10 अक्टूबर 2011 को एक युवती, इनाओ, खंगाबोक क्लस्टर से पनगंताबी में पायनियरिंग के लिए उस क्लस्टर में विकास प्रक्रिया को मजबूत करने की इच्छा से गई। उसकी योजना थी कि वो एक वर्ष तक क्लस्टर में रहे। पिछले डेढ़ साल से पनगंताबी क्लस्टर एक जीवंत समुदाय बनाने में समर्थ नहीं हो पाया व संस्थान प्रक्रिया भी धीमे थी, जबकि यह वह क्लस्टर है जिसने पहले अपना विकास कार्यक्रम लागू किया था, तुरंत पनगंताबी क्लस्टर में बस जाने के बाद उसने देखा कि क्लस्टर में केवल 2 किशोर कार्यक्रम व 2 बच्चों की कक्षाएँ थीं। जिस जगह वह रह रही है वहाँ स्थानीय आध्यात्मिक सभा भी है। उसने स्थानीय आध्यात्मिक सभा के साथ परामर्श किया और मित्रों को कुछ गतिविधियाँ बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। स्थानीय आध्यात्मिक सभा के सदस्यों ने भक्तिपरक बैठकों का आयोजन किया।
एक विशेष बैठक अक्टूबर 2011 में एक अन्य छोटे से गाँव में आयोजित की गई जहाँ 11 मित्र जो वहाँ विद्यमान शिक्षक व मूल अनुयायी हैं वे अपने क्लस्टर की आवश्यकताओं से संबंधित परामर्श करने के लिए आए। इन उत्साहित मित्रों के समूह को ये अनुभूति हुई की इन्हें क्लस्टर में मानव संसाधन बढ़ाने होंगे। इन मित्रों ने नवम्बर व दिसम्बर 2011 में 70 लोगों के साथ शिक्षण करने की योजना बनाई। नवम्बर से दिसम्बर बालक व बालिकाओं के अवकाश का समय होने के कारण उन्होंने निश्चय किया कि वे इन युवाओं (पनगंताबी गाँव के) से पूरे नवम्बर व दिसम्बर के प्रथम दो सप्ताह बातचीत करेंगे। उन्होंने इस गाँव के अभिभावकों व युवाओं के साथ गाँव के बच्चों की आध्यात्मिक शिक्षा के महत्व के बारे में विचार बाँटे बातचीत का उद्देश्य था विस्तृत समुदाय के युवाओं को प्रोत्साहित करें की वे बच्चों की कक्षाओं के शिक्षकों के रूप में सेवा दें।
इन डेढ़ महीनों में इनाओ व पाँच मित्र जो अधिकतर बच्चों की कक्षाओं के शिक्षक हैं, उन्होंने पनगंताबी गांव में 40 युवाओं एवं वांगपोकपी गाँव के 8 युवाओं और उनके परिवारों से बातचीत की। क्लस्टर के सहायक मण्डल सदस्य भी इन भ्रमणों व अन्योनयक्रिया के दौरान उनके साथ थे। सभी मित्रों को एक ही अभियान में लाना चुनौती बन गई। तब उन्होंने यह निर्णय लिया कि एक के बाद एक (19 दिसम्बर से 22 जनवरी 2012 तक) दो अभियान करेंगे।
यह बहुत बड़ी सफलता थी कि पनगंताबी गाँव में आयोजित रूही संस्थान की पुस्तक 1 से 3 के अभियान में 18 मित्रों ने पुस्तक-1 के समाप्त होने पर प्रभुधर्म को स्वीकार किया। पनगंताबी क्लस्टर में अभियान के बाद 13 नई बच्चों की कक्षायें आरंभ हुईं। इनमें से 10 नियमित भक्तिपरक बैठकें अपने घर में आयोजित कर रहे हैं। यह अभियान वास्तव में पड़ोसी दो क्लस्टरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बना। जब उन्होंने इस अभियान में युवाओं की ग्रहणशीलता देखी, तो वे अपने क्लस्टर में युवाओं से बातचीत शुरू करने की योजना बनाने लगे।
इन नई बच्चों की कक्षाओं के परिणाम से उत्पन्न उत्साह व ऊर्जा ने पनगंताबी क्लस्टर को नया जीवन प्रदान किया है। 19 दिवसीय सहभोज नियमित रूप से आयोजित हो रहे हैं। दो अध्ययन वृत्त कक्षायें, फरवरी 2012 के महीने में आरंभ हुईं और दो प्रतिभागियों ने पाठ्यक्रम के प्रथम दिन प्रभुधर्म में अपनी आस्था व्यक्त की। वर्तमान में पायनियर व 5 मित्रों के समूह, समुदाय में चल रहीं 15 बच्चों की कक्षाओं और भक्तिपरक बैठकों के साथ संलग्न हैं। वे शिक्षकों को पाठ योजना बनाने में व अभिभावकों से मिलने में सहयोग देते हैं। हम इन मित्रों के दल में ‘‘व्यक्तियों के केन्द्र का विस्तार’’ को पनगंताबी क्लस्टर में देख सकते हैं।
पनगंताबी क्लस्टर को अब चल रही बच्चों की कक्षाओं को मजबूत करने की आवश्यकता है।
एक विशेष बैठक अक्टूबर 2011 में एक अन्य छोटे से गाँव में आयोजित की गई जहाँ 11 मित्र जो वहाँ विद्यमान शिक्षक व मूल अनुयायी हैं वे अपने क्लस्टर की आवश्यकताओं से संबंधित परामर्श करने के लिए आए। इन उत्साहित मित्रों के समूह को ये अनुभूति हुई की इन्हें क्लस्टर में मानव संसाधन बढ़ाने होंगे। इन मित्रों ने नवम्बर व दिसम्बर 2011 में 70 लोगों के साथ शिक्षण करने की योजना बनाई। नवम्बर से दिसम्बर बालक व बालिकाओं के अवकाश का समय होने के कारण उन्होंने निश्चय किया कि वे इन युवाओं (पनगंताबी गाँव के) से पूरे नवम्बर व दिसम्बर के प्रथम दो सप्ताह बातचीत करेंगे। उन्होंने इस गाँव के अभिभावकों व युवाओं के साथ गाँव के बच्चों की आध्यात्मिक शिक्षा के महत्व के बारे में विचार बाँटे बातचीत का उद्देश्य था विस्तृत समुदाय के युवाओं को प्रोत्साहित करें की वे बच्चों की कक्षाओं के शिक्षकों के रूप में सेवा दें।
इन डेढ़ महीनों में इनाओ व पाँच मित्र जो अधिकतर बच्चों की कक्षाओं के शिक्षक हैं, उन्होंने पनगंताबी गांव में 40 युवाओं एवं वांगपोकपी गाँव के 8 युवाओं और उनके परिवारों से बातचीत की। क्लस्टर के सहायक मण्डल सदस्य भी इन भ्रमणों व अन्योनयक्रिया के दौरान उनके साथ थे। सभी मित्रों को एक ही अभियान में लाना चुनौती बन गई। तब उन्होंने यह निर्णय लिया कि एक के बाद एक (19 दिसम्बर से 22 जनवरी 2012 तक) दो अभियान करेंगे।
यह बहुत बड़ी सफलता थी कि पनगंताबी गाँव में आयोजित रूही संस्थान की पुस्तक 1 से 3 के अभियान में 18 मित्रों ने पुस्तक-1 के समाप्त होने पर प्रभुधर्म को स्वीकार किया। पनगंताबी क्लस्टर में अभियान के बाद 13 नई बच्चों की कक्षायें आरंभ हुईं। इनमें से 10 नियमित भक्तिपरक बैठकें अपने घर में आयोजित कर रहे हैं। यह अभियान वास्तव में पड़ोसी दो क्लस्टरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बना। जब उन्होंने इस अभियान में युवाओं की ग्रहणशीलता देखी, तो वे अपने क्लस्टर में युवाओं से बातचीत शुरू करने की योजना बनाने लगे।
इन नई बच्चों की कक्षाओं के परिणाम से उत्पन्न उत्साह व ऊर्जा ने पनगंताबी क्लस्टर को नया जीवन प्रदान किया है। 19 दिवसीय सहभोज नियमित रूप से आयोजित हो रहे हैं। दो अध्ययन वृत्त कक्षायें, फरवरी 2012 के महीने में आरंभ हुईं और दो प्रतिभागियों ने पाठ्यक्रम के प्रथम दिन प्रभुधर्म में अपनी आस्था व्यक्त की। वर्तमान में पायनियर व 5 मित्रों के समूह, समुदाय में चल रहीं 15 बच्चों की कक्षाओं और भक्तिपरक बैठकों के साथ संलग्न हैं। वे शिक्षकों को पाठ योजना बनाने में व अभिभावकों से मिलने में सहयोग देते हैं। हम इन मित्रों के दल में ‘‘व्यक्तियों के केन्द्र का विस्तार’’ को पनगंताबी क्लस्टर में देख सकते हैं।
पनगंताबी क्लस्टर को अब चल रही बच्चों की कक्षाओं को मजबूत करने की आवश्यकता है।
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