Thursday, June 16, 2011

सोल के वार्षिक परामर्शी सेमिनार का आयोजन

  
श्री प्रवीण मल्लिक
सोसाइटी ऑफ यूनिवर्सल लर्नर (सोल) द्वारा 14 से 16 अप्रैल 2011 तक पटना स्थित सोल के प्रशिक्षण केन्द्र में आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक परामर्शी सेमिनार में देश के विभिन्न राज्यों-बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पं0 बंगाल और मणिपुर- में सामुदायिक विद्यालयों के विकास की प्रक्रिया से जुड़े 16 मित्रों ने भाग लिया। इस सेमिनार में अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण केन्द्र के सदस्य सलाहकार श्री प्रवीण कुमार मल्लिक की गरिमामय उपस्थिति रही।
सेमिनार का आंरभ भक्तिमय वातावरण में प्रार्थनाओं एवं पवित्र लेखों के पाठ से हुआ। तदुपरान्त सामाजिक कार्य के क्षेत्र में सोल द्वारा सामुदायिक विद्यालयों के विकास के लिए जारी प्रक्रिया पर शुरूआती चर्चा हुई और मित्रों को अपनी क्षमताओं के निर्माण के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण बनाने की महत्ता पर परामर्श हुआ। बहाई विश्व केन्द्र स्थित सामाजिक एवं आर्थिक विकास कार्यालय (ओसेड) द्वारा प्रेषित नवम्बर 2009 के प्रपत्र-संस्थागत क्षमता निर्माण: बहाई प्रेरित प्रयासों के ढांचे के तत्व- के कुछ अंशों को पढ़ा गया तथा मित्रों के साथ विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान ढ़ाचागत अवधारणा को किस प्रकार हम पवित्र लेखों के साथ संबद्ध कर समुदाय के उन्नयन के लिए सामुदायिक विद्यालय के माध्यम से सेवा के पथ पर आगे बढ़ें और इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक विनम्र अभिवृत्ति के महत्त्वों पर परामर्श हुआ।
सलाहकार श्री प्रवीण मल्लिक ने विश्व न्याय मंदिर के 16 सितम्बर 1993 के प्रपत्र - बहाई सामाजिक एवं आर्थिक विकास: भविष्य का परिदृश्य - का उल्लेख करते हुए मार्गदर्शन दिया कि सामाजिक कार्य के क्षेत्र से जुड़े सभी संगठनों एवं एजेंसियों को जटिलता के विभिन्न स्तरों को समझना, क्षमता का निर्माण, सीखने की अभिवृत्ति, मानव संसाधनों का विकास, समुदाय को प्रभावित करने के मार्गों और समग्रता को केन्द्र बिन्दु बनाकर अपने प्रयासों से निरंतर जुड़े रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें समुदाय का अध्ययन कर कार्यक्रम तैयार करना होगा, फिर उस कार्यक्रम को कार्यरूप देना होगा। इसके बाद पुनः एक नये समुदाय का अध्ययन, कार्यक्रम निर्माण और कार्यक्रम को साकार रूप देने की सतत् चलनेवाली प्रक्रिया में लगे रहना होगा। इसके लिए आवश्यक है कि हम बारंबार समीक्षा, परामर्श और कार्य की प्रक्रिया को अपनाते हुए आगे बढ़ें।
सामुदायिक विद्यालयों के संबंध में सलाहकार श्री प्रवीण मल्लिक ने कहा ‘‘हमें गुणवत्तायुक्त शिक्षा के महत्त्वों का सदा ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए संयोजकों को विद्यालय का साप्ताहिक भ्रमण कर शिक्षकों को पाठ योजना बनाने में सहायता देनी चाहिए। शिक्षक, अभिभावक, समुदाय के साथ-साथ संगठन को इस पूरी प्रक्रिया के प्रति संवेदनशील होना होगा। इसके लिए समुदाय का अध्ययन, सामुदायिक बैठक, शिक्षक का प्रशिक्षण, अभिभावक बैठक एवं संगठन द्वारा सामुदायिक विद्यालयों के साथ-साथ चलने की सतत् प्रक्रिया का अत्याधिक महत्त्व है। विद्यालय की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जरूरी है कि सामुदायिक विद्यालयों के शिक्षक अपनी उच्च शिक्षा जारी रखते हुए समुदाय की उन्नति में अपनी सहभागिता दर्ज करायें।’’
वार्षिक परामर्शी सेमिनार के अंतिम दिन अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षण केन्द्र के सदस्य सलाहकार श्री प्रवीण मल्लिक ने संगठन और सामुदायिक विद्यालयों का सहायक मंडल सदस्य, स्थानीय आध्यात्मिक सभा और प्रशिक्षण संस्थान के साथ संबंध स्थापित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए मार्गदर्शन किया कि ‘‘इन सभी संस्थाओं और संगठनों को निकट सहयोगी बनकर कार्य करना होगा, जिससे हम एक दूसरे के साथ मिलकर धरती पर ‘‘प्रभु का साम्राज्य’’ स्थापित करने की प्रक्रिया में सहभागी बन सकें।’’

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