दा इन्स्टीट्यूट फॉर स्टडीस इन ग्लोबल प्रॉस्पेरिटी (आईएसजीपी) की ओर से विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए 25 दिसम्बर 2011 से 3 जनवरी 2012 तक एक सेमिनार का आयोजन पंचगणी के न्यू ऐरा शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र में किया गया। इसका विषय था ‘‘समाज के प्रचलित संवाद में भाग लेना।’’ इस सेमिनार में आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, सिक्किम, कर्नाटक, दिल्ली और तुर्कमिनिस्तान से आये 9 युवाओं न भाग लिया।
इस सेमिनार का उद्दश्य युवाओं में समाज के संवादों में भाग लेने की क्षमता को बढ़ाना और उन्हें भौतिक वातावरण से दूर रहने में सहायता प्रदान करना था जो वे विश्वविद्यालयों में पाते हैं।
इस सेमिनार से युवाओं को विचार और कार्य करने के एक ढांचे के लिए आवश्यक कुछ अवधारणों पर चर्चा करने का अवसर प्राप्त हुआ। जैसे-सामाजिक कार्रवाई पर विमर्श की अवधारणा, व्यक्ति की सही प्रकृति को समझना और कैसे वह अपने व्यवस्थित पर्यावरण के साथ जुड़ा है, इत्यादि। सेमिनार के आरम्भ में युवाओं ने इन विषयों पर समीक्षा की और उसी दौरान सेवा के कार्यों द्वारा सभ्यता के विकास की प्रक्रिया को विकसित करने की अपनी मंशा की पुष्टि की।
हालांकि कुछ अवधारणायें समझने में कठिन थीं परन्तु प्रतिभागी सक्रिय रूप से सीखने की प्रक्रिया में व्यस्त रहे आरै स्नेहमय वातावरण में एक-दूसरे की सहायता करते रहे। इस सेमिनार का एक उद्देश्य युवाओं की बौद्धिक क्षमताओं के साथ-साथ उनकी भाषा की क्षमताओं को बढ़ाना भी था।
यह सेमिनार बहाई समुदाय द्वारा बनाये गये सामाजिक, आर्थिक विकास और सामाजिक संवाद में भाग लेने के क्षेत्र में युवाओं के प्रयासों की विशेषताओं की शुरूआत है।
इस सेमिनार में प्रत्येक दिन बाहर खेले जाने वाले खेल का समय निधारित था। यह दिनचर्या का एक हिस्सा बन गया था जिसका सभी प्रतिभागी इंतजार करते थे।
कुल मिलाकर यह सेमिनार बहाई समुदाय के सं दर्भ में सामाजिक परिवर्तन और कार्य में योगदान करने के लिए प्रतिभागियों की समझ और प्रतिबद्धता को मज बूत बना ने के लिए एक लाभदायक अनुभव था।
इस सेमिनार का उद्दश्य युवाओं में समाज के संवादों में भाग लेने की क्षमता को बढ़ाना और उन्हें भौतिक वातावरण से दूर रहने में सहायता प्रदान करना था जो वे विश्वविद्यालयों में पाते हैं।
इस सेमिनार से युवाओं को विचार और कार्य करने के एक ढांचे के लिए आवश्यक कुछ अवधारणों पर चर्चा करने का अवसर प्राप्त हुआ। जैसे-सामाजिक कार्रवाई पर विमर्श की अवधारणा, व्यक्ति की सही प्रकृति को समझना और कैसे वह अपने व्यवस्थित पर्यावरण के साथ जुड़ा है, इत्यादि। सेमिनार के आरम्भ में युवाओं ने इन विषयों पर समीक्षा की और उसी दौरान सेवा के कार्यों द्वारा सभ्यता के विकास की प्रक्रिया को विकसित करने की अपनी मंशा की पुष्टि की।
हालांकि कुछ अवधारणायें समझने में कठिन थीं परन्तु प्रतिभागी सक्रिय रूप से सीखने की प्रक्रिया में व्यस्त रहे आरै स्नेहमय वातावरण में एक-दूसरे की सहायता करते रहे। इस सेमिनार का एक उद्देश्य युवाओं की बौद्धिक क्षमताओं के साथ-साथ उनकी भाषा की क्षमताओं को बढ़ाना भी था।
यह सेमिनार बहाई समुदाय द्वारा बनाये गये सामाजिक, आर्थिक विकास और सामाजिक संवाद में भाग लेने के क्षेत्र में युवाओं के प्रयासों की विशेषताओं की शुरूआत है।
इस सेमिनार में प्रत्येक दिन बाहर खेले जाने वाले खेल का समय निधारित था। यह दिनचर्या का एक हिस्सा बन गया था जिसका सभी प्रतिभागी इंतजार करते थे।
कुल मिलाकर यह सेमिनार बहाई समुदाय के सं दर्भ में सामाजिक परिवर्तन और कार्य में योगदान करने के लिए प्रतिभागियों की समझ और प्रतिबद्धता को मज बूत बना ने के लिए एक लाभदायक अनुभव था।
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