प्रत्येक ऐसे समुदाय में जहा नौ या नौ से अधिक वयस्क बहाई निवास करते हैं, वहाँ सभी वयस्क बहाईयों के बीच गुप्त मतदान द्वारा स्थानीय आध्यात्मिक सभा निर्वाचित की जाती है। यह चुनाव प्रत्येक वर्ष रिझवान पर्व के दौरान 21 अप्रैल को आयोजित होता है।
स्थानीय आध्यात्मिक सभा समुदाय के कल्याण से सम्बंधित कार्य करती है और विश्व न्याय मंदिर से प्राप्त मार्गदर्शन के आधार पर योजनायें बनाती है।
स्थानीय आध्यात्मिक सभा प्रत्येक बहाई माह के प्रथम दिन उन्नीस दिवसीय सहभोज का आयोजन करती है। सहभोज के दौरान समुदाय साथ मिलकर प्रार्थनायें व परामर्श करता है।
बहाई धर्म में कोई पुरोहित या मुल्ला वर्ग नहीं है, व्यक्तिगत बहाई से यह आशा की जाती है कि वे धर्म का शिक्षण करेंगे व अपने घरों पर सामुदायिक जीवन की आध्यात्मिकता को उच्च बनाने के लिए गतिविधियाँ आयोजित करेंगे। यह गतिविधियाँ मूल-गतिविधियाँ कहलाती हैं। विश्व न्याय मंदिर की वर्तमान योजना के अनुसार बहाईयों द्वारा क्षेत्रीय आधार पर जो मूलगतिविधिया आयोजित की जा रही हैं वे हैं:
बहाई बाल नैतिक कक्षायें
अल्प युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम
भक्तिपरक बैठकें
अध्ययन-वृत्त कक्षायें
(रूही संस्थान पाठयक्रमों का क्रमबद्धता से अध्ययन)
जहाँ तक उन्नीस दिवसीय सहभोज का सम्बन्ध है, यह मस्तिष्क और हृदय में नवस्फूर्ति और आनंद का संचार करती है। अगर सही ढंग से इन सहभोज सभाओं को आयोजित किया जाये तो मित्रगण उन्नीस दिनों में एक बार स्वयं को आध्यात्मिक रूप से पुष्ट महसूस करेंगे और एक ऐसी शक्ति से अनुप्राणित होंगे जो इस दुनिया की नहीं है।
(अब्दुल-बहा, अब्दुल बहा की लेखनी से उद्धृत पृ. 91)
अध्ययन-वृत्त कक्षाओं ने बहुत से देशों में भविष्य की पहचान प्राप्त कर ली है, विभिन्न समूहों में असीमता को पार कर गई है, वे समुदाय में नई ऊर्जा उत्पन्न कर रहे हैं और सामुदायिक जीवन की केन्द्र बनी है और शिक्षण, सेवा तथा सामुदायिक विकास की उत्प्रेरक बनी हैं।
Thursday, November 26, 2009
बहाई सामुदायिक जीवन
Posted by bhartiya-bahai at 1:18 AM
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