भारत में बहाई धर्म
भारत, बहाई धर्म से इसके उद्भव सन १८४४ से ही जुड़ा हुआ है, जिन १८ पवित्र आत्माओं ने \\\'महात्मा बाब \\\' , जो कि \\\'भगवान बहाउल्लाह\\\' के अग्रदूत थे, को पहचाना और स्वीकार किया था, उन में से एक व्यक्ति भारत से थे.
आज लगभग २० लाख बहाई , भारत देश की महान विविधता का प्रतिनिधित्व, भारत के हर प्रदेश में १०,००० से भी अधिक जगहों पर रहते हुए कर रहे हैं.
भारत, बहाई धर्म से इसके उद्भव सन १८४४ से ही जुड़ा हुआ है, जिन १८ पवित्र आत्माओं ने \\\'महात्मा बाब \\\' , जो कि \\\'भगवान बहाउल्लाह\\\' के अग्रदूत थे, को पहचाना और स्वीकार किया था, उन में से एक व्यक्ति भारत से थे.
आज लगभग २० लाख बहाई , भारत देश की महान विविधता का प्रतिनिधित्व, भारत के हर प्रदेश में १०,००० से भी अधिक जगहों पर रहते हुए कर रहे हैं.
" बहाउल्लाह " (1817-1892) बहाई धर्म के ईश्वरीय अवतार हैं. उन्हें बहाईयों द्वारा इस युग के दैवीय शिक्षक तथा ईश्वरीय अवतारों की कड़ी में सबसे नए अवतार, के रूप में माना जाता है जिन्होंने इस पृथ्वी के निवासियों को अपने दैवीय ज्ञान से प्रकाशित किया है. इस कड़ी में अब्राहम, मोज़ेज, भगवान बुद्ध, श्री कृष्ण, ज़ोरास्टर, ईसा-मसीह और मुहम्मद जैसे दैवीय शिक्षक थे.
" बहाउल्लाह " के सन्देश की मुख्य अवधारणा थी कि सम्पूर्ण मानव एक जाति है और वह समय आ गया है, जब वह एक वैश्विक समाज में बदल जाये. " बहाउल्लाह " के अनुसार जो सबसे बड़ी चुनौती इस पृथ्वी के नागरिक झेल रहे है, वह है उनके द्वारा अपनी एकता को स्वीकार करना और उस सम्पूर्ण मानवजाति की एकता की प्रक्रिया में अपना योगदान देकर सदैव प्रगति करने वाली सभ्यता को आगे बढ़ाना.
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