Thursday, June 30, 2011

Baha'i Prayer in Hindi - Hey Ishwar Meri Aatma ko....


हम सभी को ईश्वर के नजदीक से नजदीक पहुँचने का प्रयास करना होगा

परमप्रिय मित्रों,
    जैसे-जैसे हम ईश्वरीय लघुयोजना के प्रावधानों को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, हमें सतर्क रहना होगा कि हम इस तरफ से अनभिज्ञ न हो जायें कि हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है।  मूलगतिविधियों में बढ़ोत्तरी, गृह-भ्रमणों का आयोजन, योजना तथा योजना पर कार्यरत होना हमारी विकास प्रक्रिया का बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है, परन्तु जैसे-जैसे हम अपनी सामाजिक अनिवार्यताओं को पूरा करने के लिये आगे बढ़ें, हम सभी को ईश्वर के नजदीक से नजदीक पहुँचने का प्रयास करना होगा।
    बहाउल्लाह हमसे कहते है ”अपने स्वामी के धर्म की शिक्षा देने के लिए तुमसे से जो कोई भी उठ खड़ा हो, उसे सभी कुछ से पूर्व स्वयं को शिक्षित करना चाहिए, जिससे उसकी वाणी उनके हृदयों को आकर्षित कर सके जो उसको सुनते हैं। जबतक वह स्वयं को शिक्षित नहीं कर लेता तबतक उसके मुख से निकले शब्द जिज्ञासुओं को प्रभावित नहीं करेंगे।  ध्यान दो, ओ लोगों, तुम उन जैसे न बनो जो दूसरों को अच्छा परामर्श देते हैं परन्तु स्वयं उनका अनुपालन करना भूल जाते हैं...।”
    क्या ऐसा व्यक्ति हमेशा किसी को प्रभावित करने में सफल हो सकता है यह सफलता स्वयं उसकी नहीं होगी, परन्तु वह ईश्वरीय शब्दों के माध्यम से प्रभावित होगा, ऐसा ही आदेशित किया गया है उसके द्वारा जो सर्वज्ञाता, सर्वबुद्धिमान है।  ईश्वर की दृष्टि में ऐसा व्यक्ति मोमबत्ती की तरह है जो उसके प्रकाश को बिखेरता है और स्वयं को उसी में निमज्जित करता जाता है।
    ईश्वर के अवतार को पहचानना हमारा पहला कर्तव्य है, उसकी आज्ञाओं का अनुपालन इसके पश्चात आता है।  यद्यपि हमें यह भी समझने की आवश्यकता है कि पहचानना केवल एक बार की ही चीज नहीं है।  एकबार जब हम इस युग के ईश्वरीय अवतार को पहचान लेते हैं हमारे लिए आवश्यक है कि हम उसके नजदीक से नजदीक होते जायें। हमारे लिए आवश्यक होगा कि आध्यात्मिकता में हम दिन-प्रतिदिन विकास करें।  निश्चय ही हमारे आध्यात्मिक विकास के बहुत से पहलू हैं, जैसे हम मूलगतिविधियों में सेवा करने के लिए उठ खड़े हो, इससे हमारी आस्था विकसित होती है और हम आध्यात्मिकता में विकास करते हैं।  परन्तु अकेला यही काफी नहीं है: प्रार्थना, चिन्तन, पवित्र लेखनियांे का अध्ययन व उनको अपने अभ्यास में लाना आध्यात्मिकता में विकास करने के अन्य पहलू हैं।
    ये दो प्रक्रियों वास्तव में एक साथ जुड़ी हैं।  हम प्रार्थना करते हैं और प्रार्थना में ईश्वर के नजदीक होते जाते हैं।  तत्पश्चात, उसके निमित्त सेवा के कार्यो का आयोजन करते हैं व इनके माध्यम से हमारी आस्था में बढ़ोत्तरी होती है, हम और अधिक व्यग्रता के साथ प्रार्थना करते हैं व अपने सेवा की गतिविधियों हेतु ईश्वर से सहायता हेतु याचना करते हैं।
    अतः हम यह न भूलें कि हमें दिन-प्रतिदिन आध्यात्मिकता की राह में विकास करने की आवश्यकता है।  प्रियधर्मसंरक्षक हमें कहते हैं “....आध्यात्मिकता किस तरह प्राप्त की जाय सचमुच ही एक ऐसा प्रश्न है जिसका संतोषजनक समाधान प्रत्येक युवा पुरूष स्त्री को देर सबेर अवश्य प्राप्त करने का प्रयास करना चहिये।  क्योंकि आधुनिक युवापीढ़ी को इस प्रश्न का कोई संतोषजनक समाधान नहीं दिया गया है और न ही उसने पाया है इसलिये आज की युवा पीढ़ी अपने को भ्रमित पाती है।  भौतिक प्रबल प्रचंडता जो मनुष्य के नैतिक और आध्यात्मिक जीवन की आधारगत नींव को ही जड़ से उखेड फेंक रही है, उसे अपनी ओर घसीट रही है....। क्योंकि धार्मिक आस्था का बीजकोष वह गुहय रहस्यमय भावना है जो मनुष्य को ईश्वर से मिलती है।  यह आध्यात्मिक घनिष्ठता की अवस्था प्रार्थना और गहन चिन्तन के द्वारा लायी और सम्पोषित की जा सकती है।  यही कारण है कि बहाउल्लाह ने उपासना के महत्व पर जोर दिया है।
    श्रद्धावान अनुयायी के लिए उपदेशों को मात्र स्वीकार करना और उनका पालन करना ही यथेष्ठ नहीं है।  इनके अतिरिक्त उसे वह आध्यात्मिक भावना पैदा करनी चाहिए, जिसकी प्राप्ति उसे मुख्यतः प्रार्थना द्वारा ही हो सकती है...।
    श्रद्धालु अनुयायी विशेषकर युवाजनों को प्रार्थना की अनिवार्यता पूरी तरह चरितार्थ करनी चाहिए।  क्योंकि उनके आध्यात्मिक विकास के लिए प्रार्थना नितांत अपरिहार्य है और जैसा कि पहले कहा जा चुका है, यही ईश्वरीय धर्म का आधार और प्रयोजन है।”
    प्रार्थना एवं पवित्र लेखनियों का अध्ययन कभी भी यान्त्रिक प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए।  कभी-कभी हम इतना अधिक शीघ्रता में होते हैं कि हम यान्’ित्रक तरीके से अनिवार्य प्रार्थना के शब्दों को कहकर अपने जीवन के कार्यो में व्यस्त हो जाते हैं।  हमें वास्तव में प्रार्थना के लिए अवश्य ही आवश्यक समय निकालने की जरूरत है।  हमें प्रार्थना के शब्दों पर चिन्तन करने की आवश्यकता है।  आध्यात्मिक दशा हेतु, जो मनुष्य को ईश्वर के साथ एक रहस्मय भावना के साथ जोड़ता है ईश्वरीय शब्दों को शीघ्रता के साथ कहे जाने पर स्थापित नहीं किया जा सकता।  हमें ईश्वर के शब्दों पर चिन्तन की आवश्यकता है।
    बहाउल्लाह हमें कहते हैं, “अगर कोई मनुष्य सर्वोच्च की लेखनी से प्रकटित शब्दों का अपने हृदय में मनन तथा उसके माधुर्य का आस्वादन करे तो वह निश्चय ही अपने को अपनी ही कामनाओं से रहित और मुक्त तथा अपने को सर्वशक्तिमान की इच्छा के सम्पूर्णतया वश्य पायेगा।  वह मनुष्य सुखी है जिसने ऐसा उन्नत स्थान प्राप्त कर लिया है, ऐसे उदार अनुग्रह से अपने को वंचित नहीं किया है।“
    जब हम अपनी प्रार्थनायें कहने के लिये जायें तो हमें स्वयं को आध्यात्मिक रूप से तैयार करने की आवश्यकता हैं।  हमें स्वयं को याद दिलाना है कि हम बहाउल्लाह के समक्ष उपस्थित होने जा रहे हैं तथा हमें आध्यात्मिक रूप से तैयार व विनम्र महसूस करने की भी आवश्यकता होगी।  यह प्रार्थना जो अब्दुलबहा की समाधि पर उपयोग में लाई जाती है हमारे लिए एक अच्छी यादगार होगी कि हमें प्रार्थना से पहले कैसा महसूस करना चाहिए।
    वह सर्वमहिमामय है !
    हे ईश्वर, मेरे ईश्वर ! दीन और अश्रुपूरित मैं। अपने याचक हाथ तेरी ओर फैलाता हूँ और अपना मुखड़ा तेरे द्वार की उस धूल से मंडित करता हूँ, जो विद्वानों के ज्ञान और उन सबकी स्तुति से परे है, जो तेरा महिमागान करते हैं।  अपने द्वार पर खड़े अपने दीन और विनीत सेवक को अनुग्रहपूर्वक देख, उस पर अपनी करूणा भरी आॅंखों की दयादृष्टि डाल और उसे अपनी अनन्त कृपा के सागर में निमग्न कर दे।
    हे नाथ ! यह तेरा दीनहीन सेवक है, विनीत, पूरी आस्था के साथ तेरे ही हाथों में अपने आपको समर्पित करते हुए, अत्यन्त भक्तिभाव से, आॅंसू भरे नयन के साथ तुझे पुकार रहा है और कह रहा है:
    हे नाथ, मेरे परमेश्वर ! मुझे अपने प्रियजनों की सेवा करने की कृपा प्रदान कर, अपने प्रति मेरे सेवाभाव को दृढ़ कर, अपनी पावनता के दरबार और महिमामय भव्य साम्राज्य में स्तुति और प्रार्थना के प्रकाश से मेरा मस्तक आलोकित कर दे और अपनी महिमा के साम्राज्य की प्रार्थना की ज्योति प्रदीप्त कर दे।  अपने स्वर्गिक प्रवेश द्वार पर स्वार्थविहीन बनने में मेरी सहायता कर और अपनी पवित्र सीमा में सभी वस्तुओं से अनासक्त रहने में मुझे समर्थ बना दे।  हे नाथ, निःस्वार्थता के पात्र से मुझे पान करने दे, निःस्वार्थता का ही वस्त्र मुझे पहना और इसके महासिंधु में निमग्न कर दे मुझको।  बना दे मुझे अपने प्रियजनों की राहों की धूल और मुझे ऐसा दान दे कि मैं, अपनी आत्मा उस धरती के लिये बलिदान कर सकूँ जिस पर, तेरी राह में तेरे प्रियजन चले हों, हे सर्वोच्च महिमा के स्वामी !
    इस प्रार्थना के द्वारा तेरा यह सेवक तुझे दिन-रात पुकारता है, इसके हृदय की अभिलाषा पूरी कर दे, हे स्वामी! इसके हृदय को प्रकाशित कर दे, इसके अंतर को आनंदित कर दे, इसकी ज्योति जला दे, ताकि यह तेरे धर्म और तेरे सेवकों की सेवा कर सके।
    तू ही दाता है, करूणामय है, परम दयालु, है कृपालु!

 प्रिय मित्रों, जैसाकि संसार अधिकाधिक भौतिकता के साथ उलझता जा रहा है, हमें ध्यान रखना है, एक बहाई के रूप में हमें अधिकाधिक आध्यात्मिक होना है।  हमें अब्दुल-बहा की इच्छा को परिपूर्ण करना है जो कहते हैं, “तुम्हारे लिए मेरी इच्छा आध्यात्मिक श्रेष्ठता की है, तुम नैतिकता में अवश्य ही उच्च एवं श्रेष्ठ बन सको।  ईश्वर के प्रेम के निमित्त तुम अवश्य ही सभी कुछ से श्रेष्ठ बनो।  तुम मानवता के प्रेम के लिए अवश्य ही श्रेष्ठ बनो, सभी के लिए एकता, प्रेम एवं न्याय।  विस्तार में, तुम मानवता के संसार में सभी गुणों में श्रेष्ठतम बनो।“
   
प्रेमपूर्ण बहाई शुभकामनाओं के साथ,
रीजनल बहाई काउंसिल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली एवं उत्तरांचल

सूचना: बहाई उपासना मंदिर, नई दिल्ली के आयोजित हो रहे 25वीं वर्षगाठ समारोह का आयोजन नवम्बर माह की 12 व 13 तारीख को हो रहा है।  इस समारोह में सम्मिलित होने का रजिस्ट्रेशन 15 सितम्बर तक किये जा रहे है अतः आप अपना रजिस्ट्रेशन सीधेतौर पर www.bahaihouseofworship.in  करा सकते हैं या समयपूर्व रीजनल बहाई काउंसिल कार्यालय को सूचित कर सकते हैं।

Monday, June 20, 2011

Afghanistan worst place in the world for women, but India in top five


Owen Bowcott
The Guardian, Wednesday 15 June 2011

Targeted violence against female public officials, dismal healthcare and desperate poverty make Afghanistan the world's most dangerous country in which to be born a woman, according to a global survey released on Wednesday.

The Democratic Republic of the Congo (DRC), Pakistan, India and Somalia feature in descending order after Afghanistan in the list of the five worst states, the poll among gender experts shows.

The appearance of India, a country rapidly developing into an economic super-power, was unexpected. It is ranked as extremely hazardous because of the subcontinent's high level of female infanticide and sex trafficking.

Others were less surprised to be on the list. Informed about her country's inclusion, Somalia's women's minister, Maryan Qasim, responded: "I thought Somalia would be first on the list, not fifth."

The survey has been compiled by the Thomson Reuters Foundation to mark the launch of a website, TrustLaw Woman, aimed at providing free legal advice for women's groups around the world.

High maternal mortality rates, limited access to doctors and a "near total lack of economic rights" render Afghanistan such a threat to its female inhabitants. "Continuing conflict, Nato airstrikes and cultural practices combine to make Afghanistan a very dangerous place for women," said Antonella Notari, head of Women Change Makers, a group that supports women social entrepreneurs around the world.

"Women who do attempt to speak out or take on public roles that challenge ingrained gender stereotypes of what is acceptable for women to do or not, such as working as policewomen or news broadcasters, are often intimidated or killed."

The "staggering levels of sexual violence" in the lawless east of the DRC account for its second place in the list. One recent US study claimed that more than 400,000 women are raped there each year. The UN has called Congo the rape capital of the world.

"Rights activists say militia groups and soldiers target all ages, including girls as young as three and elderly women," the survey reports, "They are gang raped, raped with bayonets and some have guns shot into their vaginas."

Pakistan is ranked third on the basis of cultural, tribal and religious practices harmful to women. "These include acid attacks, child and forced marriage and punishment or retribution by stoning or other physical abuse," the poll finds.

Divya Bajpai, reproductive health adviser at the International HIV/Aids Alliance, added: "Pakistan has some of the highest rates of dowry murder, so-called honour killings and early marriage." According to Pakistan's human rights commission, as many as 1,000 women and girls die in honour killings annually.

India is the fourth most dangerous country. "India's central bureau of investigation estimated that in 2009 about 90% of trafficking took place within the country and that there were some 3 million prostitutes, of which about 40% were children," the survey found.

Forced marriage and forced labour trafficking add to the dangers for women. "Up to 50 million girls are thought to be 'missing' over the past century due to female infanticide and foeticide,", the UN population fund says, because parents prefer to have young boys rather than girls.

Somalia, a state in political disintegration, suffers high levels of maternal mortality, rape, female genital mutilation and limited access to education and healthcare.

Qasim added: "The most dangerous thing a woman in Somalia can do is to become pregnant. When a woman becomes pregnant her life is 50-50 because there is no antenatal care at all. There are no hospitals, no healthcare, no nothing.

"Add to that the rape cases that happen on a daily basis, and female genital mutilation being done to every single girl in Somalia. Add to that famine and drought. Add to that the fighting [which means] you can die any minute, any day."

Monique Villa, the chief executive of the Thomson Reuters Foundation, said: "Hidden dangers – like a lack of education or terrible access to healthcare – are as deadly, if not more so, than physical dangers like rape and murder which usually grab the headlines.

"In Afghanistan, for instance, women have a one in 11 chance of dying in childbirth. In the top five countries, basic human rights are systematically denied to women.

"Empowering women tackles the very roots of poverty. In the developing world when a woman works, her children are better fed and better educated because they spend their money for their family."

The survey was based on responses from more than 200 aid professionals, academics, health workers, policymakers, journalists and development specialists chosen for their expertise in gender issues.

Each country was also ranked in terms of six risk factors including: health, discrimination and lack of access to resources, cultural and religious practices, sexual violence, human trafficking and conflict-related violence.

In terms of individual risk categories, Afghanistan was deemed to be the most dangerous for health, economic/discrimination and non-sexual violence; the Congo is most plagued by rape and sexual violence; and India has most problems with trafficking.

"You have to look at all the dangers to women, all the risks women and girls face," said Elisabeth Roesch, who works on gender-based violence for the International Rescue Committee in Washington.

"If a woman can't access healthcare because her healthcare isn't prioritised, that can be a very dangerous situation as well."

The TrustLaw website has been in existence for some time, linking up local NGOs and social entrepreneurs with established law firms who are prepared to offer legal advice on a pro-bono basis. The groups are vetted by Transparency International.

More than 450 law firms are already involved including some from China. Among those that have recently benefited have been the charity Riders for Health, which delivers medicine to remote villages, and reviewed its contracts in Nigeria.
 

Thursday, June 16, 2011

CELEBRATION DATES APPROACHING

The date for the “25th Anniversary Celebrations” of the House of Worship (12th & 13th November 2011) is quickly approaching and those who wish to participate will need to make travel arrangements as early as possible for getting into Delhi.

Everyone should take advantage of this historic opportunity and undertake a “Spiritual Yatra” to this beloved Temple for this special event. We are hoping that large numbers of friends from every region come to New Delhi and partake of what promises to be a joyful reunion of Bahá'ís from all over India. Details of the programme will be shared later, but friends can be assured of the spiritual bounty of a visit to the Archives at the Temple. (Please note that the photograph of Baha’u’llah will not be shown but other precious holy relics will be on display).

We will be sending out a comprehensive list of accommodation available in Delhi to suit every budget and every pocket. Most venues will require to be booked well in advance since November is a very busy season in Delhi. Once these details are sent to you, please reply to the Task Force as early as possible if you require help with your bookings.

You may also visit the specially created link for the 25th anniversary which is on the website www.bahaihouseofworship.in

Friends - take advantage of this unique opportunity and make sure you are there to offer prayers at the Temple and thank Baha’u’llah for 25 precious years of this House of Worship in India.

With loving greetings,
Nalina Jiwnani
Coordinator

समारोह की तिथि आ रही है

बहाई उपासना मन्दिर के ‘‘25वीं वर्षगांठ समारोह’’ की तिथि (12 और 13 नवम्बर 2011) जल्द ही आ रही है और जो इस समारोह में भाग लेना चाहते हैं उन्हें दिल्ली आने के लिए जल्द से जल्द अपनी यात्रा सम्बन्धी सभी आवश्यक प्रबन्ध कर लेने चाहिए।
प्रत्येक को इस ऐतिहासिक अवसर का लाभ उठाना चाहिए और इस परमप्रिय मन्दिर के विशेष समारोह की ‘‘आध्यात्मिक यात्रा’’ में शामिल होना चाहिए। हम आशा करते हैं कि प्रत्येक क्षेत्र से बड़ी संख्या में मित्रगण दिल्ली आयेंगे और भारतवर्ष से आये बहाइयों के पुनर्मिलन पर आनन्द का माहौल होगा। कार्यक्रम विस्तार से बाद में बताया जायेगा, लेकिन यह सुनिश्चित है कि मित्रगणों को मन्दिर के अभिलेखागार को देखने का आध्यात्मिक सौभाग्य प्राप्त होगा। (ध्यान रहे कि बहाउल्लाह की तस्वीर नहीं दिखाई जायेगी परन्तु अन्य अनमोल पवित्र अवशेष देखने को अवश्य मिलेंगे)।
आपको दिल्ली में रहने के स्थानों की एक सूची भेजी जायेगी जो प्रत्येक के बजट और जेब के अनुरूप होगी। बहुत से स्थानों को पहले से ही आरक्षित करना होगा क्योंकि दिल्ली में नवम्बर के महीने में बहुत व्यस्थता होती है। जब यह विवरण आपको भेजे जायें और यदि आपको आरक्षण में मदद की आवश्यकता हो तो जल्द से जल्द कार्यबल से सम्पर्क करें।
25वीं वर्षगांठ के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया लिंक www.bahaihouseofworship.in वेबसाइट पर आपको उपलब्ध होगा।
मित्रों-प्रत्येक को इस अद्वितीय अवसर का लाभ उठाना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि आप वहाँ पर होंगे और मन्दिर में प्रार्थना करेंगे और भारत में पिछले 25 बहुमूल्य वर्षों से इस बहाई उपासना मन्दिर को प्रार्थना के लिए हमें देने के लिए बहाउल्लाह का धन्यवाद करेंगे।
शुभकामनाओं के साथ
 
नलिना जीवनानी
संयोजक 

सोल के वार्षिक परामर्शी सेमिनार का आयोजन

  
श्री प्रवीण मल्लिक
सोसाइटी ऑफ यूनिवर्सल लर्नर (सोल) द्वारा 14 से 16 अप्रैल 2011 तक पटना स्थित सोल के प्रशिक्षण केन्द्र में आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक परामर्शी सेमिनार में देश के विभिन्न राज्यों-बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पं0 बंगाल और मणिपुर- में सामुदायिक विद्यालयों के विकास की प्रक्रिया से जुड़े 16 मित्रों ने भाग लिया। इस सेमिनार में अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण केन्द्र के सदस्य सलाहकार श्री प्रवीण कुमार मल्लिक की गरिमामय उपस्थिति रही।
सेमिनार का आंरभ भक्तिमय वातावरण में प्रार्थनाओं एवं पवित्र लेखों के पाठ से हुआ। तदुपरान्त सामाजिक कार्य के क्षेत्र में सोल द्वारा सामुदायिक विद्यालयों के विकास के लिए जारी प्रक्रिया पर शुरूआती चर्चा हुई और मित्रों को अपनी क्षमताओं के निर्माण के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण बनाने की महत्ता पर परामर्श हुआ। बहाई विश्व केन्द्र स्थित सामाजिक एवं आर्थिक विकास कार्यालय (ओसेड) द्वारा प्रेषित नवम्बर 2009 के प्रपत्र-संस्थागत क्षमता निर्माण: बहाई प्रेरित प्रयासों के ढांचे के तत्व- के कुछ अंशों को पढ़ा गया तथा मित्रों के साथ विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान ढ़ाचागत अवधारणा को किस प्रकार हम पवित्र लेखों के साथ संबद्ध कर समुदाय के उन्नयन के लिए सामुदायिक विद्यालय के माध्यम से सेवा के पथ पर आगे बढ़ें और इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक विनम्र अभिवृत्ति के महत्त्वों पर परामर्श हुआ।
सलाहकार श्री प्रवीण मल्लिक ने विश्व न्याय मंदिर के 16 सितम्बर 1993 के प्रपत्र - बहाई सामाजिक एवं आर्थिक विकास: भविष्य का परिदृश्य - का उल्लेख करते हुए मार्गदर्शन दिया कि सामाजिक कार्य के क्षेत्र से जुड़े सभी संगठनों एवं एजेंसियों को जटिलता के विभिन्न स्तरों को समझना, क्षमता का निर्माण, सीखने की अभिवृत्ति, मानव संसाधनों का विकास, समुदाय को प्रभावित करने के मार्गों और समग्रता को केन्द्र बिन्दु बनाकर अपने प्रयासों से निरंतर जुड़े रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें समुदाय का अध्ययन कर कार्यक्रम तैयार करना होगा, फिर उस कार्यक्रम को कार्यरूप देना होगा। इसके बाद पुनः एक नये समुदाय का अध्ययन, कार्यक्रम निर्माण और कार्यक्रम को साकार रूप देने की सतत् चलनेवाली प्रक्रिया में लगे रहना होगा। इसके लिए आवश्यक है कि हम बारंबार समीक्षा, परामर्श और कार्य की प्रक्रिया को अपनाते हुए आगे बढ़ें।
सामुदायिक विद्यालयों के संबंध में सलाहकार श्री प्रवीण मल्लिक ने कहा ‘‘हमें गुणवत्तायुक्त शिक्षा के महत्त्वों का सदा ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए संयोजकों को विद्यालय का साप्ताहिक भ्रमण कर शिक्षकों को पाठ योजना बनाने में सहायता देनी चाहिए। शिक्षक, अभिभावक, समुदाय के साथ-साथ संगठन को इस पूरी प्रक्रिया के प्रति संवेदनशील होना होगा। इसके लिए समुदाय का अध्ययन, सामुदायिक बैठक, शिक्षक का प्रशिक्षण, अभिभावक बैठक एवं संगठन द्वारा सामुदायिक विद्यालयों के साथ-साथ चलने की सतत् प्रक्रिया का अत्याधिक महत्त्व है। विद्यालय की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जरूरी है कि सामुदायिक विद्यालयों के शिक्षक अपनी उच्च शिक्षा जारी रखते हुए समुदाय की उन्नति में अपनी सहभागिता दर्ज करायें।’’
वार्षिक परामर्शी सेमिनार के अंतिम दिन अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षण केन्द्र के सदस्य सलाहकार श्री प्रवीण मल्लिक ने संगठन और सामुदायिक विद्यालयों का सहायक मंडल सदस्य, स्थानीय आध्यात्मिक सभा और प्रशिक्षण संस्थान के साथ संबंध स्थापित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए मार्गदर्शन किया कि ‘‘इन सभी संस्थाओं और संगठनों को निकट सहयोगी बनकर कार्य करना होगा, जिससे हम एक दूसरे के साथ मिलकर धरती पर ‘‘प्रभु का साम्राज्य’’ स्थापित करने की प्रक्रिया में सहभागी बन सकें।’’

बिहार राज्य के शाहपुर पटोरी समुदायसमूह में बाल मेला आयोजित

शाहपुर पटोरी समुदायसमूह के सैदपुर स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में 10 अप्रैल 2011 को बहाई बाल मेले का आयोजन किया गया, जिसमें समुदायसमूह के 100 बच्चे के साथ क्षेत्रीय संयोजक (बहाई बाल कक्षा) श्री अभिनन्दन शर्मा एवं क्षेत्रीय बहाई परिषद्, (बिहार एवं झारखण्ड) के सचिव श्री दीपेन्द्र कुमार चन्दन के अतिरिक्त समुदायसमूह संयोजक श्री विद्यासागर राय, चकसाहो की सुश्री डेजी कुमारी, लगुनियां के श्री राकेश भी उपस्थित थे। बाल मेले का प्रारंभ प्रार्थनाओं एवं पवित्र लेखों के पाठों से हुआ। बच्चों ने इस अवसर पर बहाई गीत ‘‘तुम बूंदे हों...’’, ‘‘प्यार-प्यार करो मानवता से प्यार...’’, ‘‘मुझे देखो...’’ प्रस्तुत किया। इसके साथ ही बच्चों ने कई उद्धरण और गीत-नाटिका, सामूहिक प्रार्थना एवं सुमधुर गीत पेश किया। इस अवसर पर परिषद् के सचिव श्री दीपेन्द्र कुमार चन्दन एवं सहायक मंडल सदस्य श्री अभिनन्दन शर्मा ने बच्चों को मार्गदर्शन किया। 

श्री संजय मोरे का विवाह सुश्री प्रमिला नरवरिया के साथ बहाई विधिविधान के अनुसार सम्पन्न हुआ।

स्थानीय बहाई आध्यात्मिक सभा पड़रिया काछी, (भोपाल मध्यप्रदेश) के सचिव श्री संजय मोरे का विवाह गैरतगंज (रायसेन मध्यप्रदेश) के निवासी श्री भगवान सिंह नरवरिया की सुपुत्री सुश्री प्रमिला नरवरिया के साथ 29 अप्रैल 2011 को बहाई विधिविधान के अनुसार सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर बड़ी संख्या में बहाई मित्रगण, रिश्तेदार, परिजन आदि सम्मिलित हुए।

श्री अज़ीज सोहेली के सुपुत्र श्री पयाम सोहेली का विवाह

देहरादून की श्रीमती फरीन एवं श्री मसरूर भार्गवा की सुपुत्री सुश्री वेलेंटीना भार्गवा और कोल्हापुर महाराष्ट्र की श्रीमती रूहिया एवं श्री अज़ीज सोहेली के सुपुत्र श्री पयाम सोहेली का विवाह 9 अप्रैल 2011 को बहाई विधिविधान के साथ कोल्हापुर में सम्पन्न हुआ।

बहाई स्कूल तादौंग के छात्र और छात्राओं ने छत्तीसगढ़ में अच्छा प्रदर्शन किया।

बहाई स्कूल तादौंग के छात्र और छात्राओं ने छत्तीसगढ़ में राजनंदगांव के एसएआई ट्रेनिंग सेंटर में 18 से 21 अप्रैल तक नेहरु युवा केन्द्र संगठन द्वारा आयोजित पाँचवीं राष्ट्रीय इंटर स्कूल बास्केट बॉल प्रतियोगिता में भाग लिया। लीग मैच के दौरान दोनों ही टीमों ने मैच में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन छात्रों को हार का सामना करना पड़ा परन्तु छात्राओं ने राजस्थान के खिलाफ खेले गये लीग मैच में अपनी जीत दर्ज की।  

इन्दौर में अनुप्रेरक प्रशिक्षण कार्यक्रम

पातीराम, सहायक मण्डल सदस्य श्रीमती अलका कुमारी और समुदायसमूह संयोजक श्रीमती ललिता शर्मा द्वारा इंदौर की रघुनंदन बाग कॉलोनी के युवाओं के लिए बहाई भवन में 24 अप्रैल से 5 मई 2011 तक अनुप्रेरक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें 15 युवाओं ने अपनी प्रतिभागिता दर्ज की। इनमें से 10 मित्रों ने कुछ महीनों पहले हुए किशोर आध्यात्मिक सशक्तिकरण कार्यक्रम कोर्स में भाग लिया था। सबसे पहले इनके अभिभावकों के साथ बैठक की गई और उन्हें इस कोर्स और प्रशिक्षण कार्यक्रम के महत्व के बारे में बताया गया। इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए और इसमें अपना पूर्ण सहयोग देने के लिए अभिभावक तैयार हो गये और अपने बच्चों को पाठ्यक्रम पूर्ण करने के लिए बहाई भवन में भेजा। 
जल्द से जल्द रूही पुस्तक-5 पूर्ण करने के बाद इन प्रशिक्षकों ने अपने क्षेत्रों में कुछ किशोरों को चुना और अपने ट्यूटर की मदद से उस स्थान का भ्रमण किया जहाँ 30 से 35 किशोर एकत्रित हुए। इनमें से 10 मित्रगण जल्द ही अपनी किशोर आध्यात्मिक सशक्तिकरण कार्यक्रम की कक्षायें शुरू करेंगे और अन्य तीन प्रतिभागी पहले से ही बच्चों की कक्षायें ले रहे हैं और किशोर समूह जल्द ही आरम्भ करेंगे। 

ओडि़शा में तीन दिवसीय संस्थागत परामर्श बैठक

ओडि़शा में हुई संस्थागत परामर्श बैठक के प्रतिभागी   
राज्य बहाई परिषद ओडि़शा द्वारा 30 अप्रैल से 2 मई 2011 तक बहाई समुदाय में सेवारत संस्थानों और एजेंसियों के लिए तीन दिवसीय संस्थागत परामर्श बैठक का आयोजन भुवनेश्वर में किया गया, जिसमें लगभग 88 मित्रों ने भाग लिया। इस बैठक का उद्देश्य राज्य में एक नई सार्वभौमिक योजना आरम्भ करना और सर्वोच्च संस्था के नये दृष्टिकोण को अनुयायियों के समक्ष लाना था।
संस्थागत बैठक का पहला दिन प्रार्थनाओं से आरम्भ हुआ, उसके उपरान्त विश्व न्याय मन्दिर के 1 जनवरी 2011 के संदेश का अध्ययन किया गया। मित्रों ने छोटे-छोटे समूहों में विभाजित होकर इस संदेश का अध्ययन कर इस पर चर्चा की और साथ ही, ‘‘विकास के कार्य और वृद्धिगत प्रबलता’’ विषय पर समीक्षा भी की। सहायक मण्डल सदस्य श्रीमती अनुसाय साहू ने समुदाय- समूहों की दोहरी गतिविधि में शिक्षण और उसके महत्व का चित्रण करने के लिए एक विशेष वातावरण तैयार किया। रिज़वान 2010 के संदेश के अनुच्छेद पर आधारित इस विषय पर सामूहिक चर्चा की गई। शाम के समय प्रश्नोत्तर सत्र चला जिसमें मित्रों ने प्रश्न पूछकर अपने संदेहों को दूर किया। ओडि़शा राज्य के और पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल से आये युवाओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया।
बैठक के दूसरे दिन श्री सूर्यप्रकाश दास ने ‘‘सीखने की सीमा को आगे बढ़ाना’’ विषय पर चर्चा की और नीमापाड़ा, भुवनेश्वर, सुन्दरगढ़ और पुरी समुदायसमूहों के चुने हुए मित्रों ने अपने प्रयासों और उपरोक्त विषय पर पिछली योजना के दौरान की गईं गतिविधियों को आपस में बांटा। बहुत से मित्रों ने मील के पत्थर के बारे में बताया जो वे विस्तार और सुगठन प्रक्रिया के दौरान पार चुके थे और वे बहाउल्लाह की विश्व व्यवस्था को एक समृद्ध और गतिशील निरंतरता की राह पर देखकर चकित थे। 
सहायक मण्डल सदस्य श्री समीर रंजन ने एक अति महत्वपूर्ण विषय ‘‘प्रशिक्षण संस्थान की क्षमता बढ़ाना’’ पर प्रकाश डाला। उन्होंने सार्वभौमिक योजना में संस्थान कोर्स और संयोजकों की भूमिका के विषय में बताया। मित्रों ने यह जाना कि किस प्रकार प्रशिक्षण संस्थान मानव संसाधनों के माध्यम से गति प्रदान करते हैं। 
‘‘स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं को सुदृढ़ बढ़ाना’’ विषय पर चर्चा की गई। बहुत सी स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं के नवनिर्वाचित सदस्य इस सर्वमहान धर्म में स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं के ओडि़शा में तीन दिवसीय संस्थागत परामर्श बैठक एक दिव्य संस्थान के रूप में स्थान और दायित्व के विषय में जानकर पूर्ण रूप से प्रभावित थे। सभी मित्रों ने समुदायसमूह के मुताबिक समूहों में विभाजित होकर अगले एक वर्ष के लिए योजना बनाई। उन सभी का ध्यान नये विषय विकास कार्यक्रम पर केन्द्रित था। कुछ विकसित समुदायसमूहों ने आने वाले वर्षों में सीखने की सीमा को आगे बढ़ाने के लिए योजनायें बनाईं। योजना सत्र के दौरान प्रतिभागियों में प्रबल उत्सुकता देखने को मिली। 
बैठक के अंतिम दिन श्री तुराज मोग्बेलपुर ने मित्रों को दिल्ली स्थित बहाई उपासना मन्दिर की 25वीं वर्षगांठ के विषय में और इसके लिए राज्य बहाई परिषद की विशेष योजना के बारे में बताया। उन्होंने बहाई कोष के महत्व पर भी प्रकाश डाला। बैठक को पूर्ण रूप से सफल बनाने के लिए परिषद की ओर से परिषद के सचिव ने सभी उपस्थित मित्रों को धन्यवाद ज्ञापन दिया।

महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटील से बहाई प्रतिनिधियों की मुलाकात

राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान स्मृति चिह्न भेंट करते हुए बायें से दायें-डॉ. ए. के. मर्चेंट, सलाहकार श्री राजन सावंत, महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटील, श्रीमती ज़ीना सोराबजी और सुश्री नाज़नीन रौहानी
भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटील से सलाहकार श्री राजन सावंत, राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा के सदस्य- श्रीमती ज़ीना सोराबजी, डॉ. ए. के. मर्चेंट और सुश्री नाज़नीन रौहानी ने 3 मई 2011 को मुलाकात की। इस मुलाकात का उद्देश्य राष्ट्रपति को बहाई उपासना मन्दिर की 25वीं वर्षगांठ के समारोह के विषय में बताना था और साथ ही, भारत के बहाई समुदाय की ओर से धन्यवाद ज्ञापन देना था। श्रीमती पाटील को प्रभुधर्म के प्रमुख सिद्धांतों के बारे में बताया और इस बात पर बल दिया कि इस लम्बे-चैड़े सम्पूर्ण भारत में 20 लाख से अधिक बहाई रहते हैं। राष्ट्रपति ने प्रभुधर्म के विषय में और अधिक जानने की इच्छा व्यक्त की और उन्होंने बहाई साहित्य भेजने के लिए भी कहा। राष्ट्रपति श्रीमती पाटील को बताया गया कि बहाई मन्दिर न केवल बहाइयों से सम्बन्धित एक इमारत है बल्कि वास्तव में यह एक राष्ट्रीय स्मारक है और दिल्ली सरकार ने गणतंत्र दिवस की परेड में बहाई मन्दिर को साम्प्रदायिक सद्भाव तथा एकता के संदेश के रूप में दर्शाया था। श्रीमती पाटील ने कई वर्ष पहले अपने मन्दिर भ्रमण को भी याद किया और उस पर टिप्पणी करते हुआ कहा कि वह कितना सुन्दर था। श्रीमती पाटील को बहाई उपासना मन्दिर की 25वीं वर्षगांठ के लिए विशेष रूप से बनाया गया स्वर्ण मणित स्मृति चिह्न भेंट किया गया।

Wednesday, June 15, 2011

Petition by Indians to the Iranian Government for Immediate Release of the staff and faculty of the Bahá'í Institute of Higher Education

We, the concerned citizens of the Republic of India, wish to place on record  our strongest remonstration for the brutal and senseless persecution of the Bahá'ís in general and the academic staff and administrators of the Bahá'í Institute of Higher Education (BIHE) in particular, in Iran.  The recent atrocities heaped upon this persecuted community, resulting in centrally orchestrated raids on 30 homes in different parts of the country and the arrest of 16 on 21st May, deserves the strongest condemnation from every upholder of human dignity and honour in India and the world.

We further wish to accentuate that the Bahá'í Institute of Higher Education came into existence in 1987 as a non-violent, informal and constructive response of the Iranian Bahá'í community to address the educational needs of its youth beyond high school. Since 1979 Iranian Bahá'í youth have been systematically barred by your government from pursuing higher education  as part of your ongoing policy to keep your largest non-Muslim religious minority on the margins of society. The consequences of this policy of disallowing the Baha’i youth to have access to higher education will be detrimental not only for the Baha’is community of Iran, but also for the nation as a whole. Denying people access to education is a denial of their right to exist as free and productive human beings. 

Iran is a country known for its contribution of the first charter of human rights. It has ratified both the International Covenant on Civil and Political Rights (ICCPR) and on Economic, Social and Cultural Rights (ICESCR). Article 18 of ICCPR states, "everyone shall have the right to freedom of thought, conscience and religion” and Article 13 of the International Covenant on Economic, Social and Cultural Rights recognizes "the right of everyone to education," and that, "higher education shall be made equally accessible to all, on the basis of capacity.” Persecuting people based on their religion, ideology and belief is not only a clear violation of human rights, but also tantamount to flagrantly abusing international law.

We therefore appeal to the Iranian Government to release immediately and unconditionally all those individuals affiliated with the Bahá'í Institute for Higher Education who are in prison since 21st May, to desist such attacks on this Institute and to ensure that all Iranian students have access to higher education.
                                                                                                                        May 2011
 Judiciary
  1. Justice V. R. Krishna Iyer, Former Judge, Supreme Court of India
  2. Justice Shivraj V. Patil, Former Judge, Supreme Court of India
  3. Justice Rajinder Sachar, Former Chief Justice, Delhi High Court – Former President, People’s Union for Civil Liberties
  4. Dr. B.V. Acharya, Former Advocate General, State of Karnataka & Member, Law Commission of India
  5. Justice G. Patri Basavana Goud, Former Judge, High Court of Karnataka, Former, Upalokayukta, State of Karnataka
  6. Justice R. Gururanjan, Former Judge, High Court of Karnataka, Bangalore
  7. Vrinda Grover, Human Rights Lawyer & Supreme Court Advocate
  8. Advocate K. V. Patil, Ex Principal, I.M. Law College & Legal Advisor Rayat Shikhshan Sanstha, Satara
  9. Advocate Arvind Kada, Ex District Government, Pleader & Public Prosecutor - Lecturer Law College, Satara
  10. Ashok Agarwal, Advocate – Member, Social Jurist

Legislative and executive branches of government
  1. Mr.Udayain Raje Bhonsle, Member of Parliament, Lok Sabha
  2. Shambhuraj S. Desai, Ex MLA, Maharashtra
  3. Mr. V N Garg, Officer of the Indian Administrative Service,  Infrastructure and Industrial Development Commissioner, Uttar Pradesh 
4.      Nishant D. Patil, Member of Municipal Council, Ex Mayor, Satara
  1. Jayendra Chavan, Member of Municipal Council - Ex Vice President Municipal Council, Satara
  2. Shankar Malvade, Ex Vice President, Municipal Council, Satara
  3. Dr. Subhash Yadav, member of Municipal Board, Bhiwadi, Distt. Alwar, Rajasthan

Academics
  1. Dr. H. Maheshappa, Honourable Vice Chancellor, Visvesvaraya Technological University, Belgaum, Karnataka
  2. Prof. Balraj Singh Chauhan, Vice Chancellor, Ram Manohar Lohia National Law University, Lucknow
3.       Prof. R. B. Singh, Distinguished Professor IFFCO Foundation, Ex Assistant Director General of FAO
4.        Prof. Amitabh Kundu, Centre for the Study of Regional Development, JNU – Former Member, National Statistical Commission
  1. Prof. (Dr.) Tahir Mahmood, Chairman, Amity University Institute of Advanced Legal Studies, Former Chairman, National Minorities Commission & former Member, Law Commission of India
  2. Dr. Patil Suhas Shivalal, Member, Board of Studies, Shivaji University, Member, General Body, Symbiosis University, Pune
  3. Prof. Madhu Purnima Kishwar, Founder Editor, Manushi – Professor, Centre for the Study of Developing Societies
  4. Mrs. Anagha Vaidya Soocheta, Textile Technology Department, Faculty of Engineering, University of Mauritius, Reduit
  5. Prof. Mohd. Muzammil, Professor of Economics, Lucknow University, Lucknow
  6. Prof. Vikas Gite, University of North Maharashtra
  7. Lt. Col. (Dr.) P.P.  Venugopalan, Dean, Kannur Medical College, Kannur, Kerala.
  8. Prof. Satish Jain, Professor, Centre for Economic Studies and Planning, JNU, Delhi
  9. Mr. A.R. Garde, Former Director, Ahmedabad Textile Industries Research Association, Gujarat
  10. Prof. Babu Mathew - Visiting Professor, National Law University, Delhi
  11. Dr. Gayatri Bari, Lecturer & Human Rights Activist, Nasik
  12. Dr. Smita Bharadwaj, Naturopath, Motiwala Hospital and Medical College, Nasik 
  13. Dr. Gharte Mita, B.H.M.S P.G.D.P.S,CCH.CGO, Nasik
  14. Dr. K. P. Bagmar, Educator, Human Rights Activist, Nasik
  15. Dr. Swanad Shukla, RYK College, Nasik
  16. Dr. Varsha Dharane, lecturer, Motiwala Hospital and Medical College, Nasik
  17. Prof. DR. Vimla. K. Patil , ex head of Marathi department of Shivaji college ,Satara
  18. Gopalakrishna, Librarian, B M S Institute of Technology, Bangalore
  19. S. M. Sonawane, Principal, New College of Education, Nasik
  20. Sanjay S. Shinde, Principal Samarth College of Education, Satpur, Nasik
  21. V. N. Suryawanshi, Principal HPT Arts & RYK Science College Sharanpur Road, Nasik
  22. M. A. Kulkarni, Prog. Co-ordinator, Dr. Moonje Institute, B.M.College, Nasik
  23. Mamta S. Lal, Lecturer. MVPS College, Nasik
  24. Sayyed Mursalin Sikander, RTC, “RAHNUMA” Urdu Primary School, Nasik
  25. Swapnil B. Nirmal, Principal, Motiwala College of Education Science, Nasik
  26. Raj Kishore Mishra, Secretary, Institute of Orissa Culture, Bhubaneswar
  27. P. C. Mohapatra, Former President, Board of Secondary Education, Orissa
  28. B. R. Dev, Principal, Jupiter Science College, Bhubaneswar
  29. K.  Bharat Chandra, Vice-principal, Jupiter Science College, Bhubaneswar
  30. Jaydeep Mohanty, HOD, Botany, Jupiter Science College, Bhubaneswar

Religious Leadership
  1. Rev. Dr. Dominic Emmanuel, Spokesman of the Delhi Catholic Archdiocese, Catholic Bishop Church of India
  2. Fr. Philip KuruvillaCoordinator, ESHA Project, NCCI – Secretary, India Interfaith Coalition on HIV
  3. Rabbi Ezekiel Issac Malekar, Chief Priest & Honorary Secretary Judah Hyam Synagogue
  4. Prof. Dr. MD Thomas, National Director, Commission for Religious Harmony, CBCI, New Delhi
  5. Fr. Jacob Thundyil, President, PREM, Orissa
  6. B. K. Durgesh Nandini, Sister in-charge, Brahmakumari, Bhubaneswar, Orissa

NGOs and Human Rights groups
  1. Dr. V. Mohini Giri, Chairperson, Guild for Service, former Chairperson, National Commission for Women
2.       Miloon Kothari, Coordinator, Housing and Land Rights Network – Former UN Special Rapporteur on adequate housing
  1. Maja Daruwala, Director, Commonwealth Human Rights Initiative
  2. Mathew Cherian, Chief Executive, Help Age India,& Core Group Member, National Human Rights Commission of India
  3. Madhu MehraDirector, Partners for Law in Development
  4. Neera Misra, Chairperson, Draupadi Trust
  5. Mira Shiva, Coordinator, Initiative for Health & Equity in Society - Member, Diverse Women for Diversity
  6. Asghar Ali Engineer, Founder, Centre for Study of Society and Secularism, Islamic Scholar and activist
  7. Ravi Narayan, Secretary General, Indian Committee of Youth Organisations
  8. Jayant Kumar, Head of Programme, Church's Auxiliary for social action (CASA)
  9. Anju Talukdar, Executive Director, Multiple Action Research Group
  10. N. Paul Divakar - General Secretary, Dalit Arthik Adhikar
  11. Rohit Gandhi, International Correspondent
  12. Captain U.R. Nikam ,editor Fauji Varta, President, Maharashtra ex service men and Pensioners Association

Corporate Sector
  1. Paresh Tewary, Director, Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry- Aditya Birla CSR Centre for Excellence, Delhi
  2. C. Bose, President Textile Association (India) Mumbai Unit and Ex Vice President of Reliance, Silvassa
  3. Ashish Jain, Ex India Glycol, Vice President, Colourtex, Surat
  4. Dr. John Sequeira, Manager - Textile Application & QC Lab & Management Representative, CHT India Pvt. Ltd., Mumbai
  5. Ullhas Nimkar, Ex CEO, Texan Laboratory, Mumbai
  6. Dr. Ashok Sable, R&D, Manager, Sarex, Mumbai
  7. Mrs. Vaishali Rane, Q&A, Manager Supertex, Kishangarh, Ajmer
  8. D. S. Bhogle, V. P. Operations, Wilhelm Textiles India Co Pvt. Ltd., Gurgaon
  9. Nilkanth Desai, Managing Director  of Neelwhite Chemicals, Mumbai
  10. Murthy Sanjiva, CEO of New Star Marketing , Mumbai
  11. Elham Naimi, Senior Software Engineer, LG Soft, Bangalore
  12. Vivek Naik, Chartered Accountant, Vivek Associates, Mumbai
  13. Charan Singh
  14. Sameer Dua, Deputy General Manager ( Sales and Marketing), Precision Rubber Industries Pvt Ltd, New Delhi
  15. Dr. G. P. Nair, Technical Adviser (Textiles),P I Director, Mudra Lifestyles Ltd., Mumbai