नाज़नीन खानोम
19 जनवरी, 2010 बहाई माह : सुल्तान : (सम्प्रभुता) बहाई वर्ष - 166
इस महीने की 7 तारीख को नई दिल्ली स्थित बहाई भवन में एक प्रेस सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसे बड़े पैमाने पर मीडिया कवरेज मिला, जाने-माने अखबारों और टेलिविजन चैनलों ने प्रेस कांफ्रेंस को कवर किया।
हम जब ईरान स्थित बहाई मित्रों पर किये जाने वाले अत्याचार को कम करने और खत्म होने की राह जोह रहे हैं, आइये विश्व न्याय मन्दिर के उस पत्र की कुछ पंक्तियों पर चिन्तन करें जो सर्वोच्च संस्था ने प्रभुधर्म के उस पालने में रह रहे अनुयायियों को जुलाई 2008 में लिखा था। ये पंक्तियां हमारे लिये भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, जितनी ईरान के हमारे मुसीबतज़दा बहाइयों के लिये : ''अत:, प्रयास के इस पथ पर उत्साह और दृढ़ता के साथ निरन्तर लगे रहें। जब आप ऐसा करें तब प्रत्येक मानव की अच्छाइयों को देखें, चाहे वह अमीर हो या गरीब, पुरुष हो अथवा स्त्री, वृध्द हो या युवा, शहर का रहने वाला हो या गांव का, कामगार हो या मालिक, बिना नस्ल अथवा धर्म का भेद किये हुए। गरीबों और वंचितों की मदद करें। युवा जनों की जरूरतों पर ध्यान दें और भविष्य के प्रति उन्हें आस्थावान बनायें, ताकि मानवजाति की सेवा के लिये वे अपने आप को तैयार कर सकें।
अपने सहयोगी नागरिकों के समक्ष पूर्वाग्रहों से लड़ने के अपने अनुभव रखने के हर एक
अवसर का लाभ उठायें और प्रेम तथा मैत्री के बंधन को मजबूत करने में उनका सहयोग करें और इस प्रकार अपने देश की प्रगति में तथा इसके लोगों की समृध्दि में अपना योगदान दें।''
बहाई शुभकामनाओं के साथ
भारत के बहाइयों की राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा
नाज़नीन रौहानी
महासचिव
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