Friday, January 27, 2012
Indian Postal Department releases a Postal Stamp featuring prominent monuments of Delhi in 1991
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Tuesday, January 24, 2012
मिर्जा़ अबुल-फज़्ल ने किस तरह बहाई धर्म स्वीकार किया
मिर्जा़ अबुल-फज़्ल |
एक दोपहर को, मिर्जा़ अबुल-फज़्ल और उनके कुछ साथी गधों पर सवार होकर ग्रामीण क्षेत्र के भ्रमण पर निकले। शहर से बाहर निकलते समय रास्ते में एक गधे की नाल खो गयी, इसलिये वह टोली सहायता के लिये पास ही की एक लुहार की दुकान पर पहुँची। जब लुहार ने--जिसे बहुत कम औपचारिक शिक्षा प्राप्त थी--मिर्जा़ अबुल-फज़्ल की लम्बी दाढ़ी और चौड़ी पगड़ी देखी, जो कि उनके बृहत ज्ञान के चिन्ह थे, तो उसने पूछा कि क्या वह ज्ञानी पुरूष उसके एक ऐसे प्रश्न का उत्तर देने को राज़ी हैं जिसने काफी समय से उसे उलझन में डाल रखा था। मिर्जा़ अबुल-फज़्ल ने लुहार को प्रश्न पूछने की इजाज़त दे दी। इस पर लुहार ने एक प्राचीन लिखित धार्मिक मान्यता के संदर्भ में पूछा, कि ‘‘क्या यह सच है कि बारिश की हर बूँद के साथ स्वर्ग से एक देवदूत नीचे आता है, और यह देवदूत ही बारिश को ज़मीन पर लाता है? ‘‘हाँ, यह सच है,’’ मिर्जा़ अबुल-फज़्ल ने उत्तर दिया--क्योंकि एक लम्बे समय से उस क्षेत्र के लोगों में यह मान्यता था कि ऐसा ही है। कुछ देर बाद, लुहार ने एक और प्रश्न पूछने की इजाज़त माँगी, जो मिर्जा़ अबुल-फज़्ल ने उसे दे दी। ‘‘क्या यह सच है,’’ लुहार ने एक बार फिर पूछा, ‘‘कि यदि किसी घर में कुत्ता पल रहा हो, तो उस घर में कोई देवदूत नहीं आयेगा?’’ मिर्जा़ अबुल-फज़्ल ने फिर से हाँ में उत्तर दिया, क्योंकि यह भी उन लोगों की एक मान्यता थी जो लिखित परम्पराओं का अनुसरण करते थे। इस पर लुहार बोला, ‘‘फिर तो उस घर में कोई बारिश नहीं गिरनी चाहिये जहाँ एक कुत्ता पल रहा हो।’’ मिर्जा़ अबुल-फज़्ल के पास कोई उत्तर नहीं था। वे शर्मिंदा और क्रोधित होकर वहाँ से चले गये, क्योंकि उन्हें एक लुहार ने चकरा दिया था जिसके पास कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी!
मिर्जा़ अबुल-फज़्ल को अपने साथियों से पता चला कि वह लुहार एक बहाई था। अब, हुआ यूँ कि उनका और इस लुहार का एक परिचित व्यक्ति था--एक स्थानीय कपड़े का फुटकर व्यापारी--बाज़ार में जिसकी एक दुकान थी जहाँ मिर्जा़ अबुल-फज़्ल कभी कभी जाया करते थे। जब इस व्यापारी ने, जो कि बहाई था, लुहार वाली घटना सुनी, तो उसने मिर्जा़ अबुल-फज़्ल को कुछ चर्चाओं में भाग लेने के लिये आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया, और एक बैठक की व्यवस्था की गयी। इस बैठक में मिर्जा़ अबुल-फज़्ल ने कुछ प्रश्न रखे और कई आपत्तियाँ उठायीं। प्रत्येक का उत्तर इतने सरल शब्दों में और इतने विवेकपूर्ण ढंग से दिया गया कि मिर्जा़ अबुल-फज़्ल हैरान रह गये, क्योंकि उनका सोचना था कि वे बड़ी आसानी से उस बहाई की मान्यताओं को गलत ठहरा सकते थे।
कई महीनों तक मिर्जा़ अबुल-फज़्ल ने कई भिन्न भिन्न बहाईयों से मिलना जारी रखा, जिनमें से कुछ काफी विद्वान थे। अंत में, बहाउल्लाह के अनुयायियों द्वारा दिये गये प्रमाणों को हमेशा ही नकार नहीं पाने के कारण उन्होंने सच्चे मन से अपना हृदय ईश्वर की ओर उन्मुख किया और सत्य दिखाये जाने की भीख माँगी। जल्द ही वे बहाउल्लाह के उद्देश्य के सत्य से अभिभूत हो गये, और लगभग एक वर्ष तक प्रतिवाद करने के बाद, वे एक पक्के और दृढ़ अनुयायी एवं प्रभुधर्म के एक उत्साही शिक्षक बन गये।
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हाजी मुहम्मद की कहानी
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बहाई प्रार्थना
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Gujarat: Temple priest kills five, commits suicide
In a shocking incident, a temple priests has killed at least five people and then committed suicide for unknown reasons in wee hours of morning at Eaava village in Sanand taluka near Ahmedabad.
http://in.video.yahoo.com/news-26036098/national-26073656/gujarat-temple-priest-kills-five-commits-suicide-27952271.html#crsl=%252Fnews-26036098%252Fnational-26073656%252Fgujarat-temple-priest-kills-five-commits-suicide-27952271.html
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Saturday, January 14, 2012
Indians in Norway aborting girls: study
The study, which looks specifically at the third and fourth children born to mothers of Indian and Pakistani origin from 1969 to 2005, shows that the ratio of girls to boys changed dramatically among Indian-Norwegian mothers after ultrasound scans became available in Norway in 1987.
Before the arrival of ultrasound technology, Indian-Norwegian mothers gave birth to 108 girls for every 100 boys.
After 1987, the ratio fell to 65 girls per 100 boys for Indian mothers while remaining relatively stable at pre-1987 levels for their Pakistani-Norwegian counterparts.
Health Minister Anne-Grete Strøm Erichsen (Labour Party) said she was surprised by the findings, which were initially published in 2010, and would refer the matter to the Norwegian Board of Health Supervision (Helsetillsynet).
“These are surprising numbers. Removing a healthy child because it has the wrong sex – it’s almost impossible to believe,” said Strøm Erichsen.
“Sex-selective abortion in completely unacceptable. The equality of the sexes is absolutely fundamental.”
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ईरान में बहाईयों पर अत्याचार गम्भीर चिन्ता का विषय - डॉ0 (श्रीमती) भारती गान्धी, बहाई अनुयायी
Mrs. Bharti Gandhi |
डा0 गान्धी ने बताया कि 7 बहाईयों को गिरफ्तार करके तेहरान की जेल में मई 2008 से डाल दिया गया है। ईरान सरकार के सुरक्षा कर्मियों द्वारा बहाईयों के घरों में छापा मारकर उनकी बहाई धर्म की पवित्र पुस्तकों, कम्प्यूटर्स, फोटो आदि जब्त कर लिये गये। इन बहाईयों में से कुछ के परिवारजन तथा मित्र नई दिल्ली में निवास कर रहे हैं। ईरान में बहाई धर्म के अनुयायियों की बिना पूर्व सूचना के हो रही गिरफ्तारियां बहाईयों के सहनशील दृष्टिकोण तथा धार्मिक आस्था की स्वतन्त्रता के खिलाफ है। यह सारे विश्व के मानवीय एवं विचारशील लोगों के लिए चिन्ता का विषय है। हाल ही में उत्पीड़न का सिलसिला इतना बढ़ गया है कि बहाई विद्यार्थियों पर हमले, मीडिया में उनके खिलाफ झूठी बातें फैलाना, उनके घरों तथा दुकानों को क्षति पहुंचाना, उन्हें जीवन यापन की आम जरूरतों से वंचित रखना और उन्हें विश्वविद्यालय से बेदखल करना आदि बातें आम हो गई हैं। ईरानी सरकार की मिलीभगत से बहाई समाज पर दिन-ब-दिन अत्याचारों का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है।
ईरान स्वयं एक अन्तर्राष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर कर चुका है जिसके तहत हर व्यक्ति को अपना मनचाहा धर्म अपनाने की स्वतन्त्रता है और उसके साथ इस मामले में कोई जोर जबरदस्ती नहीं की जा सकती है। बहाई धर्म के जन्म स्थल ईरान में बहाईयों के साथ इस तरह की धार्मिक घृणा तथा भेदभाव से भरी दमनपूर्ण कार्यवाही दुखदायी है। ऐसे समय जब सारा विश्व पूरी धार्मिक स्वतन्त्रता, एकता, शान्ति तथा मित्रता के साथ एक-दूसरे के साथ हिलमिल कर रहते हुए नये युग में जी रहा है। जबकि ईरान में बहाईयों पर सिर्फ उनके धर्म के आधार पर विभिन्न प्रकार के अत्याचार किए जा रहे हैं।
ज्ञातव्य हो कि भारत तथा अन्य देशों में बहाई सहित अन्य धार्मिक समुदायों को अपने धर्म के प्रति आस्था व्यक्त करने की पूरी स्वतन्त्रता है, जबकि इनमें से कई देश धर्मनिरपेक्ष भी नहीं हैं। एक सभ्य विश्व समाज में ईरान सरकार का बहाईयों के प्रति इस तरह का अन्यायपूर्ण, कठोर तथा जातिवादी दृष्टिकोण स्वीकार करने योग्य नहीं है। यह दुखदायी स्थिति सह-अस्तित्व अर्थात समानता के साथ जीने के अधिकार का घोर हनन है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com
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Tuesday, January 10, 2012
गुजरात में बच्चों और किशोरों के लिए सम्मेलन का आयोजन
बच्चों और किशोरों के लिए अहवा क्लस्टर में आयोजित सम्मेलन में भाग लेने वाले मित्रगण |
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बैंगलोर के बहाई प्रतिनिधिमण्डल की कर्नाटक के राज्यपाल से भेंट
दायें से बायें : श्री दिनेश राव, डॉ. अहमद अंसारी, महामहिम राज्यपाल डॉ. एच. आर. भारद्वाज और श्रीमती माला मल्लिकार्जुन |
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Monday, January 2, 2012
दुर्ग (अछौटी) में बहाई बाल नैतिक कक्षाओं के शिक्षकों एवं का प्रशिक्षण
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दो दिवसीय परामर्शीय बैठक में सलाहकार श्री ओमीद सीयोशानसीयन
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भोपाल में संपन्न हुवा क्षेत्रीय सम्मेलन
भोपाल में क्षेत्रीय सम्मेलन |
श्री दत्ता साहू |
श्रीमती जीना सोराबजी |
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