Friday, June 29, 2018

एक बीज जो प्रेम के साथ बोया गया उसका पोषण करना है...

विश्व न्याय मन्दिर
सचिवालय विभाग
1 जून 2018
ईमेल द्वारा प्रसारित 

सभी राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभाओं को, 

प्रिय बहाई मित्रगण, 

बहाउल्लाह के जन्म की द्विशताब्दी के समारोहों ने, ’पाँच वर्षीय योजना‘ के कार्य को जो अद्भुत प्रोत्साहन दिया है, वह विश्व के सभी भागों में प्रत्यक्ष है। बाब के जन्म की दो सौवीं वर्षगाँठ तथा इस द्वितीय द्विशताब्दी के पूर्व क्या प्राप्त किया जाना चाहिये, स्वाभाविक रूप से हमारे विचार इस ओर जाते हैं, ताकि, “प्रथम द्विशताब्दी के समय हर एक बीज जो इतने प्रेम के साथ बोया गया” उसका “पोषण धैर्यपूर्वक फल प्राप्ति की ओर किया जा सके”। विश्व न्याय मन्दिर ने अनुरोध किया है कि हम इस विषय पर विचार-विमर्श में आपकी सहायता के लिये कुछ बिन्दु प्रेषित करें। इस पत्र को आप अपने समुदायों में, आपको जैसे उचित लगे वैसे, मित्रों के साथ साझा करने के लिये स्वतंत्र हैं।
 
विश्व न्याय मन्दिर की ओर से, 18 मई 2016 को आपको लिखे गये पत्र के द्वारा दोनों द्विशताब्दियों के लिये, बहाई विश्व द्वारा अपनाये जाने वाले तरीके की समझ का एक व्यापक ढांचा पहले ही प्रदान किया जा चुका है। इस पत्र में, विशेषकर, यह सूचित किया गया था कि गतिविधि की जगह स्थानीय स्तर पर होनी चाहिये। उस पत्र में यह भी वर्णित है कि दो वर्षगाँठों के बीच के आठ चक्रों का समय वह समय है, जब ’पाँच वर्षीय योजना‘ के लक्ष्यों को पूरा करने के लिये, प्रयत्नों के सर्वाधिक योगदान की आवश्यकता है। इसलिये, अपने क्लस्टरों में मित्रों का ध्यान इस पर, विशेष रूप से, केन्द्रित होना चाहिये। यह अच्छी तरह से चल रही सघन गतिविधियों का मौसम है, डेढ़ वर्ष से कम का समय बचा है। इस बहुमूल्य समय में, इस वर्ष ’युगल पावन दिवस‘ सम्मिलित हैं, जिन्हें केवल कुछ माह बाद ही मानाया जाना है। इन अवसरों पर, मित्रों को यह मूल्यवान अवसर प्राप्त होगा कि, जो गत वर्ष उन्होंने स्थानीय उत्सवों में लोगों को एक साथ लाने, जिससे ह्रदय उन्नत व चेतनाएं प्रकाशित होती हैं, से समृद्ध अनुभव प्राप्त किये, उन्हें आगे बढाएं।
 
बाब के जन्म की द्विशताब्दी की तैयारियाँ इस अभिज्ञान के साथ करनी चाहिये कि इस वर्षगाँठ से संबंधित उत्सवों के विशिष्ट संदर्भ हैं। वे बहाउल्लाह के जन्म की द्विशताब्दी के मात्र दो वर्ष उपरांत घटित होंगे, और बाब, निःसंदेह, बहाउल्लाह के अग्रदूत थे। प्रथम द्विशताब्दी के पूर्व और बाद में, मित्रों ने परिवार, मित्रों और सभी वर्ग के परिचितों को ’आशीर्वादित सौंदर्य‘ के जीवन तथा शिक्षाओं से सम्बन्धित सम्वादों में संलग्न रखा, और आने वाली द्विशताब्दी के संबंध में होने वाले सम्वादों ’प्रभुधर्म के युगल संस्थापकों‘ पर केन्द्रित, कई तौर-तरीकों में इन वार्तालापों का एक विस्तार होंगे। क्योंकि इस ’दिवस‘, बहाउल्लाह द्वारा प्रशंसित इस “अतुलनीय़ दिवस” की महानता, इस तथ्य से सुस्पष्ट है कि इसके आगमन की उद्घोषणा दो दिव्य ’अवतारों‘ द्वारा की गई थी, ’जिनके जन्म-दिवस‘ ”ईश्वर की दृष्टि में एक माने गये हैं”। ’उनके‘ स्वयं में तथा ’उनके प्रकटीकरण‘ द्वारा प्रचलित व्यवस्था पर लगाये गये विराम, बाब का पावन रूप, पीढ़ियों की प्रार्थनाओं व अनुनय-विनय का प्रत्युत्तर था, जो ’एक‘ की प्रतीक्षा कर रहे थे, जिसकी भवियष्यवाणी सभी ’पावन ग्रंथों’ में की गई थीं। ’उनके‘ आगमन से ईश्वर का शाश्वत धर्म असाधारण स्फूर्ति से नवीकृत तथा पुनरुद्धारित किया गया था। फिर भी, ’उन्होंने‘ ’अपने‘ लिए जिस उपाधि को चुना था, उसी में ’उन्होंने‘ यह संकेत दिया कि ’वे‘ एक महत्तर ’प्रकटीकरण‘ के द्वार थे, जिसको शोगी एफेंदी के शब्दों में, “उन्होंने ’स्वयं को‘ एक विनम्र अग्रदूत माना।” सम्पूर्ण विश्व में बहाईयों द्वारा प्रभुधर्म की प्रगति के लिये परिश्रम करने के प्रयत्न, बाब द्वारा बयान में दिये गये स्पष्ट सत्योपदेश की मन में याद दिलाता है: “उसका भला होता है जो बहाउल्लाह की ’व्यवस्था‘ पर अपनी दृष्टि स्थिर रखता है और अपने प्रभु को धन्यवाद देता है।”

जैसे-जैसे अगली द्विशताब्दी के लिये योजनाएँ आकार धारण करती जायेंगी, विश्व के क्षितिज पर अविलम्ब अनुक्रम में, दो ईश्वरीय अवतारों के प्रकटीकरण और मानवता के जीवन पर उनके प्रभाव के बारे में गहन चिन्तन करने से, निःसंदेह कलात्मक अभिव्यक्तियाें के कई उदाहरण उभरना प्रारंभ हो जायेंगे। आपको यह जान कर प्रसन्नता होगी कि विश्व न्याय मन्दिर पुनः एक फिल्म तथा इस अवसर के लिये समर्पित एक ’वेब साइट’, दोनों बनाने मन्शा रखते हैं। वे दो सौ वर्ष की वर्षगाँठ के उपलक्ष में एक विशेष पत्र तैयार करने की भी प्रत्याशा करते हैं। समय आने पर इसका विस्तृत वर्णन उपलब्ध हो जायेगा।
 
गत द्विशताब्दी की एक उल्लेखनीय विशेषता थी, समाज के सम्मानीय व प्रमुख सदस्यों द्वारा कई सम्मान और बधाई के संदेश, जो प्रायः उन्हें विचारपूर्ण भावनाएँ प्रदर्शित करने के लिये प्राप्त निमंत्रण के प्रत्युत्तर में थे। यद्यपि, इस अवसर का स्वरूप, इसके लिये स्वयं को प्रस्तुत नहीं करता कि इस प्रकार के सार्वजनिक वक्तव्य प्राप्त करने के प्रयास किये जायें। फिर भी, प्रभुधर्म की शिक्षाओं और मूलभूत तथ्यों से, साथ ही बहाई समुदायों द्वारा किये जा रहे प्रयासों से, ऐसे मित्रों को और अधिक परिचित होने में मदद करने के प्रयास, अवश्य ही, स्वाभाविक तरीके से जारी रहेंगे।
 
इस वर्ष के रिज़वान संदेश में, विश्व न्याय मन्दिर ने बाब और ’उनके‘ अनुयायियों के पराक्रम का उल्लेख किया है, आने वाले महीनों में जिनके जीवन के भावोत्तेजक विवरणों की, निश्चित ही, पुनः चर्चा और उनका पुनः उल्लेख किया जायेगा। इस द्विशताब्दी के समग्र तरीके के अनुरूप, इन उल्लेखनीय कथाओं को, जिनकी खूबी इतिहास की खोज से बहुत परे है, मन में याद करने के उद्देश्य पर विचार करना महत्वपूर्ण होगा। जो मित्र प्रभुधर्म की आज की आवश्यकताओं का प्रत्युत्तर देने में संलग्न हैं, वे उन्हें, डॉन-ब्रेकर्स के बलिदानों से प्रेरणा और सहस प्राप्त करने में समर्थ बनायेंगे। वे, अनुयायियों के समूहाें को यह महसूस करने में सहायता देंगे कि, इस युग में आवश्यक सेवा के कार्यों के प्रति स्वयं को समर्पित करके, वे अपने आध्यात्मिक पूर्वजों के उदात्त गुणों का अनुकरण कर रहे हैं।
 
“सृष्टि की एक अद्वितीय हस्ती” को यथोचित सम्मान देने के लिये, बहाई समुदाय ने, हाल-फिलहाल में, जिन ऊँचाइयों पर उड़ान भरी है, वे अभी भी स्मृति में जीवंत हैं। प्रथम का इतने अधिक निकट से अनुसरण करते हुए, तथा तब जो सीखा गया उस पर निर्माण करते हुए, इस द्वितीय द्विशताब्दी के समारोहों से उत्पन्न संभावनाएँ असीमित प्रतीत होती हैं। ईश्वर के सभी मित्रों के लिये यह विनती करते हुए कि, स्वर्गिक आशीष, उनके विचार-विमर्श के प्रत्येक स्तर पर और ’उसके‘ लिये उनके द्वारा किये गये प्रत्येक कार्य में, उनके साथ रहें, पावन समाधियों पर विश्व न्याय मन्दिर की प्रार्थनाओं के लिये आश्वस्त रहें।
 
प्रेमपूर्ण बहाई अभिनन्दन के साथ,
सचिवालय विभाग
प्रतिलिपि: अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षण केन्द्र
सलाहकारों के मण्डल
सलाहकार

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