Wednesday, April 18, 2012

बाल मेले में बहाई पुस्तकें प्रदान की गईं

जमशेदपुर क्लस्टर में आयोजित बाल मेले में भाग लेने वाले प्रतिभागी 
श्री चैधरी ने बच्चों के नैतिक तथा आध्यात्मिक गुणों का क्या लाभ है और ये क्यों जरूरी हैं इस पर अपने विचार व्यक्त किये। तत्पश्चात श्री अभिनन्दन शर्मा के द्वारा श्री विपिन यादव को और श्री ओमप्रकाश चैधरी द्वारा श्री कपिलदेव बाबा एवं शिक्षक श्री चमरू प्रसाद यादव को भेंट स्वरूप कुछ बहाई पुस्तकें प्रदान की गईं। इस मेले में 28 शिक्षक एवं शिक्षिकायें, 312 बच्चे, 150 पुरुष अभिभावक, 200 महिला अभिभावक एवं 30 किशोर उपस्थित हुए। इस मेले में लगभग 700 से ज्यादा मित्रों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।

अय्याम-ए-हा के दिनों में वृद्धाश्रम के संस्थापक और ट्रस्टी सहित सभी को बहाई धर्म के बारे में बताया।

विशाखापट्टनम के बहाई समुदाय की आरे से उपवास से पहले अय्याम-ए-हा के दिनों में जरूरतमंदों को कपड़े और भोजन आदि वितरित किया। एक अस्पताल के प्रसूति वार्ड में जाकर मरीजों को संतरे बांटे और उन्हें धर्म के बारे में संक्षिप्त रूप से बताया और कुछ प्रार्थनायें भी कीं। इसके साथ ही उन्होंने एक वृद्धाश्रम का भ्रमण भी किया, वहाँ जाकर उन्होंने 16 लोगों को बिस्कुट के पैकेट बांटे और इस संगठन के संस्थापक और ट्रस्टी सहित सभी को बहाई धर्म के बारे में बताया।

भोपाल में बहाई बाल कक्षाएँ

भोपाल के पड़रिया यूनिट में चल रही बहाई बाल कक्षाओं एवं सम्पुष्टि सामुदायिक स्कूल के बच्चों का एक बाल मेला पड़रिया के ही शासकीय उच्चतम माध्यमिक विद्यालय के सभागृह में बड़े ही उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ। इस आयोजन में लगभग 135 बच्चे एवं उनकी 60-65 माताएँ तथा 10-15 युवा मित्र शामिल होकर बच्चों एवं किशोरों द्वारा प्रस्तुत रंगारंग कार्यक्रम को देखकर आनन्दित हुए।

पश्चिम बंगाल के मालदा गांव में एक भक्तिपरक बैठक का आयोजन किया गया

जिसमें लगभग 400 मित्रगण उपस्थित हुए। किशोरों और युवाओं द्वारा ‘पीठ पीछे बुराई’ विषय पर एक नाटक भी प्रस्तुत किया। उपस्थित लोगों को बहाई धर्म का प्रत्यक्ष शिक्षण दिया गया। कार्यक्रम के समापन पर 20 लोगों ने प्रभुधर्म में अपनी आस्था व्यक्त की।

बहुत ही आध्यात्मिकता के साथ नवरूज़ का पर्व मनाया

20 मार्च 2012 की शाम को दिल्ली में पड़ोसी समुदायों द्वारा बहाई भवन में बहुत ही आध्यात्मिकता के साथ नवरूज़ का पर्व मनाया। इस सुअवसर पर लगभग 140 मित्रगण शामिल हुए। सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान अनुभवी मित्रों द्वारा गीत-संगीत, नृत्य और लघुनाटिका प्रस्तुत की गई। नवरूज़ पर एक विडियो दिखाया गया जिसका सभी ने आनन्द लिया। रात्रिभोज में आतिशबाजी ने नवरूज़ के उत्साह और अधिक बड़ा दिया।

मणिपुर के पनगंताबी क्लस्टर में संस्थान प्रक्रिया त्वरित करने में पायनियर ने दिया सहयोग

10 अक्टूबर 2011 को एक युवती, इनाओ, खंगाबोक क्लस्टर से पनगंताबी में पायनियरिंग के लिए उस क्लस्टर में विकास प्रक्रिया को मजबूत करने की इच्छा से गई। उसकी योजना थी कि वो एक वर्ष तक क्लस्टर में रहे। पिछले डेढ़ साल से पनगंताबी क्लस्टर एक जीवंत समुदाय बनाने में समर्थ नहीं हो पाया व संस्थान प्रक्रिया भी धीमे थी, जबकि यह वह क्लस्टर है जिसने पहले अपना विकास कार्यक्रम लागू किया था, तुरंत पनगंताबी क्लस्टर में बस जाने के बाद उसने देखा कि क्लस्टर में केवल 2 किशोर कार्यक्रम व 2 बच्चों की कक्षाएँ थीं। जिस जगह वह रह रही है वहाँ स्थानीय आध्यात्मिक सभा भी है। उसने स्थानीय आध्यात्मिक सभा के साथ परामर्श किया और मित्रों को कुछ गतिविधियाँ बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। स्थानीय आध्यात्मिक सभा के सदस्यों ने भक्तिपरक बैठकों का आयोजन किया।
एक विशेष बैठक अक्टूबर 2011 में एक अन्य छोटे से गाँव में आयोजित की गई जहाँ 11 मित्र जो वहाँ विद्यमान शिक्षक व मूल अनुयायी हैं वे अपने क्लस्टर की आवश्यकताओं से संबंधित परामर्श करने के लिए आए। इन उत्साहित मित्रों के समूह को ये अनुभूति हुई की इन्हें क्लस्टर में मानव संसाधन बढ़ाने होंगे। इन मित्रों ने नवम्बर व दिसम्बर 2011 में 70 लोगों के साथ शिक्षण करने की योजना बनाई। नवम्बर से दिसम्बर बालक व बालिकाओं के अवकाश का समय होने के कारण उन्होंने निश्चय किया कि वे इन युवाओं (पनगंताबी गाँव के) से पूरे नवम्बर व दिसम्बर के प्रथम दो सप्ताह बातचीत करेंगे। उन्होंने इस गाँव के अभिभावकों व युवाओं के साथ गाँव के बच्चों की आध्यात्मिक शिक्षा के महत्व के बारे में विचार बाँटे बातचीत का उद्देश्य था विस्तृत समुदाय के युवाओं को प्रोत्साहित करें की वे बच्चों की कक्षाओं के शिक्षकों के रूप में सेवा दें।
इन डेढ़ महीनों में इनाओ व पाँच मित्र जो अधिकतर बच्चों की कक्षाओं के शिक्षक हैं, उन्होंने पनगंताबी गांव में 40 युवाओं एवं वांगपोकपी गाँव के 8 युवाओं और उनके परिवारों से बातचीत की। क्लस्टर के सहायक मण्डल सदस्य भी इन भ्रमणों व अन्योनयक्रिया के दौरान उनके साथ थे। सभी मित्रों को एक ही अभियान में लाना चुनौती बन गई। तब उन्होंने यह निर्णय लिया कि एक के बाद एक (19 दिसम्बर से 22 जनवरी 2012 तक) दो अभियान करेंगे।
यह बहुत बड़ी सफलता थी कि पनगंताबी गाँव में आयोजित रूही संस्थान की पुस्तक 1 से 3 के अभियान में 18 मित्रों ने पुस्तक-1 के समाप्त होने पर प्रभुधर्म को स्वीकार किया। पनगंताबी क्लस्टर में अभियान के बाद 13 नई बच्चों की कक्षायें आरंभ हुईं। इनमें से 10 नियमित भक्तिपरक बैठकें अपने घर में आयोजित कर रहे हैं। यह अभियान वास्तव में पड़ोसी दो क्लस्टरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बना। जब उन्होंने इस अभियान में युवाओं की ग्रहणशीलता देखी, तो वे अपने क्लस्टर में युवाओं से बातचीत शुरू करने की योजना बनाने लगे।
इन नई बच्चों की कक्षाओं के परिणाम से उत्पन्न उत्साह व ऊर्जा ने पनगंताबी क्लस्टर को नया जीवन प्रदान किया है। 19 दिवसीय सहभोज नियमित रूप से आयोजित हो रहे हैं। दो अध्ययन वृत्त कक्षायें, फरवरी 2012 के महीने में आरंभ हुईं और दो प्रतिभागियों ने पाठ्यक्रम के प्रथम दिन प्रभुधर्म में अपनी आस्था व्यक्त की। वर्तमान में पायनियर व 5 मित्रों के समूह, समुदाय में चल रहीं 15 बच्चों की कक्षाओं और भक्तिपरक बैठकों के साथ संलग्न हैं। वे शिक्षकों को पाठ योजना बनाने में व अभिभावकों से मिलने में सहयोग देते हैं। हम इन मित्रों के दल में ‘‘व्यक्तियों के केन्द्र का विस्तार’’ को पनगंताबी क्लस्टर में देख सकते हैं।
पनगंताबी क्लस्टर को अब चल रही बच्चों की कक्षाओं को मजबूत करने की आवश्यकता है। 

रिज़वान के पहले दिन आध्यात्मिक सभा का चुनाव करें

पर्वराज रिज़वान का त्यौहार करीब आ चुका है। एक ओर जहाँ हम आध्यात्मिक उल्लास मनाते हैं वहीं दूसरी ओर अपने आध्यात्मिक दायित्व को रिज़वान के पहले दिन पूरा करते हैं। अपने आध्यात्मिक दायित्व को हम जानते हैं। हमारा आध्यात्मिक दायित्व है स्थानीय आध्यात्मिक सभा के चुनाव में हिस्सा लेना। यह काम खास तौर पर उन समुदायों के लिये जरूरी है जहाँ आमतौर पर आध्यात्मिक सभाओं के प्रति जागरूकता उतनी नहीं हुआ करती, जितनी विकसित अथवा विकासशील समुदाय समूहों में होती है।
विश्व न्याय मंदिर ने 17 जुलाई 2003 के अपने पत्र में इस बात पर चिन्ता व्यक्त की थी कि भारत में स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं की संख्या में गिरावट आई है। प्राप्त आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि पिछले कुछ सालों से स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं की संख्या लगातार कम होती चली जा रही है। सर्वोच्च संस्था की चिन्ता हम सब की चिन्ता का विषय होना चाहिये।
राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा ने राज्य बहाई परिषदों और राज्य प्रशासनिक समितियों को लिखे गये 16 मार्च 2004 के अपने पत्र में इस विषय की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया था।
विश्व न्याय मंदिर ने 31 दिसम्बर 1995 के अपने पत्र में लिखा था कि स्थानीय आध्यात्मिक सभा का चुनाव मुख्य रूप से क्षेत्र विशेष के बहाइयों का दायित्व है। सन् 1997 से पूरी दुनिया में स्थानीय आध्यात्मिक सभाओं का चुनाव केवल रिज़वान के पहले दिन ही किया जा रहा है अर्थात् 20 अप्रैल के सूर्यास्त के बाद और 21 अप्रैल के सूर्यास्त के पहले का समय आध्यात्मिक सभाओं के चुनाव का समय पूरी दुनिया के बहाई समुदाय के लिये निर्धारित किया गया है।
आप जानते हैं, बहाई चुनाव पूरी तरह से आध्यात्मिक माहौल में होता है, इस पर राजनीतिक चुनाव अर्थात् प्रचार, उम्मीदवारी आदि की काली छाया नहीं पड़नी चाहिये। आप यह भी जानते हैं कि प्रत्येक वयस्क बहाई (21 वर्ष अथवा इससे अधिक उम्र के) चुनाव में मतदान करते हैं। आप यह भी जानते हैं कि वैसे नौ लोगों के नाम हम मतपत्र पर लिखते हैं जिनकी प्रभुधर्म के प्रति वफादारी असंदिग्ध होती है, जो अनुभवी और समर्पित होते हैं। आइये यह जानें कि एक बहाई का सम्बन्ध स्थानीय आध्यात्मिक सभा के साथ क्या होना चाहिये। अब्दुल-बहा ने इस सम्बन्ध में लिखा है: ‘‘.....हर व्यक्ति के लिये यह आवश्यक है कि आध्यात्मिक सभा से परामर्श किये बगैर कोई भी कदम वह न उठाये और पूरे तन-मन से उसके आदेश के प्रति आज्ञाकारी बना रहे, ताकि सब कुछ व्यवस्थित ढंग से चल सके।’’ धर्मसंरक्षक का मार्गनिर्देश कुछ इस प्रकार है: ‘‘बिना किसी अपवाद के सब को, प्रभुधर्म के हित के सभी विषय व्यक्तिगत रूप से या सामूहिक तौर पर उस स्थान की आध्यात्मिक सभा के पास ले जाना चाहिये, जो उस पर निर्णय लेगी..मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ और इस सिद्धांत के पक्ष में हूँ कि कुछ खास व्यक्तियों को वह केन्द्र नहीं बना लिया जाना चाहिये, जिनके गिर्द पूरा समुदाय चक्कर लगाये...’’ और अब जानें की आध्यात्मिक सभा का अपने अनुयायियों के साथ क्या सम्बन्ध होता है: ‘‘ जिन्हें मित्रों ने स्वतंत्रतापूर्वक और सोच-समझ कर अपने प्रतिनिधि के रूप में चुना है उनके कर्तव्य उनसे कम महत्वपूर्ण और नियंत्रणकारी नहीं हैं जिन्होंने उन्हें चुना है। उनका कर्तव्य आदेश देना नहीं, अपितु परामर्श करना है और केवल अपने बीच परामर्श नहीं करना है, अपितु जहां तक सम्भव हो उन मित्रों के साथ भी परामर्श करना है जिनका वे प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें अपने को प्रभुधर्म की सर्वाधिक प्रभावशाली और गरिमामय प्रस्तुति के साधन के अतिरिक्त कुछ और नहीं मानना चाहिये।.... उन्हें अपने कार्यों के प्रति अत्यन्त विनम्र रहना चाहिये और खुले दिमाग से यह कोशिश करनी चाहिये कि किस प्रकार मित्रों का कल्याण हो, प्रभुधर्म के हित में कार्य किया जाये, मानवता की भलाई की जा सके और किस प्रकार न केवल उनका विश्वास, सच्चा समर्थन तथा सम्मान वे प्राप्त कर सकें, जिनकी सेवा उन्हें करनी चाहिये, अपितु उनका सच्चा स्नेह और प्रेम भी वे पा सकें।’’

पंचगणी में आईएसजीपी सेमिनार

दा इन्स्टीट्यूट फॉर स्टडीस इन ग्लोबल प्रॉस्पेरिटी (आईएसजीपी) की ओर से विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए 25 दिसम्बर 2011 से 3 जनवरी 2012 तक एक सेमिनार का आयोजन पंचगणी के न्यू ऐरा शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र में किया गया। इसका विषय था ‘‘समाज के प्रचलित संवाद में भाग लेना।’’ इस सेमिनार में आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, सिक्किम, कर्नाटक, दिल्ली और तुर्कमिनिस्तान से आये 9 युवाओं न भाग लिया।
इस सेमिनार का उद्दश्य युवाओं में समाज के संवादों में भाग लेने की क्षमता को बढ़ाना और उन्हें भौतिक वातावरण से दूर रहने में सहायता प्रदान करना था जो वे विश्वविद्यालयों में पाते हैं।
इस सेमिनार से युवाओं को विचार और कार्य करने के एक ढांचे के लिए आवश्यक कुछ अवधारणों पर चर्चा करने का अवसर प्राप्त हुआ। जैसे-सामाजिक कार्रवाई पर विमर्श की अवधारणा, व्यक्ति की सही प्रकृति को समझना और कैसे वह अपने व्यवस्थित पर्यावरण के साथ जुड़ा है, इत्यादि। सेमिनार के आरम्भ में युवाओं ने इन विषयों पर समीक्षा की और उसी दौरान सेवा के कार्यों द्वारा सभ्यता के विकास की प्रक्रिया को विकसित करने की अपनी मंशा की पुष्टि की।
हालांकि कुछ अवधारणायें समझने में कठिन थीं परन्तु प्रतिभागी सक्रिय रूप से सीखने की प्रक्रिया में व्यस्त रहे आरै स्नेहमय वातावरण में एक-दूसरे की सहायता करते रहे। इस सेमिनार का एक उद्देश्य युवाओं की बौद्धिक क्षमताओं के साथ-साथ उनकी भाषा की क्षमताओं को बढ़ाना भी था।
यह सेमिनार बहाई समुदाय द्वारा बनाये गये सामाजिक, आर्थिक विकास और सामाजिक संवाद में भाग लेने के क्षेत्र में युवाओं के प्रयासों की विशेषताओं की शुरूआत है।
इस सेमिनार में प्रत्येक दिन बाहर खेले जाने वाले खेल का समय निधारित था। यह दिनचर्या का एक हिस्सा बन गया था जिसका सभी प्रतिभागी इंतजार करते थे।
कुल मिलाकर यह सेमिनार बहाई समुदाय के सं दर्भ में सामाजिक परिवर्तन और कार्य में योगदान करने के लिए प्रतिभागियों की समझ और प्रतिबद्धता को मज बूत बना ने के लिए एक लाभदायक अनुभव था।

State/Regional Bahá'í Councils for 2011-2012

ANDHRA PRADESH
1. Mr. V. Devikumar
2. Mrs. E. Mamatha
3. Mr. S. Kalyani Sudhakar
4. Mr. P. Gopinath
5. Mrs. Y. Savithri Reddy
6. Mr. K. Chandrasekhar
7. Mr. Ravi. Sekhar
8. Mr. D. Balasingh
9. Mr. N. C. Baskaran

ASSAM, NAGALAND, MEGHALAYA AND ARUNACHAL PRADESH
1. Mr. Mukesh Diwan
2. Dr. Shashikant Panigrahi
3. Mrs. Nirmali Sarmah
4. Mr. Anando Brahma
5. Mrs. Sharda Nayak
6. Ms. Nitumoni Mazumdar
7. Dr. Nani Obing
8. Ms. Sunita Rai
9. Mrs. Sebika Gogoi

BIHAR AND JHARKAND
1. Mr. Dipendra Kumar Chandan
2. Mr. Krishnanandan Prasad
3. Mr. Chotelal Babu Prasad
4. Mr. Vidya Sagar Rai
5. Mr. Nand Kishore
6. Mr. Shailendra Kumar Prasad
7. Mrs. Rekha Sinha
8. Ms. Rashmi (Pun Pun)
9. Mr. Kaushal Kumar Sharma

GUJARAT
1. Mr. Rajesh Ahire
2. Mr. Prashant Chinubhai
3. Mr. Jayesh Bhoye
4. Mr. Chetan Parikh
5. Ms. Jyoti Ahire
6. Mr. Vasant Bagul
7. Mr. Jasubhai Bhoye

KARNATAKA
1. Mr. Ravi Kiran
2. Mrs. Izzat Ansari
3. Mr. Laxmi Narayan
4. Capt. Mallikarjun
5. Mr. Chandrasekhar
6. Mr. Srinath D. T.
7. Mr. Vasanth Kumar
8. Mr. Manche Gowda
9. Mr. Balaji Rao

KERALA
1. Mr. M. Sarvananan
2. Mr. P. Gopinath Kurup
3. Mr. K. P. Srimathi
4. Mr. C. P. Balakrishnan
5. Mrs. Anitha Ponappan
6. Mr. K. P. Gopalakrishnan
7. Mr. Unnais from Thirur
8. Ms. Sujila M
9. Mr. Harindran Challan

MADHYA PRADESH AND CHATTISGARH
1. Mr. Sachin Patel
2. Dr. F. U. Shaad
3. Mrs. Lalitha Sharma
4. Mrs. Manna Dey
5. Mr. Jaideep Mahalati
6. Mrs. Omna K. G.
7. Mrs. Roza Olyai
8. Mr. Manish Chauhan
9. Mrs. Alka Kumar

MAHARASTRAAND GOA
1. Dr. Vasudevan Nair
2. Mr. Zia Eshraghi
3. Mr. Sandeep Gore
4. Mr. Siamack Zahedi
5. Mr. Pooya Movvahed
6. Mr. Sanjeev Vasta
7. Mrs. Suniti Javanmardi
8. Mrs. Marzia Dalal
9. Mrs. Mahvash Rowhani

MANIPUR AND MIZORAM
1. Mr. Inaoton
2. Mr. Sidananda
3. Ms. Inao
4. Mrs. Sanatombi Devi
5. Mrs. Babita Devi
6. Ms. Machasana
7. Mr. Joseph
8. Ms. Ibemcha
9. Ms. Haribati

ORISSA
1. Mr. Susant Nayak Convenor
2. Mr. Aratbandu Swain
3. Mr. Sukanta Raut
4. Mr. Saubhagya Mohanty
5. Mr. Taranga Das
6. Ms. Gitanjali Swain
7. Mr. Shankar Mahji
8. Mr. Chandrasekhar Pradhan
9. Mr. Bibhuti Bhusan Sethi

PUNJAB, HARYANA, HIMACHAL PRADESH AND JAMMU & KASHMIR
1. Mr. Puran Katwal
2. Mr. Mohit Arun
3. Ms. Zohre Roshan
4. Mr. Vikas Chettri
5. Mr. Gulshan Arora
6. Mr. GabrielWilson
7. Ms. Homa Zamani

RAJASTHAN
1. Mr. Rajesh Meena
2. Mr. Sanjay Sharma
3. Ms. Nejat Haghighat
4. Ms. Sunita Thongram
5. Mr. Shiv Charan
6. Mr. Harmeet S Kohli (Gulshan)
7. Mr. Deepak Jagga

SIKKIM AND DARJEELING
1. Mrs. Rupa Pradhan
2. Mr. Tika Adhikari
3. Mr. H. M. Issa
4. Mr. Binod Pokhrel
5. Ms. Ranjana Pradhan
6. Ms. Hemlata Pradhan
7. Ms. Karuna Khati
8. Ms. Jasmine Chettri
9. Yankee Pradhan

TAMIL NADU AND PUDUCHERRY
1. Mr. Yuvraj (Chennai)
2. Mr. Bharat (Chennai)
3. Mrs. Malliga Karmegam (Vellore)
4. Mr. R Harikrishnan (Cuddalore)
5. Sunderamurthy (Virudhnagar)
6. Mrs. Kasturijeyam (Sivakasi)
7. Mr. Kannan (Puducherry)
8. Mr. Selvam (Kanchipuram)
9. Mr Selvakumar (Cuddalur)

TRIPURA
1. Mr. Bibhuti Ranjan Karmakar
2. Mr. Prabir Debnath
3. Mr. Bikas Dhar
4. Mr. Manish Deb
5. Mr. Uttam Mitra
6. Mr. Pankaj Dhar
7. Mr. Bandhu Prasad Roy
8. Mr. Keshab Roy
9. Mr. Alok Kar

UTTAR PRADESH, UTTRAKHAND AND DELHI
1. Mr. Prem Singh
2. Mr. Elham Mohajer
3. Mr. Sudhir Upadhyay
4. Mr. Pramod Kumar
5. Mr. Sanjeev Upadhyay
6. Mr. Satya Prakash (Bidhuna)
7. Mrs. Shaheda Shaukat
8. Mr. Ram Sevak Yadav
9. Mr. Ram Vilas

WEST BENGAL
1. Mr. Pradeep Bhattacharya
2. Mr. Bulbul Sarkar
3. Mr. Pallab Guha
4. Mr. Kamran Hemmati
5. Mr. Bablu Ghosh
6. Mr. Monishankar Maity
7. Mr. Sayyid Ali
8. Mr. Arindam Chatterjee
9. Ms. Zeba Alam

Baha'i Marriage in Mangalore

Mr. Sri Ashwin Kumar and Ms. Chaitra J. Bangera surrounded by friends and family at their wedding on
November 14th, 2011 in Mangalore.

Baha'i Marriage in Manipur

Mr. Shailesh Kangabam (S/o Kangabam Lokendro and Mrs. Shantibala) and Ms. Machasana Koijam (D/o Mr. Koijam Tomba and Mrs. Sanatombi) at their wedding on February 13th, 2012 in Manipur.

Baha'i Marriage in Kannur

Mr. Manoj Ganesh (S/o Ganesh and Laxmi) and Ms. T. Shiji Prabhakaran (D/o T. Prabhakaran and K. Sumithra) at their wedding on November 27th, 2011 in Kannur.

The Passing of Anneliese Bopp, 1921-2012

The Universal House of Justice sent the following message to all National Spiritual Assemblies on 21 February 2012: ***
“We are deeply saddened at the passing of dearly loved Anneliese Bopp, tireless promoter of the Faith of Bahá'u'lláh. Born to a family closely connected with the earliest stirrings of the Cause in Germany, she was a steadfast handmaiden of the Blessed Beauty whose efforts over so many years did much to advance His Faith on the European continent. Among her innumerable contributions was an intimate involvement in the construction of the Mother Temple in Europe, completed while she served as Secretary of the National Spiritual Assembly of Germany. In 1970 she was appointed to the Continental Board of Counsellors in Europe; nine years later she was called to serve as a Counsellor member of the International Teaching Centre, in which capacity she laboured, until 1988, with exemplary devotion. Even in her life's twilight, Anneliese attentively followed developments in the Faith and vital matters pertaining to the progress of humankind. We remember with profound admiration her indomitable spirit, her clarity of thought, her disarming candour; we grieve the loss of one of the Faith's champions.
To her family, and to all who loved her, we extend our sympathy, assuring them of our heartfelt prayers in the Holy Shrines for her soul's joyful passage into the eternal realms. We advise the holding of befitting memorial gatherings in her honour by the friends everywhere, including in all Houses ofWorship.” -The Universal House of Justice

Visit to Travancore Palace

Mr. Premarajan, Mr. Kurup, and Mr. Joshi called on the present Raja of Travancore Palace, Sree Uthradam Thirunal Marthanda Varma, on the evening of December 22 . This coincided with the 76 anniversary of Martha Root's December 21-23 visit to the Raja's elder brother (who was the king at the time) where she gave the Message of the Faith. This visit was mentioned in the book ‘Martha Root - Herald of the Kingdom’. It was considered as the first occasion when an individual in the present Kerala State had heard of the Faith. The present Raja was 12-years-old at the time. 
The Raja was very glad to see his visitors. He said that many good things started from this Palace, but nobody remembers this now. His visitors presented a few sets of books to him and he asked many questions.
One year before Martha Root's visit, the King at that time had declared "temple entry" to all castes on 12 November 1936. When the Raja was told the significance that this day holds for Bahá’ís all over the world, he expressed surprise and happiness.

Visit to Surgana Cluster

In an effort to support the growth of the cluster of Surgana, from February 5 -7 Mr. Rohit Tank, Mrs. Visit to Surgana Cluster th th Reyhana Lokhandwala, and Dr. Afsaneh Motiwala made a trip to this cluster in order to assist the pioneers of the area with the consolidation of newly declared souls. Out of the 24 who recently declared their Faith, 20 are currently taking part in the Institute Process: 10 youth in Ruhi Book 4, and 10 adults in Ruhi Book 1.
On the first day of their trip, they organized a session for Ruhi Book 1 followed by a home visit attended by four seekers; the next day, the Ruhi session had some new faces. The remainder of the weekend was spent participating in the Nineteen Day Feast and home visits.
One such home visit was with a large family who had been living near the Centre for 50 years. Several members of the family were already taking part in study circles. During the home visit, the entire family heard the message with such love that they said they were ready to help spread this knowledge in whichever way they could. They pledged to arrange for a larger group to hear the message during the visitors' next trip to the area. During this trip, the visitors also had an opportunity to listen to a story told by the pioneers regarding the significant dream of a 13-year-old junior youth in the area.
This young man had recounted that he dreamt of an elderly man on top of a brilliantly shining hill. The moon above His head was shining and He was smiling at this junior youth. As he watched, he saw that all around this man, the grass became very green, trees appeared, and a very clean river began flowing. The junior youth had recalled feeling a lot of love and joy during this dream. When he woke up, he went to see one of the pioneers and asked to see a photo of 'Abdu'l-Bahá. Having only ever heard stories about Him, he wanted to see what He looked like. Upon seeing the portrait, he confirmed that the person in his dream was indeed 'Abdu'l-Bahá.

बहाई उपवास

अन्य प्रकटित धर्मों की तरह, बहाई धर्म में भी उपवास पर बहुत बल दिया जाता है, जो आत्मा के अनुशासन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बहाउल्लाह द्वारा हमें हर वर्ष 19 दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास करने के लिए आदेश दिया गया है। यह अवधि बहाई कैलेण्डर के 18वें और 19वें महीने के बीच में आती है जो 2 से 20 मार्च तक की होती है। इसके तुरन्त बाद 21 मार्च को बहाई नववर्ष का आगमन होता है। इस कारण से उपवास को एक नये वर्ष की गतिविधियों के लिए आध्यात्मिक तैयारी और उत्थान के समय के रूप में भी देखा जाता है। गर्भवती महिलाओं, 70 वर्ष की आयु से अधिक उम्र के अनुयायियों, रोगियों, यात्रियों, अत्यधिक शारीरिक श्रम करने वाले और 15 वर्ष की आयु से कम के बच्चों को उपवास करने से मुक्त रखा गया है। यह समय विशेष रूप से प्रार्थना, ध्यान और आध्यात्मिक पुनरुत्थान का समय है, जिसके दौरान व्यक्ति अपने आंतरिक जीवन में जरूरी सुधार लाने और उसकी आत्मा में व्याप्त आध्यात्मिक शक्ति को पुनर्जीवित और ताजा करने के लिए तीव्र प्रयत्न करता है। इस कारण से उपवास का महत्व और उद्देश्य मूल रूप से आध्यात्मिक है। उपवास मात्र एक प्रतीक है, जो भौतिक इच्छाओं और स्वार्थ से दूर रहने का संकेत देता है।
उपवास मनुष्य के पुनरुत्थान का कारण है, इससे हृदय कोमल बन जाता है और मनुष्य में आध्यात्मिकता की वृद्धि होती है। इसका निर्माण इस वास्तविकता से होता है कि मनुष्य के विचार ईश्वर को याद करने में केन्द्रित होते हैं और इस पुनर्जीवन और प्रेरणा के बाद उन्नति संभव होती है। उपवास दो प्रकार के हैं-भौतिक और आध्यात्मिक। भौतिक उपवास खान-पान से दूर रहना है यानि शारीरिक भूख से दूर रहते हैं। परन्तु आध्यात्मिक अथवा वास्तविक उपवास यह है कि मनुष्य व्यर्थ कल्पनाओं से और अमानवीय गुणों से दूर रहते हैं। इसलिए भौतिक उपवास आध्यात्मिक उपवास का एक प्रतीक है जैसे कि ‘‘हे दिव्य विधाता! विरक्त हूँ जिस तरह मैं दैहिक कामनाओं, अन्न और जल से, मेरा हृदय भी शुद्ध और पावन कर दे वैसे ही, अपने अतिरिक्त अन्य सब के प्रेम से; भ्रष्ट इच्छाओं और शैतानी प्रवृत्तियों से मेरी आत्मा को बचा, इसकी रक्षा कर, ताकि मेरी चेतना पवित्रता की सांस के साथ संलाप कर सके और तेरे उल्लेख के सिवा अन्य सबका परित्याग कर सके।’’

गुजरात में गांधी नगर के बहाई भवन में एक संयुक्त बैठक का आयोजन किया गया

इस बैठक में गुजरात की क्लस्टर एजेंसियों के सदस्यों ने भाग लिया। बैठक के दौरान मूल गतिविधियों को और अधिक प्रभावी बनाने और उनके विस्तार पर चर्चा की गई। विभिन्न क्लस्टरों से आये हुए मित्रों ने अपनी-अपनी उपलब्धियों और चुनौतियों को भी सभी मित्रों के साथ बांटा।

दक्षिण दिल्ली में एक भक्तिपरक बैठक का आयोजन किया गया


दक्षिण दिल्ली के संत नगर में श्रीमती महिन्दर कौर के घर पर एक भक्तिपरक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चे, किशोर और जिज्ञासुओं ने भी भाग लिया। विभिन्न धर्मों की प्रार्थनायें की गईं और कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चों के साथ होने वाली चुनौतियों के बारे में तथा बच्चों की कक्षा के माध्यम से उनके जीवन में कैसे परिवर्तन आया इस विषय मंे भी बताया।

सुश्री नाज़नीन रौहानी और श्रीमती ज़ीना सोराबजी ने त्रिपुरा के माननीय मुख्यमंत्री श्री मानिक शंकर को प्रभुसंदेश दिया


16 फरवरी 2012 को राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभा की सचिव सुश्री नाज़नीन रौहानी और उपाध्यक्ष श्रीमती ज़ीना सोराबजी तथा त्रिपुरा परिषद के सचिव उत्तम मित्रा ने त्रिपुरा के माननीय मुख्यमंत्री श्री मानिक शंकर से मुलाकात की। सबसे पहले मुख्यमंत्री को प्रभुधर्म के बारे में जानकारी दी गई उसके बाद उन्हें राज्य में हो रहीं बहाई गतिविधियों से अवगत कराया गया। वार्ता के दौरान माननीय मुख्यमंत्री ने बहाई धर्म और बहाई मन्दिर के विषय में अनेक प्रश्न भी पूछे।

विश्व न्याय मन्दिर - संदेश 16 फरवरी 2012

विश्व न्याय मन्दिर
16 फरवरी 2012

सभी राष्ट्रीय आध्यात्मिक सभाओं को
प्रिय बहाई मित्रगण,

दक्षिण अमेरिका के मातृ मन्दिर के निर्माण के सिलसिले में हुए विकास के अनेक कामों के बारे में जानकारी देते हुए हमें खुशी हो रही है। दो सप्ताह पहले चिली की एक प्रतिष्ठित फर्म को भवन की नींव तथा कंक्रीट के सभी कामों के लिये अनुबंध-पत्र दिया गया है। खुदाई का काम पूरा हो जाने और नींव तथा प्लाज़ा के क्रम-निर्धारण के बाद भूतल में अब काम शुरू हो चुका है, माल लाने-ले जाने के लिये सुरंग का निर्माण किया जा चुका है, कंप्यूटर पर तैयार किये गये मॉडल के आधार पर भूकम्प निरोधी महत्वपूर्ण सावधानियों को ध्यान में रखते हुए भूतल और बीच के तल्ले के ढाँचे का निर्धारण कर लिया गया है। और आज, अनेक महीनों के मूल्यांकन और मूल्य-निर्धारण के बाद वैकल्पिक निविदाओं के बीच से एक का चुनाव कर मन्दिर परिसर के निर्माण के लिये जर्मनी के एक जाने-माने कांट्रैक्टर को अनुबंध-पत्र दे दिया गया है। ढाँचा तीस मीटर ऊँचा होगा और बाहरी तथा अंदर के पाँच सौ टन के बोझ को सम्हालने में सक्षम होगा। लोहे के नौ ढाँचे लंगर के सहारे आपस में जुड़े होंगे जो यह सुनिश्चित करेंगे कि पूरे किये गये डिज़ाइन के सौन्दर्यपरक प्रभाव को बनाये रखें।
Chile Baha'i Temple
दुनियाभर में आशीर्वादित सौन्दर्य (बहाउल्लाह) के अनुयायी हाल में निर्माण-कार्य में र्हुइ  प्रगति से प्रेरणा प्राप्त करें और त्यागपूर्ण उदारता से भरकर एकजुट हो प्रभुधर्म के विकास में अपना योगदान शब्दों और कर्म के माध्यम से दें। 
- विश्व न्याय मन्दिर

राज्यों में आयोजित विंटर स्कूलों की झलक

राज्य बहाई परिषद केरल द्वारा 26 से 29 जनवरी 2012 तक नायाटूपारा, कन्नूर के चैतन्यापुरी ऑडिटोरियम में केरला के 33वें विटंर स्कूल का आयोजन किया गया। विंटर स्कूल का विषय था ‘‘समाज परिवर्तन के लिए क्षमता निर्माण’’। इस अवसर पर लगभग 216 मित्रगण शामिल हुए, जिसमें अधिकतर परिवार शामिल थे। यह बहुत हर्ष की बात थी कि इसमें बड़ी संख्या में बच्चे और किशोर उपस्थित थे। केरल के अनुयायियों के लिए पारिवारिक सम्मेलन होने के कारण यह विंटर स्कूल उनमें उत्साह और प्रसन्नता का संचार करता है। इस वर्ष विंटर स्कूल में सलाहकार श्री ओमिद सियोशानसियान, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री पी. के. प्रेमराजन, राष्ट्रीय सांख्यिकी पदाधिकारी श्री टीप्रभाकरण् , सुश्री शहनाज फरूदी आरै सुश्री महेनाज़ कोहिनूरी मौजूद थीं। इनके अलावा इंग्लैंड, नई दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक से आये मित्र भी शामिल हुए। इस अवसर पर केरल के सभी सहायक मण्डल सदस्यों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की। विंटर स्कूल का आरम्भ कन्नूर क्लस्टर द्वारा आयोजित युनिटी फीस्ट से हुआ। इस अवसर पर सलाहकार श्री ओमिद, श्री पी. के. प्रेमराजन और डॉ. के. एमरामानन्दन ने मित्रों को शुभकामनायें दीं। परिचय सत्र के दौरान प्रत्येक व्यक्ति और परिवार ने मंच पर आकर अपना-अपना प रिचय दिया। परिषद के अध्यक्ष श्री एमसरवनन ने विंटर स्कूल के महत्व के बारे में बताया और सचिव श्री पी. गोपीनाथ कुरूप ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। सलाहकार श्री ओमिद सियोशानसियान ने विंटर स्कूल के विषय ‘‘समाज परिवर्तन के लिए क्षमता निर्माण’’ पर अपनी प्रस्तुति दी। उसके बाद सहायक मण्डल सदस्यों की सहायता के द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें विश्व न्याय मन्दिर के 28 दिसम्बर 2010 के संदेश का विस्तार से अध्ययन किया गया ताकि मित्रों को विकास कार्यक्रमों के लिए अच्छी जानकारी और दृष्टिकोण प्राप्त हो सके, जिससे कि वह अपने क्लस्टरों में व्यापक समझ के साथ लौटें। पायनीयरिंग जैसे महत्वपूर्ण विषय पर बहुत ही प्रभावी प्रस्तुति दी गई, जिसके परिणामस्वरूप 16 मित्रों ने होमफ्रंट पायनियरिंग के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की। सहायक मण्डल सदस्यों द्वारा कार्यशाला का संचालन किया गया जिसमें रिज़वान 2010 के संदेश में विशेषकर बहाई बच्चों की कक्षायें और किशोर आध्यात्मिक सशक्तिकरण कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला गया। प्रत्येक समूह की प्रस्तुति से यह स्पष्ट था कि गहन अध्ययन किया गया है। राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री पी. केप्रेमराजन द्वारा बहाई कोष और हुकूकुल्लाह पर आधारित विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया गया। उन्होंने बहाई कोष में योगदान के आध्यात्मिक पहलू के विषय में विस्तार से बताया कि यह सौभाग्य केवल हम बहाइयों को ही प्राप्त है। एक अन्य सत्र के दौरान श्री प्रेमराजन ने केरल में बहाई धर्म के पिछले 50 साल के इतिहास के बारे में संक्षेप में बताया जो बहुत ही प्रेरणात्मक था। बहाई प्रशासन और स्थानीय आध्यात्मिक सभा जैसे विषयों पर भी उन्हानें अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। डॉ. के. एम. रामानन्दन ने पावर प्वायंट द्वारा शोगी एफेंदी के जीवन और उद्देश्य के विषय में बताया। उन्होंने बताया कि कैसे प्रिय धर्मसंरक्षक ने कठिन परिश्रम और त्यागपूर्वक प्रशासनिक संस्थानों का निर्माण किया। राष्ट्रीय सांख्यिकी पदाधिकारी श्री टी. प्रभाकरण ने ‘‘अब्दुलबहा एक सच्चे आदर्श’’ जैसे विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अब्दुलबहा के जीवन के बारे में पर्याप्त रूप से नहीं कहा जा सकता क्योंकि वे किसी भी मूल्यांकन से परे हैं। बहाउल्लाह की सभी शिक्षाओं के वह सच्चे आदर्श थे। सुश्री शहनाज फुरूदी ने ‘‘विकास कार्यक्रम में युवाओं की भूमिका’’ जैसे विषय पर चर्चा की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सभी युवाओं को समुदाय की गतिविधियों में भाग लेना चाहिए। केवल इस तरह से ही वे अपने आप को भविष्य के लिए तैयार कर सकते हैं। श्री टी. प्रभाकरण और श्री एम. सरवनन द्वारा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई जो अत्यंत ज्ञानवर्द्धक थी और मित्रों को धर्म की केन्द्रिय विभूतियों के लेखों का अभ्यास करने का संकल्प करने के लिए प्रेरित किया। यह विंटर स्कूल पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर रहा। समापन समारोह के अवसर पर केरल के बाहर से आये हुए मित्रों ने विंटर स्कूल के बारे में अपने-अपने विचार बांटे। इस अवसर पर उपस्थित सभी मित्र प्रसन्न थे उनका मानना था कि यह विंटर स्कूल बहुत ही व्यवस्थित था और इसके माध्यम से उन्हें और अधिक ज्ञान तथा नया दृष्टिकोण प्राप्त हुआ।
Gwalior Baha'i Winter School
Indore Baha'i Winter School
Kerala Baha'i Winter School
मध्यप्रदेश में इंदौर के विजयनगर में किशोरों के लिए शीतकालीन शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 68 प्रतिभागियों ने भाग लिया। पुस्तकों का अध्ययन पूर्ण करने के अनुसार सभी को सात समूहों में विभाजित किया गया। चार समूहों ने ‘‘आशा की किरण’’, दो समूहों ने ‘‘आस्था की चेतना’’ और एक बड़े समूह ने ‘‘सम्पुष्टि की सुरभि’’ नामक पुस्तक का अध्ययन किया। इस शिविर में एक विशेष सत्र के दौरान डॉ. मधुर नवलानी द्वारा निशुल्क दंत चिकित्सा जांच का आयोजन भी किया गया। शिविर के समापन समारोह के दौरान सभी अभिभावकों को आमंत्रित किया गया। शिविर के प्रतिभागियों द्वारा प्रार्थनायें, गीत, और नाटक आदि प्रस्तुत किये गये। उन्होंने किशोरों की आवश्यकताओं, शिविर के उद्देश्य और अभिभावकों की उम्मीदों के बारे में भी बताया। सभी प्रतिभागी इस कार्यक्रम में भाग लेकर प्रसन्न थे। अभिभावक अपने बच्चों को इस प्रकार के आध्यात्मिक सशक्तिकरण शिविर में भेजकर संतुष्ट थे। कुछ अभिभावको ने भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रमों को अपने क्षेत्र या अपने घरों पर करने की पेशकश भी की। इस प्रकार के शिविर द्वारा सभी अनुप्रेरकों और स्वयंसेवकों को एक साथ मिलने, हाथ से हाथ मिलाकर कार्य करने का और सेवा की भावना को महसूस करने का अवसर प्राप्त हुआ।

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू और कश्मीर की क्षेत्रीय बहाई परिषद द्वारा 27 से 29 जनवरी 2012 तक चंड़ीगढ़ में परामर्श सम्मेलन के साथ विंटर स्कूल का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर सलाहकार श्रीमती ग्लोरिया जावेद, राष्ट्रीय सचिव सुश्री नाज़नीन रौहानी और सहायक मण्डल सदस्य भी उपस्थित थे। उन्होंने प्रतिभागियों के साथ क्षेत्र में विकास प्रक्रिया पर चर्चा की। इस सम्मेलन में बच्चे, युवा और वयस्क मिलाकर लगभग 60 मित्रगण शामिल हुए। मित्रों ने विश्व न्याय मंदिर के संदेश 28 दिसम्बर 2010, 12 दिसम्बर 2011 और 29 अगस्त 2010 का गहन अध्ययन किया। विंटर स्कूल के दौरान युवा अपने क्षेत्र में विकास प्रक्रिया में तीव्रता लाने के प्रति बहुत उत्साहित लग रहे थे। प्रतिभागियों ने अपने क्लस्टर के लिए योजना बनाई जिसे रिज़वान 2012 से पहले पूरा किया जा सके। युवाओं ने लघु नाटिका, गीत और नृत्य प्रस्तुत किये, जिसे देखकर प्रतिभागी प्रभुधर्म की सेवा के लिए प्रोत्साहित हुए।