, दृष्टिकोण और ज्ञान प्राप्त किया। इस अभियान के परिणामस्वरूप मूल गतिविधियों में पाँच नई भक्तिपरक बैठकें, तीन बच्चों की बहाई कक्षायें और तीन स्टडी सर्कल को जोड़ा जायेगा। सहायक मण्डल सदस्य श्री जितेन्द्र एस. बागुल के पूर्ण सहयोग और सानिघ्य तथा होमफ्रंट पायनीयर श्री किशोर पवार की सहायता से नवम्बर 2009 से इस समुदायसमूह में व्यवस्थित प्रयास स्थान ले रहे हैं। इस समुदायसमूह में ग्रहण- शीलता का पूरा लाभ उठाने के लिए एक अन्य होमफ्रंट पायनीयर श्री विजय गावित की सेवायें ली गईं और तब से यहाँ गतिविधियों संवेग प्राप्त कर रही हैं और मित्रों के उत्साह में वृध्दि हो रही है जैसे-जैसे वह संस्थान अभियानों के दौरान विकसित नये कौशल को व्यवस्थित ढंग से अपने प्रयासों में अपना रहे हैं। इसके परिणाम- स्वरूप, इस समुदायसमूह में मानव संसाधनों में वृध्दि हुई और मूल गतिविधियाँ भी बढ़ रही हैं। यह आशा की जाती है कि गारखड़ी समुदायसमूह जल्द ही उस स्तर पर पहुँच जायेगा जब सघन विकास कार्यक्रम आरम्भ कर सकते हैं। वर्तमान में यहाँ 57 रूही पुस्तक-1 के स्नातकों में से 10 मित्रों ने पाठयक्रमों की पूर्ण श्रृंखला को पूरा कर लिया है और विकास प्रक्रिया के विस्तार में लग रहे हैं।

गुजरात के अहवा समुदायसमूह ने भिस्या, डांग में 15 मई 2010 को बच्चों के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया। इस रंगारंग सम्मेलन में पूर्ण उत्साह, जोश, रचनात्मकता, समर्थन और समर्पण से भरे 213 बच्चों और 22 शिक्षकों सहित लगभग 300 मित्रों ने भाग लिया, जो इस आनन्दमय समारोह के साक्षी बने।

बच्चों ने यहाँ आकर खेल खेले और कुछ गीत सीखे। बच्चों की कक्षा के संयोजकों ने अपनी कक्षा और समुदायसमूह में हो रही गतिविधियों के विषय में बताया। सूचना के आधार पर यहाँ इस समय 27 बच्चों की कक्षायें हैं। विभिन्न समूहों के बच्चों ने गीत गाये, नाटक और नृत्य का प्रदर्शन किया और कहानियाँ सुनाई। महत्वपूर्ण गतिविधियों के बारे में कुछ शिक्षकों ने अपने अनुभव सुनाये। दोपहर के भोजन उपरान्त चित्रकला के माध्यम से बच्चों को अपना कौशल और प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला। इसमें ध्यान देने योग्य एक बात यह थी कि बच्चों की अधिकतर प्रस्तुति बच्चों की कक्षाओं के दौरान सीखे गये पाठयक्रम पर आधारित थी। प्रत्येक बच्चे को अपने समूह के बारे में पता था और अपने शिक्षक के लिए आदर रखते हैं। यह निश्चित तौर पर पक्का है कि बच्चों की बहाई कक्षाओं ने इस समुदायसमूह के लोगों की संस्कृति को बदल दिया है।

भारत में राष्ट्रीय बहाई अधिवशेन-2010 से विश्व न्याय मन्दिर को भेजा संदेश

परमप्रिय विश्व न्याय मन्दिर
बहाउल्लाह के प्रति गहन कृतज्ञता और सभी बहाई उत्सवों के सम्राट के दुनिया भर में मनाये जा रहे समारोहों से प्रेरणा पा कर यह सूचित करते हुए हमें हर्ष हो रहा है कि एशिया में महाद्वीपीय सलाहकार मंडल के प्रतिनिधि सलाहकार ओमिद सिओशानसियान की उपस्थिति में 75 प्रतिनिधि और कोई 60 पर्यवेक्षक, जिनमें 4 सहायक मंडल सदस्य भी शामिल हैं, राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा के पदमुक्त सदस्यों के साथ भारत में प्रभुधर्म की प्रगति पर विचार-विमर्श करने के लिये उपस्थित हुये। विश्व न्याय मन्दिर के 25 मार्च, 2007 के पत्र पर आधारित प्रतिनिधियों के लिये अधिवेशन पूर्व दृढ़ीकरण के बाद अधिवेशन के सभी कार्यवाहियों तथा भारत में अब तक शुरू किये गये 161 सघन विकास कार्यक्रमों की समीक्षा के केन्द्र में रिज़वान 2010 का महत्वपूर्ण संदेश बना रहा। जिन मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया उनमें विभिन्न राज्यों में हुई अब तक की प्रगति, क्षेत्रीय सम्मेलनों के बाद से सघन विकास कार्यक्रम वाले समुदायसमूहों में चलायी जा रही गतिविधियों को जारी रखना, विभिन्न संस्थाओं और एजेंसियों के कामों के बीच बेहतर तालमेल बनाये जाने, सब की प्रतिभागिता के जरिये आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करना, ईश्वर का अधिकार और 2011 में होने वाली भारत की जनगणना तथा इन्हीं विषयों से सम्बन्धित सामान्य अन्य विषयों पर उपस्थित प्रतिनिधियों द्वारा परामर्श किया गया। इन सभी विषयों पर बराबर सलाहकार सिओशानसियान की मार्गदर्शक टिप्पणियों से प्रेरणा मिलती रही।
प्रभुधर्म की जन्मस्थली में रह रहे मित्रों, खासकर यारान को याद किया गया और उनकी सुरक्षा के लिये प्रार्थनायें की गईं। चुनाव के दिन प्रतिनिधिगण तथा अन्य मित्र मशरिकुल अशकार (उपासना मंदिर) में प्रार्थना के लिये गये और तब उन्होंने सन् 2010-2011 के लिये राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा के चुनाव में हिस्सा लिया। निम्नांकित सदस्य चुने गये: डॉ. ए. के. मर्चेंट, श्री पी. के. प्रेमराजन, सुश्री नाज़नीन रौहानी, डॉ. मंगेश तेली, श्रीमती ज़ीना सोराबजी, श्रीमती फरीदा वाहेदी, डॉ. आर. एस. यादव, श्री गणेश शेनाय, डॉ. शिरीन महालती। हम अत्यंत विनम्रता के साथ विश्व न्याय मन्दिर से निवेदन करते हैं कि हमारी कार्यवाहियों को तथा नवनिर्वाचित भारत की राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा को निरंतर मार्गदर्शन मिलता रहे ताकि वर्तमान विश्वव्यापी योजना के विगत चार वर्षों के दौरान जो कुछ भी सीख हासिल हुई है उन अनुभवों के आधार पर इस वर्ष हम ऐसी विजय प्राप्त कर सकें जिसकी कल्पना भी हम अब तक नहीं कर सके हैं।
विभिन्न कार्यवाहियों के बीच एक जो असाधारण संकल्प लिया गया वह था कि बहाई उपासना मन्दिर की स्थापना और जनसामान्य के लिये इसे समर्पित करने की 25वीं वर्षगांठ पर सभी खर्चों के लिये भारतीय बहाई समुदाय द्वारा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जायेगा।
अत्यन्त विनम्र भाव से हम भगवान बहाऊल्लाह से प्रार्थना करते हैं कि हमें जो जिम्मेदारियाँ दी गई हैं उन्हें पूरा करने में उनका आशीष निरन्तर मिलता है और उसी विनम्र भाव से हम विश्व न्याय मन्दिर से पवित्र समाधियों पर प्रार्थना के लिये निवेदन करते हैं।