Thursday, June 17, 2010

भारत में राष्ट्रीय बहाई अधिवशेन-2010 से विश्व न्याय मन्दिर को भेजा संदेश

परमप्रिय विश्व न्याय मन्दिर
बहाउल्लाह के प्रति गहन कृतज्ञता और सभी बहाई उत्सवों के सम्राट के दुनिया भर में मनाये जा रहे समारोहों से प्रेरणा पा कर यह सूचित करते हुए हमें हर्ष हो रहा है कि एशिया में महाद्वीपीय सलाहकार मंडल के प्रतिनिधि सलाहकार ओमिद सिओशानसियान की उपस्थिति में 75 प्रतिनिधि और कोई 60 पर्यवेक्षक, जिनमें 4 सहायक मंडल सदस्य भी शामिल हैं, राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा के पदमुक्त सदस्यों के साथ भारत में प्रभुधर्म की प्रगति पर विचार-विमर्श करने के लिये उपस्थित हुये। विश्व न्याय मन्दिर के 25 मार्च, 2007 के पत्र पर आधारित प्रतिनिधियों के लिये अधिवेशन पूर्व दृढ़ीकरण के बाद अधिवेशन के सभी कार्यवाहियों तथा भारत में अब तक शुरू किये गये 161 सघन विकास कार्यक्रमों की समीक्षा के केन्द्र में रिज़वान 2010 का महत्वपूर्ण संदेश बना रहा। जिन मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया उनमें विभिन्न राज्यों में हुई अब तक की प्रगति, क्षेत्रीय सम्मेलनों के बाद से सघन विकास कार्यक्रम वाले समुदायसमूहों में चलायी जा रही गतिविधियों को जारी रखना, विभिन्न संस्थाओं और एजेंसियों के कामों के बीच बेहतर तालमेल बनाये जाने, सब की प्रतिभागिता के जरिये आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करना, ईश्वर का अधिकार और 2011 में होने वाली भारत की जनगणना तथा इन्हीं विषयों से सम्बन्धित सामान्य अन्य विषयों पर उपस्थित प्रतिनिधियों द्वारा परामर्श किया गया। इन सभी विषयों पर बराबर सलाहकार सिओशानसियान की मार्गदर्शक टिप्पणियों से प्रेरणा मिलती रही।
प्रभुधर्म की जन्मस्थली में रह रहे मित्रों, खासकर यारान को याद किया गया और उनकी सुरक्षा के लिये प्रार्थनायें की गईं। चुनाव के दिन प्रतिनिधिगण तथा अन्य मित्र मशरिकुल अशकार (उपासना मंदिर) में प्रार्थना के लिये गये और तब उन्होंने सन् 2010-2011 के लिये राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा के चुनाव में हिस्सा लिया। निम्नांकित सदस्य चुने गये: डॉ. ए. के. मर्चेंट, श्री पी. के. प्रेमराजन, सुश्री नाज़नीन रौहानी, डॉ. मंगेश तेली, श्रीमती ज़ीना सोराबजी, श्रीमती फरीदा वाहेदी, डॉ. आर. एस. यादव, श्री गणेश शेनाय, डॉ. शिरीन महालती। हम अत्यंत विनम्रता के साथ विश्व न्याय मन्दिर से निवेदन करते हैं कि हमारी कार्यवाहियों को तथा नवनिर्वाचित भारत की राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा को निरंतर मार्गदर्शन मिलता रहे ताकि वर्तमान विश्वव्यापी योजना के विगत चार वर्षों के दौरान जो कुछ भी सीख हासिल हुई है उन अनुभवों के आधार पर इस वर्ष हम ऐसी विजय प्राप्त कर सकें जिसकी कल्पना भी हम अब तक नहीं कर सके हैं।
विभिन्न कार्यवाहियों के बीच एक जो असाधारण संकल्प लिया गया वह था कि बहाई उपासना मन्दिर की स्थापना और जनसामान्य के लिये इसे समर्पित करने की 25वीं वर्षगांठ पर सभी खर्चों के लिये भारतीय बहाई समुदाय द्वारा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जायेगा।
अत्यन्त विनम्र भाव से हम भगवान बहाऊल्लाह से प्रार्थना करते हैं कि हमें जो जिम्मेदारियाँ दी गई हैं उन्हें पूरा करने में उनका आशीष निरन्तर मिलता है और उसी विनम्र भाव से हम विश्व न्याय मन्दिर से पवित्र समाधियों पर प्रार्थना के लिये निवेदन करते हैं।

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